मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान- 2025 : ज्ञान संपदा में भारत सर्वाधिक समृद्ध, जरूरत हैं स्वयं को समर्थ और सक्षम बनाने की - राज्यपाल बागडे

Edited By Chandra Prakash, Updated: 31 Jul, 2025 07:28 PM

mohanlal sukhadia memorial lecture 2025

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़ ने कहा कि दुनिया का ऐसा कोई विषय नहीं है, जिसका प्रथम लिखित प्रमाण भारतीय ग्रंथों में उपलब्ध नहीं हो। भारतीय ज्ञान संपदा सर्वाधिक समृद्ध और विपुल है। जरूरत है स्वयं को समर्थ और सक्षम बनाते हुए इस संपदा का सदुपयोग करने की।

जयपुर / उदयपुर, 31 जुलाई 2025। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़ ने कहा कि दुनिया का ऐसा कोई विषय नहीं है, जिसका प्रथम लिखित प्रमाण भारतीय ग्रंथों में उपलब्ध नहीं हो। भारतीय ज्ञान संपदा सर्वाधिक समृद्ध और विपुल है। जरूरत है स्वयं को समर्थ और सक्षम बनाते हुए इस संपदा का सदुपयोग करने की। 

बागड़े गुरूवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के बप्पा रावल सभागार में विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित मोहनलाल सुखाड़िया स्मृति व्याख्यान-2025 को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय वेदों में प्रत्येक विषय अंकित है। हजारों साल पहले अगस्त्य ऋषि ने बिजली उत्पादन के बारे में उल्लेख कर दिया था। महर्षि भारद्धाज ने विमान शास्त्र पुस्तक में विमान निर्माण का वर्णन किया। इसी पुस्तक से प्रेरित होकर महाराष्ट्र के एक इंजीनियर ने 1895 में विमान बनाया और उसे प्रायोगिक तौर पर उड़ाकर भी दिखाया था, लेकिन तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने उसे ध्वस्त कर ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऋग्वेद में खगोल शास्त्र का वर्णन मिलता है। आर्यभट्ट महान खगोल शास्त्री हुए। भास्काराचार्य ने 1150ई में बता दिया था कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। इतना ही नहीं उन्होंने परिक्रमा में लगने वाले समय का सटीक आंकलन तक कर दिया था।  राज्यपाल ने कहा कि भारत 1000 सालों तक आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए लड़ता रहा। इसलिए इन ग्रंथों में वर्णित तथ्यों पर शोध कार्य प्रभावित हुए। इसी का लाभ उठाकर विदेशी विद्वानों ने हमारी ही ज्ञान संपदा का उपयोग कर बहुत आविष्कार किए। 

राज्यपाल श्री बागडे ने कहा कि भारत वास्तुकला, साहित्य से लेकर हर क्षेत्र में समृद्ध रहा है। पाश्चात्य विद्वान मैक्समूलर ने स्वयं लिखा है कि भारत में दो पुस्तकों का रामायण और महाभारत का व्यापक प्रभाव है और यह प्रभाव कोई 500-700 सालों का नहीं हजारों हजार सालों का है। 

राज्यपाल ने शिक्षा जगत से जुड़े लोगां तथा विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी समर्थता और सक्षमता बढ़ाने की आवश्यक है। इसके लिए बहुत तपना पड़ता है, लेकिन लोगों में सहनशीलता भी नहीं रही। उन्होंने महाराणा सांगा का उदाहरण देते हुए कहा कि सहनशीलता महाराणा सांगा से सीखनी चाहिए, जो 80 घाव खाकर भी युद्ध के लिए आतुर रहते थे।

व्याख्यान के मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि दुनिया की हर चुनौती का समाधान भारतीय ज्ञान संपदा में निहित है। भारत की इस संपदा को सोची समझी साजिश के तहत नष्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के माध्यम से इसे पुनर्स्थापित करने की पहल हुई है। सफर अभी बहुल लंबा है, लेकिन छोटे-छोटे प्रयासों से यह संभव किया जा सकता है। डॉ कोठारी ने शिक्षा जगत से जुड़े लोगों से अपील की कि वे अपने-अपने विषय के भारतीय इतिहास को जरूर पढ़ें और विद्यार्थियों को भी इससे अवगत कराएं। विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो सुनीता मिश्रा  ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। 

कुम्भा कला भवन का लोकार्पण
इससे पूर्व राज्यपाल बागड़े ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित महाराणा कुम्भा कला भवन का लोकार्पण किया। कुलगुरू प्रो सुनीता मिश्रा ने अवगत कराया कि कुम्भा कला भवन में मेवाड़ की विविध कलाओं को प्रदर्शित किया गया है, ताकि विद्यार्थी यहां के सांस्कृतिक वैभव से रूबरू हो सकें। राज्यपाल ने कला दीर्घा का अवलोकन करते हुए प्रशंसा की तथा ऐसे प्रयासों को निरंतर जारी रखने की आवश्यकता जताई। 


 

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