Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 16 Aug, 2025 11:28 AM

जयपुर। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व राजस्थान के मंदिरों में सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यहां झांकियों, रासलीला, भजन संध्या और दही-हांडी जैसी परंपराओं से यह उत्सव और भी जीवंत हो जाता है। कान्हा की बांसुरी, झूलते नंदलाल और माखन चुराते...
जयपुर। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व राजस्थान के मंदिरों में सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यहां झांकियों, रासलीला, भजन संध्या और दही-हांडी जैसी परंपराओं से यह उत्सव और भी जीवंत हो जाता है। कान्हा की बांसुरी, झूलते नंदलाल और माखन चुराते गोपाल की झलक हर मंदिर में देखने को मिलती है।
इस साल जन्माष्टमी पर वृद्धि, ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य – ऐसे 6 शुभ योगों का खास संयोग बन रहा है। पंचांग के मुताबिक, अष्टमी तिथि 15 अगस्त रात 11:50 से 16 अगस्त रात 9:35 तक रहेगी। अष्टमी सूर्योदय व्यापिनी होने से पर्व का मुख्य आयोजन शनिवार, 16 अगस्त को होगा।
राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों की झलक
श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा (राजसमंद) – 56 भोग और भव्य झांकी
गोविंद देवजी मंदिर, जयपुर – रात्रि 12 बजे सोने-चांदी के आभूषणों से सजे कान्हा
खाटूश्यामजी मंदिर, सीकर – रासलीला, भजन संध्या और फूलों की सजावट
मदन मोहन मंदिर, करौली – पूरी नगरी में शोभायात्रा और लोक नृत्य
जगदीश मंदिर, उदयपुर – रासलीला और मध्यरात्रि अभिषेक
अजमेर का अंबाजी मंदिर – महिलाओं द्वारा सजाया गया झूला और दीप सज्जा
रंगजी मंदिर, अलवर – दक्षिण भारतीय शैली का अभिषेक और भव्य झांकी
पुष्कर के कृष्ण मंदिर – घाटों पर कीर्तन और बाल लीलाओं की झांकी
लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर – लड्डू गोपाल की झांकी और कृष्ण जन्मकुंडली का वाचन
भक्ति और लोक संस्कृति का संगम
राजस्थान में जन्माष्टमी सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि लोक संस्कृति का उत्सव है। जब आधी रात को शंख बजते हैं, नगाड़ों की गूंज उठती है और भक्त एक स्वर में गाते हैं “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की”, तो लगता है मानो पूरा राजस्थान वृंदावन बन गया हो।