श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में भव्य आयोजन

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 10 Jul, 2025 04:38 PM

grand event organized under the aegis of divya jyoti jagrati sansthan

जयपुर | आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा जो गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है,  इस बार भी दिव्य भक्ति, ज्ञान और गुरु-समर्पण की त्रिवेणी में स्नान कराकर गई। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा आयोजित "श्री गुरु पूर्णिमा...

जयपुर | आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा जो गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के रूप में जानी जाती है,  इस बार भी दिव्य भक्ति, ज्ञान और गुरु-समर्पण की त्रिवेणी में स्नान कराकर गई। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा आयोजित "श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव" एक अद्वितीय संगम सिद्ध हुआ, जहां सनातन परंपरा, गुरुकुल की शाश्वत शिक्षा, वैज्ञानिक चिंतन और पर्यावरणीय जागरूकता की त्रिपुटी देखने को मिली। इस भव्य आयोजन की अध्यक्षता संस्थान के संस्थापक एवं संचालक दिव्य गुरु सर्व आशुतोष महाराज के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुई। सत्संग प्रवचनों की दिव्य धारा साध्वी मणिमाला भारती एवं साध्वी लोकेशा भारती के श्रीमुख से प्रवाहित हुई, जिसमें उन्होंने गुरु की महिमा, वैदिक ज्ञान और आत्मिक उत्थान के महत्व को सरल, सजीव एवं भावपूर्ण रूप में श्रोताओं के सम्मुख रखा।

कार्यक्रम में विशेष रूप से गोपाल शर्मा (विधायक, सिविल लाइंस, जयपुर), सोमकांत शर्मा (सचिव, HSS राजस्थान), सुमन शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, महिला आयोग) तथा हेमंत शर्मा (अध्यक्ष, डीग ब्रज क्षेत्र, राजस्थान सरकार) ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दी और गुरु परंपरा के इस दिव्य उत्सव की गरिमा को और बढ़ाया। सत्संग में बताया गया कि महर्षि वेदव्यास के अवतरण दिवस को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह केवल एक पूजन पर्व नहीं, अपितु छात्र प्रवेश ( एडमिशन डे ) एवं दीक्षांत समारोह (Convocation Day) के रूप में भी प्राचीन भारत में महत्वपूर्ण रहा है। यह दिन गुरुकुलों में नव-शिष्यों के प्रवेश तथा विद्वान छात्रों को दीक्षा प्रदान करने का महोत्सव होता था। कार्यक्रम में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गुरु पूर्णिमा की महत्ता को रेखांकित किया गया। ब्रिटिश लेखक आर्थर चार्ल्स स्टोक के शोधों के आधार पर बताया गया कि इस दिन पराबैंगनी विकिरण के कारण साधना एवं ध्यान के लिए वातावरण अत्यंत अनुकूल हो जाता है। यह दिन आत्मिक उन्नयन हेतु वैज्ञानिक रूप से भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

भक्तिभाव के साथ सेवा और प्रकृति-संरक्षण
महोत्सव के समापन अवसर पर भंडारा प्रसादी का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रेमपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में सेवा कर रहे सेवादारों की विनम्रता और समर्पण ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। साथ ही, संस्थान की पर्यावरण-रक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए इस अवसर पर 5,000 पौधों का नि:शुल्क वितरण किया गया। यह वितरण केवल पौधारोपण नहीं, अपितु हर व्यक्ति को प्रकृति के साथ जुड़ने और गुरु की शिक्षाओं को धरती के कल्याण में रूपांतरित करने का संदेश था। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित इस आयोजन ने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का संचार किया, अपितु सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गौरव, प्रकृति-प्रेम एवं वैदिक जीवनशैली की पुनर्प्रतिष्ठा की भावना को भी जनमानस में प्रबल किया।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!