वैवाहिक जीवन के सुख और समृद्धि का पर्व: 12 अगस्त को मनाई जाएगी कजरी तीज

Edited By Shruti Jha, Updated: 10 Aug, 2025 04:40 PM

kajari teej will be celebrated on 12th august

हरियाली तीज के बाद सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार, कजरी तीज, इस साल 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इसे 'सातुड़ी तीज' या 'बड़ी तीज' के नाम से भी जाना जाता है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका, ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि...

वैवाहिक जीवन के सुख और समृद्धि का पर्व: 12 अगस्त को मनाई जाएगी कजरी तीज

अजमेर, राजस्थान - हरियाली तीज के बाद सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार, कजरी तीज, इस साल 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इसे 'सातुड़ी तीज' या 'बड़ी तीज' के नाम से भी जाना जाता है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका, ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अनुसार, यह पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

शुभ संयोग और पूजन विधि

ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, इस वर्ष कजरी तीज पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें सुकर्म योग और सर्वार्थ सिद्धि योग शामिल हैं। इस दिन अंगारकी चतुर्थी का भी संयोग बन रहा है, जो सुहाग और संतान दोनों के लिए लाभदायक है। उन्होंने बताया कि इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। पूजा के दौरान नीमड़ी माता की पूजा का विधान है, जिसमें रोली, मेहंदी, काजल की बिंदियां लगाई जाती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

व्रत के नियम और कथा

यह व्रत आमतौर पर निर्जला रखा जाता है, हालांकि गर्भवती महिलाएं फलाहार कर सकती हैं। अगर चंद्रमा दिखाई न दे, तो रात लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है। नीतिका शर्मा ने व्रत की पौराणिक कथा भी सुनाई, जिसमें एक गरीब ब्राह्मण की पत्नी की भक्ति और तीज व्रत के महत्व का वर्णन है, जिसके प्रभाव से उनका जीवन सुखमय हो गया।

कन्याएं भी रखती हैं व्रत

इस दिन केवल सुहागिन ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को इसी दिन प्राप्त किया था, इसलिए यह व्रत अविवाहितों के लिए भी विशेष फलदायी है। इस दिन सोलह श्रृंगार करके पूजा करना और लोकगीत गाना शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से गायों की पूजा भी की जाती है।

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