Edited By Chandra Prakash, Updated: 03 Aug, 2025 03:08 PM

पश्चिमी राजस्थान में सोलर कंपनियों द्वारा खेजड़ी के पेड़ की कटाई का मुद्दा जोरों पर उठाया जा रहा है । एक तरफ बाड़मेर जिला प्रशासन में खेजड़ी की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और मशीनें जब्त करने की बात सामने आ रही है, तो दूसरी तरफ सोलर...
जयपुर, 3 अगस्त 2025 । पश्चिमी राजस्थान में सोलर कंपनियों द्वारा खेजड़ी के पेड़ की कटाई का मुद्दा जोरों पर उठाया जा रहा है । एक तरफ बाड़मेर जिला प्रशासन में खेजड़ी की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और मशीनें जब्त करने की बात सामने आ रही है, तो दूसरी तरफ सोलर कंपनियों की ओर से हरे भरे खेजड़ी के पेड़ों को काटा जा रहा है । हालांकि इस मुद्दे पर कई राजनीतिक नेताओं ने नाराजगी भी जताई है । जी हां उन नेताओं में से शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल को लेकर बात करने वाले हैं । भाटी और बेनीवाल ने खेजड़ी के पेड़ों की कटाई के लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार पर जमकर सवाल उठाए हैं । ये जानने के लिए आप खबर के अंत तक बने रहिए....
तो चलिए सबसे पहले बात कर लेते हैं रविंद्र सिंह भाटी की....भाटी ने अपने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए लिखा कि पश्चिमी राजस्थान में 26 लाख पेड़ काटे जा चुके है। पता नहीं किसके नाम पर कटे ? उसमें से 60% सिर्फ खेजड़ी के पेड़ थे। और अगले 5 साल में 39 लाख पेड़ और काटने की तैयारी है। शायद विकास के नारों तले तबाही की कहानी ऐसे ही लिखी जाती है।
वहीं दूसरी तरफ नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, पश्चिमी राजस्थान की पारिस्थितिकी के मुख्य आधार खेजड़ी की सोलर कम्पनियों द्वारा की जा रही कटाई को रुकवाने व राजस्थान में भी ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनवाने की मांग को लेकर गुरुवार को केंद्रीय वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र जी यादव से मुलाकात की | सोलर कम्पनियो द्वारा सोलर एनर्जी के प्रोजेक्ट स्थापित करने में राजस्थान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है,राजस्थान के बीकानेर, फलौदी,जैसलमेर और बाड़मेर,जोधपुर तथा नागौर व डीडवाना - कुचामन जिले में सोलर प्लांट के लिए पेड़ो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है ,अब तक पश्चिमी राजस्थान में 26 लाख से अधिक पेड़ काटे जा चुके है जिनमे 60 प्रतिशत पेड़ खेजड़ी के थे जो क्षेत्र की पारिस्थितिकी का आधार है और पेड़ो की कटाई का भरी विरोध जगह- जगह राजस्थान में किया जा रहा है ।
आगे उन्होंने लिखा कि विभिन्न स्थानों पर पर्यावरण प्रेमी धरना देकर भी बैठे है और उनकी मुख्य मांग है कि सोलर के प्रोजेक्ट के लिए बंजर भूमि का उपयोग किया जाये ताकि वृक्षों की कटाई नहीं हो | प्रति मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 4-5 एकड़ में सोलर प्लेटें लगती है और राजस्थान में 26450 मेगावाट बिजली सोलर से उत्पादन के लिए अनुमानित 1.32 लाख एकड़ जमीन पर प्लांट लगे है वहीं विशेषकर पश्चिमी राजस्थान में प्रति एकड़ 15-20 पेड़ तथा 10 फीट तक की लम्बी 25-30 झाड़ियों होती है और अब तक 40 लाख झाड़ियां काटी जा चुकी है | राजस्थान की रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी और समाचार पत्रों की रिपोर्टो पर नजर डालेंगे तो यह सामने आएगा की वर्ष 2030 तक सोलर से राजस्थान में 65,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है यानि 1.92 लाख एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी और अनुमानित 40 लाख पेड़ो का बलिदान होगा | भारत सरकार को तत्काल दखल देकर सोलर प्रोजेक्टों से तबाह हो रहे राजस्थान के इकोलॉजिकल सिस्टम को बचाने के लिए राजस्थान में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट बनवाने व खेजड़ी के वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने हेतु ठोस कदम उठाने की जरूरत है |
दरअसल, बाड़मेर जिला प्रशासन की ओर से खेजड़ी की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और मशीनें जब्त करने की भी बात सामने आई है...लेकिन सवाल ये है कि क्या बाड़मेर से लेकर बीकानेर तक खेजड़ी के लाखों पेड़ काटे नहीं जा रहे हैं ? पेड़ काटे नहीं गए हैं ? आपको बता दें कि राजस्थान में खेजड़ी की तो बात ही अलग है, किसी भी प्रकार के एक भी पेड़ का महत्व राजस्थान का आदमी भलीभांति समझता है। यहां पेड़ कटने से ज्यादा दुखद कुछ भी नहीं हो सकता। राजस्थान में और खास तौर से पश्चिमी राजस्थान में जहां सरकार को सोलर प्लांट लगाने हैं वहां भी बंजर जमीन की कोई कमी नहीं है। ऐसे में जितने भी पेड़ बच गए हैं उन्हें बचाते हुए सोलर प्लांट बंजर जमीन पर लगाया जा सकता है ।
वहीं आपको बता दें कि एक ओर भजनलाल सरकार की ओर से "एक पेड़ मां के नाम" पर पेड़ लगाए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर हरी-भरी खेजड़ी के पेड़ उखाड़ कर किसके नाम कर रहे हैं । एक पेड़ लगाने से पेड़ लगाने वाले को पुण्य मिलता है तो एक पेड़ उखाड़ने का पाप किसको लगने वाला है ? बाड़मेर जिले के शिव क्षेत्र का यह दृश्य हर प्रकृति प्रेमी और खेजड़ी प्रेमी का कलेजा चीरने के लिए काफी है, लेकिन हम एक मृत समाज के तौर पर पहचान बनाते जा रहे हैं । इसी मारवाड़ क्षेत्र में खेजड़ी को बचाने के लिए जिन 363 लोगों ने अपना जीवन बलिदान किया था, वे भी जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर उन्होंने किन नुगरों के लिए अपनी मूल्यवान जिंदगी कुर्बान की? ये बेहद शर्मनाक और बेहद अफसोसजनक बात हैं ।
तो एक तरफ जहां सरकार "एक पेड़ मां के नाम" के तहत हरियाली बढ़ाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ हरी-भरी खेजड़ी के लाखों पेड़ विकास की आड़ में बेरहमी से काटे जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ये विकास है या विनाश ? क्या सरकार सच में पर्यावरण के प्रति गंभीर है ? क्या खेजड़ी जैसे पारिस्थितिकी आधार को बचाने के लिए Tree Protection Act लागू किया जाएगा ? क्या बंजर ज़मीन की उपलब्धता के बावजूद पेड़ों की बलि देना जरूरी है? और सबसे बड़ा सवाल — क्या 363 शहीदों की कुर्बानी को हम यूँ ही भुला देंगे? अब वक्त है सवाल पूछने का… अब वक्त है जागने का... क्योंकि अगर अब भी नहीं जगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ सिर्फ तस्वीरों में देख पाएंगी — खेजड़ी का वो पेड़, जो कभी मरूभूमि की जान हुआ करता था। ऐसी ही प्रदेश से जुड़ी बड़ी खबरों के लिए बने रहिए पंजाब केसरी राजस्थान के साथ।