Edited By Chandra Prakash, Updated: 04 Dec, 2024 02:47 PM
राजस्थान में हाल ही में सात सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद हनुमान बेनीवाल ने अपने बयानों से चर्चा बटोरी । हालांकि इन उपचुनावों में उनकी पार्टी आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । जिसके बाद से ही हनुमान...
जयपुर, 4 दिसंबर 2024 । राजस्थान में हाल ही में सात सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद हनुमान बेनीवाल ने अपने बयानों से चर्चा बटोरी । हालांकि इन उपचुनावों में उनकी पार्टी आरएलपी यानी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । जिसके बाद से ही हनुमान बेनीवाल के बयान चर्चाओं में रहे हैं । ऐसा ही एक बयान उन्होंने नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर दे दिया । जी हां हम आपको बताने वाले है हनुमान बेनीवाल का वो बयान ।
तो चलिए बात कर लेते हैं हनुमान बेनीवाल के उस बयान की, जिसमें हाल ही में चुने गए नव निर्वाचित सातों विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह के आयोजन पर आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने सवाल खड़ा कर दिया । उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की अवमानना हुई है । दरअसल, मंगलवार को राजस्थान विधानसभा उपचुनावों में जीते सातों विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ । इस दौरान समारोह में दौसा, खींवसर, झूंझुनूं, चौरासी, रामगढ़, देवली उनियारा और सलूंबर के नव नियुक्त विधायकों ने शपथ ली थी । विधायकों का ये शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के कक्ष में ही आयोजित हुआ । जिसको लेकर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भजनलाल सरकार पर सवाल उठाए ।
विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह पर बेनीवाल की आपत्ति
बेनीवाल ने सोशल मीडिया एक्स पर विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर आपत्ति जताई है । उन्होंने एक्स पर लिखा कि राजस्थान की विधानसभा में आज नव-निर्वाचित विधायकों की शपथ के कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी लोकतांत्रिक मूल्यों की अवमानना करके अधिनायकवाद की स्थापना करते हुए नजर आए,चूंकि कोई भी विधायक संबंधित क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधि है और लाखों मतदाता उन्हें चुनकर भेजते है और विधानसभा में संसदीय परम्परा भी रही है, कि विधानसभा सत्र के समय ही नव-निर्वाचित विधायकों की शपथ होती रही है । मगर विधानसभा अध्यक्ष जी ने खींवसर सहित अन्य विधानसभा क्षेत्रों से निर्वाचित हुए नव-निर्वाचित विधायकों की शपथ का कार्यक्रम सदन में ना रखते हुए खुद के कक्ष (कार्यालय) में रखा । साथ ही जिस तरह मुख्य सड़क पर स्थित पश्चिमी द्वार पर नव-निर्वाचित विधायकों की तलाशी लेकर उन्हें विधानसभा में प्रवेश के लिए 200 मीटर से अधिक पैदल ले जाया गया । जबकि नव-निर्वाचित विधायक को चुनाव में विजेता घोषित होने के साथ ही विधानसभा सदस्य के तौर पर मिलने वाली तमाम सुविधाएं प्रारंभ हो जाती है, ऐसे में नव -निर्वाचित विधायक किसी भी गाड़ी में बैठकर विधानसभा में जा सकते थे । मगर जो दृश्य विधानसभा के द्वार पर देखने को मिला व गिनती करके विधायकों के साथ गए लोगों को प्रवेश दिया गया,यह दृश्य उन विधायकों के साथ उस क्षेत्र की जनता का भी अपमान है । जिन्होंने वोट देकर उन विधायकों को इस पवित्र सदन में चुनकर भेजा और इस पूरे मामले में विधानसभा के दूसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का कोई वक्तव्य तक नहीं आना यह दर्शा रहा है, कि राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में बैठे जिम्मेदारों को विधायकों की गरिमा का कोई खयाल तक नहीं है ,चूंकि मुख्यमंत्री सदन के नेता होते है ऐसे में मेरी सीएम भजनलाल शर्मा जी से मांग है, कि इस विषय पर उन्हें खुद को वक्तव्य देना चाहिए, क्योंकि कहीं न कहीं देश में जो अधिनायकवाद बढ़ता जा रहा है । उसका प्रतिबिंब आज वासुदेव देवनानी जी ने विधानसभा में दिखाया साथ ही आनन-फानन में शपथ का कार्यक्रम करवाने से बेहतर होता कि विधानसभा अध्यक्ष विशेष सत्र आहूत कर लेते ताकि शपथ के साथ राजस्थान के वर्तमान हालातों पर भी चर्चा हो जाती !
बीजेपी के रेवंतराम डांगा ने खींवसर सीट पर जीत का लहराया परचम
खास बात ये है कि हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों में मिली हार के बात हनुमान बेनीवाल की हार की टीस कहीं न कहीं खत्म होती हुई नजर नहीं आ रही है । दरअसल बेनीवाल का गढ़ कही जाने वाली खींवसर विधानसभा सीट से भाजपा के रेवंतराम डांगा ने अपनी जीत का परचम लहराया है, हालांकि पिछली बार भी रेवंतराम डांगा चुनावी मैदान में उतरे थे,लेकिन बेनीवाल के सामने टिक नहीं पाए और चुनाव हार गए । ऐसे में आत्मविश्वास से ओतप्रोत हनु्मान बेनीवाल अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतार दिया था । लेकिन अबकी बार कई सालों से खींवसर सींट पर कब्जा जमाए बेनीवाल को हार का सामना करना पड़ा । इस सींट से हार के बाद अब बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का एक भी विधायक नहीं बचा और विधानसभा में आरएलपी की उपस्थिति समाप्त हो गई । जिसके बाद से हनुमान बेनीवाल अलग-अलग बयान देकर चर्चाओं में बने हुए हैं ।
हालांकि बेनीवाल ने अपनी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकतांत्रिक जनादेश का सम्मान किया, लेकिन भाजपा और कांग्रेस पर सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछली बार की तुलना में 15,000 अधिक वोट हासिल किए और जनहित के मुद्दों पर संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई ।
बेनीवाल ने उपचुनाव में शपथ ग्रहण पर कटाक्ष करते हुए राजस्थान की राजनीति में भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की बात कही। इसके अलावा, खींवसर में उनके और कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा के बीच तीखी बयानबाजी भी खबरों में रही,जिसमें व्यक्तिगत टिप्पणियां भी शामिल थीं, जो विवाद का कारण बनीं । अब बड़ा सवाल ये है कि हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का भविष्य क्या होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा ।