Edited By Sourabh Dubey, Updated: 29 Jul, 2025 06:52 PM

तेज बारिश के बावजूद राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर में सोमवार को बूढ़ी तीज की ऐतिहासिक सवारी पारंपरिक आस्था और उल्लास के साथ निकाली गई। यह सवारी न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह राजस्थान की लोकसंस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक भी मानी...
जयपुर। तेज बारिश के बावजूद राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर में सोमवार को बूढ़ी तीज की ऐतिहासिक सवारी पारंपरिक आस्था और उल्लास के साथ निकाली गई। यह सवारी न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह राजस्थान की लोकसंस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक भी मानी जाती है।
गामा पहलवान बने विशेष आकर्षण
सवारी की शुरुआत रंग-बिरंगी लोक झांकियों, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों और परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुन के साथ हुई।
गामा पहलवान हाथी पर सवार होकर पचरंगा झंडा लहराते हुए सबसे आगे थे। उनके पीछे चल रही तोपगाड़ी, ऊंटों पर सवार हथियारबंद सुरक्षाकर्मी और बैलों की सजावट ने दर्शकों का मन मोह लिया।
महिलाओं के लिए विशेष महत्व
बूढ़ी तीज विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। महिलाएं दिनभर व्रत रखकर, मंदिरों में पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना करती हैं।
आज पूरे शहर में पारंपरिक राजस्थानी गीतों की गूंज और रंग-बिरंगे परिधानों में सजी महिलाओं की मौजूदगी ने उत्सव को और भी भव्य बना दिया।
श्रावण मास की शुरुआत का प्रतीक
इससे पहले रविवार को तीज माता की सवारी भी उत्साह के साथ निकाली गई, जिसे श्रावण मास की धार्मिक शुरुआत माना जाता है। बूढ़ी तीज की सवारी सदियों पुरानी परंपरा है जो आज भी जनमानस को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ती है।