उपराष्ट्रपति ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, कोटा के चौथे दीक्षांत समारोह को किया संबोधित

Edited By Kailash Singh, Updated: 12 Jul, 2025 06:45 PM

vice president addresses the 4th convocation of bhartiya iiit kota

भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने शनिवार को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT), कोटा, राजस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा, “कोचिंग सेंटर अब ‘पोचिंग सेंटर’ बन चुके हैं। ये सुदृढ़ सांचों में प्रतिभा को...

उपराष्ट्रपति ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, कोटा के चौथे दीक्षांत समारोह को किया संबोधित
जयपुर, 12 जुलाई। भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने शनिवार को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIIT), कोटा, राजस्थान के चौथे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा, “कोचिंग सेंटर अब ‘पोचिंग सेंटर’ बन चुके हैं। ये सुदृढ़ सांचों में प्रतिभा को जकड़ने वाले काले छिद्र बन गए हैं। कोचिंग सेंटर अनियंत्रित रूप से फैल रहे हैं, जो हमारे युवाओं के लिए, जो कि हमारे भविष्य हैं-एक गंभीर संकट बनता जा रहा है। हमें इस चिंताजनक बुराई से निपटना ही होगा। हम अपनी शिक्षा को इस तरह कलंकित और दूषित नहीं होने दे सकते।” धनखड़ ने आगे कहा, “अब देश किसी सैन्य आक्रमण से नहीं, बल्कि विदेशी डिजिटल बुनियादी ढांचे पर निर्भरता से कमजोर और पराधीन होंगे। सेनाएं अब एल्गोरिद्म में बदल गई हैं। संप्रभुता की रक्षा का संघर्ष अब तकनीकी स्तर पर लड़ा जाएगा।” उपराष्ट्रपति ने तकनीकी नेतृत्व को नई राष्ट्रभक्ति का आधार बताते हुए कहा, “हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं- एक नए राष्ट्रवाद के युग में। तकनीकी नेतृत्व अब देशभक्ति की नई सीमा रेखा है। हमें तकनीकी नेतृत्व में वैश्विक अगुवा बनना होगा।” धनखड़ ने रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात-निर्भरता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “यदि हम रक्षा के क्षेत्र में बाहर से तकनीकी उपकरण प्राप्त करते हैं, तो वह देश हमें ठहराव की स्थिति में ला सकता है।” डिजिटल युग में बदलती वैश्विक शक्ति संरचनाओं की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “21वीं सदी का युद्धक्षेत्र अब भूमि या समुद्र नहीं है। पारंपरिक युद्ध अब अतीत की बात हो गई है। आज हमारी शक्ति और प्रभाव ‘कोड, क्लाउड और साइबर’ से तय होते हैं।”

धनखड़ ने कहा, “हम गुरुकुल की बात कैसे न करें? हमारे संविधान की 22 दृश्य-प्रतिमाओं में एक गुरुकुल की छवि भी है। हम सदैव ज्ञानदान में विश्वास रखते आए हैं। कोचिंग सेंटर को अपने ढांचे का उपयोग कौशल केंद्रों में परिवर्तित करने के लिए करना चाहिए। मैं नागरिक समाज और जनप्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि इस समस्या की गंभीरता को समझें और शिक्षा में पुनर्संयम लाने हेतु एकजुट हों। हमें कौशल आधारित कोचिंग की आवश्यकता है।”

 धनखड़ ने अंकों की होड़ के दुष्परिणामों पर चेताते हुए कहा, “पूर्णांक और मानकीकरण के प्रति जुनून ने जिज्ञासा को खत्म कर दिया है, जो कि मानव बुद्धिमत्ता का एक स्वाभाविक अंग है। सीटें सीमित हैं लेकिन कोचिंग सेंटर हर जगह फैले हुए हैं। वे वर्षों तक छात्रों के मन को एक ही ढर्रे में ढालते हैं, जिससे उनकी सोचने की शक्ति अवरुद्ध हो जाती है। इससे कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।” त्रों को अंकों से ऊपर सोचने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा, “आपकी मार्कशीट और अंक आपको परिभाषित नहीं करेंगे। प्रतिस्पर्धी दुनिया में प्रवेश करते समय, आपका ज्ञान और सोचने की क्षमता ही आपको परिभाषित करेगी।”

