अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर लगाया खनन माफिया से मिलीभगत का आरोप

Edited By Anil Jangid, Updated: 21 Dec, 2025 04:38 PM

ashok gehlot accuses bjp government of colluding with mining mafia

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव एवं राजेन्द्र राठौड़ द्वारा भाजपा की ओर से जारी मिथ्यापूर्ण बयानों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा सरकार की खनन माफिया से मिलीभगत और गलत नीतियों पर...

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अरावली मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव एवं राजेन्द्र राठौड़ द्वारा भाजपा की ओर से जारी मिथ्यापूर्ण बयानों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा सरकार की खनन माफिया से मिलीभगत और गलत नीतियों पर पर्दा डालने के लिए अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, जबकि सच्चाई सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है।

 

2010 बनाम 2024: 100 मीटर परिभाषा का सच क्या है?
गहलोत ने कहा कि यह सत्य है कि 2003 में तत्कालीन राज्य सरकार को विशेषज्ञ समिति (एक्सपर्ट कमिटी) ने आजीविका और रोजगार के दृष्टिकोण से '100 मीटर' की परिभाषा की सिफारिश की थी, जिसे राज्य सरकार ने एफिडेविट के माध्यम से 16 फरवरी 2010 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसे महज तीन दिन बाद 19 फरवरी 2010 को ही खारिज कर दिया था। हमारी सरकार ने न्यायपालिका के आदेश का पूर्ण सम्मान करते हुए इसे स्वीकार किया और फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) से मैपिंग करवाई। 

 

उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस सरकार ने पहली बार अरावली में अवैध खनन पकड़ने के लिए गंभीर प्रयास करते हुए 'रिमोट सेंसिंग' (Satellite Imagery) का उपयोग करने के निर्देश दिए। 15 जिलों में सर्वे के लिए 7 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। राज्य सरकार ने अवैध खनन को रोकने की सीधी जिम्मेदारी SP (पुलिस अधीक्षक) और जिला कलेक्टर को सौंपी। खान विभाग के साथ पुलिस को भी कार्रवाई के अधिकार दिए गए जिससे अवैध खनन पर लगाम लगी।

 

सवाल यह है कि जो परिभाषा सुप्रीम कोर्ट में 14 साल पहले 2010 में ही 'खारिज' हो चुकी थी, उसी परिभाषा का 2024 में राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार ने समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की? क्या यह किसी का दबाव था या इसके पीछे कोई बड़ा खेल है?

 

आंकड़े गवाह हैं: कांग्रेस की सख्ती बनाम भाजपा की नरमी
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की नीति अवैध खनन के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की रही है, जिसके परिणाम आंकड़ों में स्पष्ट हैं:

1. जुर्माना वसूली: हमारी कांग्रेस सरकार (2019-2024) ने अवैध खनन कर्ताओं से 464 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला, जो कि पिछली भाजपा सरकार (2013-2018) द्वारा वसूले गए 200 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है।

 

2. सख्त कार्रवाई: हमारी कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 वर्षों में 4,206 FIR दर्ज कर माफियाओं की कमर तोड़ी थी। वहीं, वर्तमान सरकार के पहले साल के आंकड़े बताते हैं कि कार्रवाई की गति धीमी पड़ गई है, जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद हो रहे हैं।  कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 वर्षों में 4,206 FIR दर्ज कर माफिया की कमर तोड़ी जिनमें पहले तीन वर्षों में ही(2019-20 में 930, 2020-21 में 760, और 2021-22 में 1,305 FIR दर्ज कर खनन माफियाओं को कानून के कठघरे में खड़ा किया। वहीं, मौजूदा भाजपा सरकार (2024-25) पहले साल में केवल 508 FIR दर्ज कर पाई है। FIR की संख्याओं में यह गिरावट दिखाती है कि भाजपा सरकार खनन माफिया के प्रति नरम है जिससे खनन माफिया के हौसले फिर से बुलंद हो रहे हैं।

 

राजस्थान को रेगिस्तान बनने से बचाएं
गहलोत ने कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है जो थार मरुस्थल को बढ़ने से रोकती है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जी स्वयं इसी प्रदेश से आते हैं, उनसे अपेक्षा थी कि वे अरावली के संरक्षक बनेंगे, न कि विनाशक। जिस प्रकार खेजड़ली में हमारे पूर्वजों ने श्रीमती अमृता देवी के नेतृत्व में पेड़ों एवं प्रकृति के लिए बलिदान दिया था एवं उसी भावना के साथ हमें अरावली को बचाना होगा।

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