Edited By Anil Jangid, Updated: 31 Oct, 2025 04:27 PM

देशभर में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, जो अब ठगी का बड़ा जरिया बनती जा रही है. राजस्थान इस योजना के तहत किसानों की जमीन पर फर्जी बटाईदार बनकर बीमा क्लेम उठाने...
जयपुर। देशभर में किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, जो अब ठगी का बड़ा जरिया बनती जा रही है. राजस्थान इस योजना के तहत किसानों की जमीन पर फर्जी बटाईदार बनकर बीमा क्लेम उठाने के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं. पता चला है कि जोधपुर जिले समेत वहां बावड़ी, सायला, खेड़ापा, पीपाड़ और लूनी क्षेत्रों में सैकड़ों फर्जी बीमा क्लेम दर्ज किए गए हैं.
फसल बीमा योजना में मौजूद एक खामी का ठगों ने का फायदा उठाया. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, अगर कोई किसान अपनी जमीन किसी बटाईदार को खेती के लिए देता है, तो वह भी बीमा का पात्र होता है. इसी नियम का दुरुपयोग करते हुए ठगों ने फर्जी इकरारनामे तैयार किए और खुद को जमीन का बटाईदार दिखाकर बीमा कंपनियों से लाखों रुपये के क्लेम उठा लिए. जांच में सामने आया है कि कई असली जमीन मालिकों को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उनकी जमीन पर बीमा हो रहा है और क्लेम उठाए जा रहे हैं.
दरअसल, इस बार बारिश से पूरी फसल बर्बाद हो गई. जिसके बाद किसान जनसेवा केंद्र पर गए तो पता चला कि उनकी जमीन पर तो पहले से ही किसी और के नाम बीमा है और पिछले कई सालों से क्लेम भी उठाया जा रहा है।
इसको लेकर भारतीय किसान संघ के बावड़ी ब्लॉक अध्यक्ष मुकनाराम छापरिया का कहना है ि साल 2024 में केवल बावड़ी ब्लॉक में 1 करोड़ 63 लाख रुपए गेहूं की फसल का क्लेम उठा लिया गया, जबकि यहां गेहूं की खेती होती ही नहीं. खरीफ सीजन में 93 लाख रुपए मोठ की फसल के क्लेम के नाम पर उठाए गए, जबकि यहां मूंग, बाजरा और कपास की खेती होती है. यह पूरा खेल जनसेवा केंद्रों, कृषि विभाग और बीमा कंपनियों की मिलीभगत से चल रहा है.
इसके अलावा यह भी सामने आया है कि फर्जी बीमा क्लेम का सिलसिला जनसेवा केंद्रों से शुरू हुआ. फर्जी बटाईदारों के नाम पर स्टांप पेपर पर इकरारनामे तैयार कर पोर्टल पर अपलोड किए गए, लेकिन किसी स्तर पर फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं हुआ. इसके बाद जब फसल खराब घोषित की गई तो गिरदावरी रिपोर्ट भी राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से तैयार कर दी गई. गिरदावरी रिपोर्ट में फसल का नुकसान 80 से 90 प्रतिशत दिखाकर भारी क्लेम उठाए गए.
इसको लेकर जोधपुर जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल का भी कहना है कि ऐसे कई मामले उनके संज्ञान में आए हैं जिनकी पूरी जांच कराई जाएगी और दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसानों से भी अपील की गई है कि वो अपने दस्तावेज किसी को नहीं दें और जनसेवा केंद्रों पर सावधानी बरतें.
साथ ही किसानों के लिए चेतावनी जारी की गई है कि अपने जनाधार और आधार कार्ड की कॉपी किसी अजनबी को नहीं दें. ई-मित्र या जनसेवा केंद्र पर कोई भी आवेदन करते समय OTP और डिटेल्स खुद भरें. अपनी जमीन का बीमा स्टेटस कृषि रक्षक पोर्टल या ई-मित्र से खुद जांचें. फर्जी बीमा का संदेह होने पर तुरंत स्थानीय पुलिस या कृषि विभाग को सूचना दें.