डिजिटल क्षेत्र की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “एक स्मार्ट ऐप जो ग्रामीण भारत में काम नहीं करता, वह पर्याप्त स्मार्ट नहीं है। एक एआई मॉडल जो क्षेत्रीय भाषाओं को नहीं समझता, वह अधूरा है। एक डिजिटल उपकरण जो दिव्यांगों को शामिल नहीं करता, वह अन्यायपूर्ण है।” युवाओं से स्थानीय समाधान को वैश्विक स्तर तक ले जाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “भारत के युवाओं को टेक्नोलॉजी की दुनिया के सजग संरक्षक बनना चाहिए। हमें भारत के लिए भारतीय प्रणालियां बनानी होंगी और उन्हें वैश्विक बनाना होगा।” डिजिटल आत्मनिर्भरता में भारत को अग्रणी बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “हमें अपनी डिजिटल नियति के निर्माता बनना होगा और अन्य देशों की नियति को भी प्रभावित करना होगा। हमारे कोडर, डेटा वैज्ञानिक, ब्लॉकचेन इनोवेटर और एआई इंजीनियर आज के राष्ट्र निर्माता हैं। भारत, जो कभी वैश्विक अग्रणी था, अब केवल उधार की तकनीक का उपयोगकर्ता बनकर नहीं रह सकता। पहले हमें तकनीक के लिए वर्षों प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। अब यह समय सप्ताहों में सिमट गया है। हमें तकनीक का निर्यातक बनना चाहिए।”  धनखड़ ने शिक्षा को फैक्टरी की तरह संचालित करने की प्रवृत्ति का विरोध करते हुए कहा, “हमें इस असेंबली-लाइन संस्कृति को समाप्त करना होगा क्योंकि यह हमारी शिक्षा के लिए अत्यंत खतरनाक है। कोचिंग सेंटर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के विपरीत हैं। यह विकास और प्रगति में बाधाएं उत्पन्न करता है।” उन्होंने कोचिंग सेंटरों द्वारा विज्ञापनों पर भारी खर्च की आलोचना करते हुए कहा, “अखबारों में विज्ञापनों और होर्डिंग्स पर भारी पैसा बहाया जाता है। यह पैसा उन छात्रों से आता है जो या तो कर्ज लेकर या बड़ी कठिनाई से अपनी पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। यह धन का उपयुक्त उपयोग नहीं है। ये विज्ञापन भले ही आकर्षक लगें, पर हमारी सभ्यतागत आत्मा के लिए आँखों की किरकिरी बन गए हैं।”अपने उद्बोधन का समापन करते हुए उपराष्ट्रपति ने रटंत शिक्षा की संस्कृति की तीव्र आलोचना की “हम आज रट्टा मारने की संस्कृति के संकट से जूझ रहे हैं, जिसने जीवंत मस्तिष्कों को केवल अस्थायी जानकारी के यंत्रवत भंडारों में बदल दिया है। इसमें न तो कोई आत्मसात है, न कोई समझ। यह रचनात्मक विचारकों की बजाय बौद्धिक ‘ज़ॉम्बी’ तैयार कर रहा है। रट्टा ज्ञान नहीं देता, केवल स्मृति देता है। यह डिग्रियों को गहराई के बिना जोड़ता है।”

महात्मा बुद्ध के विचारों से युवाओं को किया प्रेरित- ‘‘अप्प दीपो भवः’’
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, कोटा के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि जीवन की एक नई शुरुआत है। यह वह पड़ाव है जहां से युवा अपने ज्ञान, विचार और दृष्टिकोण से समाज और देश के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। राज्यपाल ने कहा कि भारत ने विश्व को ऐसे कई इंजीनियर दिए हैं जिन्होंने वैश्विक मंच पर देश का नाम रोशन किया है। कोटा को उन्होंने ‘औद्योगिक और शैक्षिक नगरी’ की उपाधि देते हुए कहा कि यह शहर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। अपने उद्बोधन में उन्होंने महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध वाक्य ‘अप्प दीपो भवः’ अपना दीपक स्वयं बनो को उद्धृत करते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपने भीतर प्रकाश उत्पन्न करे और अपनी मेधा से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को आलोकित करें। उन्होंने भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम,  एम. विश्वेश्वरैया, सुंदर पिचाई, सत्य नडेला तथा वर्गीस कुरियन जैसे महान व्यक्तित्वों का उदाहरण देते हुए बताया कि इन विभूतियों ने न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपितु सामाजिक उत्थान में भी अद्वितीय योगदान दिया है। राज्यपाल ने डॉ. कलाम के नाम का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि उनके नाम में ‘अवुल पकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम’ उनके गांव, उनके पिता और भारतीय संस्कृति के मूल्यों का प्रतीक है जो यह दर्शाता है कि हमारी जड़ें हमारी पहचान होती हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नौकरी की तलाश करने वाले नहीं, बल्कि रोजगार सृजक बनें। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार युवाओं की हैंडहोल्डिंग के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समर्थन प्रदान कर रही है। यह समय अपनी बौद्धिक क्षमता के विकास का है।
राज्यपाल बागड़े ने ‘श्वेत क्रांति’ के जनक वर्गीस कुरियन का उल्लेख करते हुए कहा कि वे अपने कार्य में इतने समर्पित थे कि उनकी पहचान स्वयं उनका कार्य बन गया। यही उदाहरण आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि शिक्षा समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त माध्यम है। समारोह में कुल 189 डिग्रियां प्रदान की गईं। जिनमें से कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग (सीएसई) में 123 बीटेक डिग्री, इलेक्ट्रोनिक्स और कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग (ईसीई) में 62 बी टेक डिग्री व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता के साथ सीएसई में 4 एम टेक डिग्री प्रदान की गईं। वहीं शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए अंकुर अग्रवाल (सीएसई) व ध्रुव गुप्ता (ईसीई) को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री  मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. भट्ट, निदेशक प्रो. एन.पी. पाढ़ी, कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, लाडपुरा विधायक  कल्पना देवी, जिला कलक्टर पीयूष समारिया, पुलिस अधीक्षक शहर डॉ. अमृता दुहन, आईएएस प्रशिक्षु आराधना चौहान सहित संस्थान की फैकल्टी, छात्र-छात्राएं एवं गणमान्यजन उपस्थित रहे

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