Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 13 Aug, 2025 02:03 PM

जयपुर | जन्माष्टमी (16 अगस्त) के नजदीक आते ही जयपुर के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में तैयारियों का दौर अंतिम चरण में है। गोविंद देवजी मंदिर, राधादामोदर जी और गोपीनाथजी मंदिरों सहित अन्य मंदिरों को रंग-बिरंगी झालरों और रोशनी से सजाया जा रहा है।
जयपुर | जन्माष्टमी (16 अगस्त) के नजदीक आते ही जयपुर के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में तैयारियों का दौर अंतिम चरण में है। गोविंद देवजी मंदिर, राधादामोदर जी और गोपीनाथजी मंदिरों सहित अन्य मंदिरों को रंग-बिरंगी झालरों और रोशनी से सजाया जा रहा है। इस्कॉन और कृष्ण बलराम मंदिर सहित अन्य मंदिरों में विदेशी फूलों से भगवान श्रीकृष्ण का भव्य श्रृंगार किया जाएगा।
विशेष प्रवेश नियम:
गोविंद देवजी मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं को सिर्फ भारतीय परिधान में प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर प्रबंधन ने हृदय रोगी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और सांस की तकलीफ वाले रोगियों से मंदिर आने से बचने की अपील की है।
15 अगस्त को छावण क्षेत्र में प्रवेश बंद:
15 अगस्त को मंदिर के छावण क्षेत्र में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद रहेगा। दर्शन के लिए भक्त निर्धारित गेट और रूट का पालन करेंगे।
जन्माष्टमी का मुख्य आयोजन (16 अगस्त):
रात्रि 10-11 बजे: जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ गोविंद मिश्र करेंगे।
रात 12 बजे: ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक।
विशेष आतिशबाजी और 31 तोपों की हवाई गर्जना।
अभिषेक में 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा और 11 किलो शहद अर्पित किया जाएगा।
लगभग 3,000 कार्यकर्ता और 150 स्काउट सेवा में जुटेंगे।
दर्शनों के लिए 13 एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी।
दर्शन और प्रवेश व्यवस्था:
जलेब चौक से आने वाले श्रद्धालु: मुख्य द्वार, गेट नंबर 1 → लाइन → रैंप → दर्शन → गेट नंबर 2 से बाहर।
ब्रह्मपुरी/कंचन नगर से आने वाले श्रद्धालु: गेट नंबर 7 → लाइन → रैंप → दर्शन → गेट नंबर 6 से बाहर।
अष्टमी का विशेष योग:
इस वर्ष जन्माष्टमी पर छह शुभ योगों—वृद्धि, ध्रुव, श्रीवत्स, गजलक्ष्मी, ध्वांक्ष और बुधादित्य—का संयोग रहेगा। यह योग धन, सुख, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी 15 अगस्त की रात 11:50 बजे से 16 अगस्त की रात 9:35 बजे तक रहेगी।
धर्मानुसार भिन्न पर्व:
15 अगस्त: स्मार्त धर्मावलंबी जन्माष्टमी मनाएंगे।
16 अगस्त: वैष्णव संप्रदाय के धर्मावलंबी जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे।
दोनों ही दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं रहेगा।
जयपुर में जन्माष्टमी का यह भव्य उत्सव भक्तों को आध्यात्मिक आनंद और धार्मिक अनुभव का अनूठा अवसर प्रदान करेगा।