जैसलमेर की आंगनवाड़ियों में 'ज़हर' का खेल: नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं की जान से खिलवाड़

Edited By Shruti Jha, Updated: 30 Jul, 2025 05:41 PM

jaisalmer s anganwadis a grim reality beneath government claims

रेगिस्तान के धोरों के बीच बसे जैसलमेर शहर की आंगनवाड़ियों से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जो सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच की गहरी खाई को उजागर करती है। जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें गर्भवती महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के...

जैसलमेर की आंगनवाड़ियों में 'ज़हर' का खेल: नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं की जान से खिलवाड़

जैसलमेर, राजस्थान: रेगिस्तान के धोरों के बीच बसे जैसलमेर शहर की आंगनवाड़ियों से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जो सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच की गहरी खाई को उजागर करती है। जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें गर्भवती महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए करोड़ों की योजनाएं चला रही हैं, वहीं जैसलमेर शहर के राणीसर कॉलोनी स्थित आंगनवाड़ी केंद्र नंबर 17 में इन योजनाओं का खुलेआम मखौल उड़ाया जा रहा है। यहां एक्सपायरी डेट के पोषाहार पैकेट, अनुपस्थित कार्यकर्ता और बदहाल इमारतें नौनिहालों और गर्भवती माताओं की जान के साथ खिलवाड़ करती नजर आ रही हैं।

राणीसर कॉलोनी के आंगनवाड़ी केंद्र नंबर 17 की स्थिति इतनी दयनीय है कि उसे देखकर किसी की भी रूह कांप जाए। चौंकाने वाली बात यह है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को फरवरी महीने की एक्सपायरी डेट वाले पोषाहार पैकेट दिए जा रहे हैं, जिनकी उपयोग अवधि 90 दिन निर्धारित है। ऐसे पोषाहार का सेवन बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और जान के लिए गंभीर खतरा बन रहा है।

केंद्र से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी कई दिनों से नदारद हैं, जिससे इस केंद्र की पूरी जिम्मेदारी एक अकेली सहायिका के कंधों पर आ गई है। गैस चूल्हों पर जमी धूल की परतें साफ तौर पर बयां करती हैं कि यहां बच्चों को दूध, दलिया और फल जैसे बुनियादी पोषण भी नहीं मिल रहे हैं।

जैसलमेर शहर की आंगनवाड़ियों की सुपरवाइजर और उच्चाधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या इन अधिकारियों ने कभी इन आंगनवाड़ियों का निरीक्षण किया है? अगर किया होता तो इतनी घोर लापरवाही कैसे बरती जा रही है? इन आंगनवाड़ियों पर न तो सरकार द्वारा जारी किया गया बोर्ड लगा है, जिस पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं की संख्या होनी चाहिए, और न ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या आशा मौजूद हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत या घोर लापरवाही इन आंगनवाड़ियों को बदहाली की गर्त में धकेल रही है।

हाल ही में झालावाड़ में स्कूल दुर्घटना ने पूरे राजस्थान को सदमे में डाल दिया था। इसके बावजूद, जैसलमेर की इन आंगनवाड़ियों के कमरों में कई जगह दरारें आई हुई हैं, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे रही हैं। जब इमारतों की हालत इतनी खराब है, तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि यहां बच्चे सुरक्षित रह पाएंगे?

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राजस्थान सरकार अपनी कुंभकरणी नींद से जागकर ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, या फिर इसी प्रकार से महिलाओं और बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ होता रहेगा?

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