तारानगर में कौन बनेगा 'आंख का तारा', चेहरों की लड़ाई में क्या ज़मीनी मुद्दे नेपथ्य में!

Edited By Afjal Khan, Updated: 16 Nov, 2023 02:12 PM

who will become the  apple of the eye  in taranagar

राजस्थान की हॉट सीट कही जाने वाली तारानगर विधानसभा सीट पर राजस्थान की नज़रें टिकी है। 2018 के चुनावों में यहां से विधायक बनें पूर्व राज्यसभा सांसद नरेन्द्र बुढ़ानिया और नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के बीच मुकाबले और नेताओं के दल-बदल से यहां चुनाव...

विशाल सूर्यकांत
जयपुर / तारानगर (चुरू)।
राजस्थान की हॉट सीट कही जाने वाली तारानगर विधानसभा सीट पर राजस्थान की नज़रें टिकी है। 2018 के चुनावों में यहां से विधायक बनें पूर्व राज्यसभा सांसद नरेन्द्र बुढ़ानिया और नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के बीच मुकाबले और नेताओं के दल-बदल से यहां चुनाव रोचक हो चला है। कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र बुढ़ानिया यहां से मौजूदा विधायक हैं। वहीं राजेंद्र राठौड़ इस सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। वह 2008 में भी यहां से विधायक रह चुके हैं। राजेंद्र राठौड़ ने अपना पिछला चुनाव चूरू विधानसभा सीट से लड़ा थे। इस बार वो सीट बदल कर तारानगर से चुनाव लड़ रहे हैं। उधर, बहुजन समाज पार्टी ने छोटूराम के नाम की घोषणा कर यहां पर मामले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। तारानगर से अब भाजपा के राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस के नरेंद्र बुढ़ानिया और अब बसपा के छोटूराम मैदान में हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रत्याशियों ने यहां प्रचार और लोगों तक पहुंचने में एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। यहां दिलचस्प पहलू यह है कि ग्रामीण वोट जातिगत समीकरणों में इस तरह बंधे हुए हैं कि एक-दूसरे की जातियों में चुनावी सेंधमारी से ही जीत का रास्ता बनेगा। वहीं तारानगर के शहरी वोटर्स तय करेंगे कि जीत की राह किस तरफ बन रही है, क्योंकि यहां राजपूत और जाट के अलावा अन्य जातियां डिसाडिंग फैक्टर का काम करेंगी।  

क्या है तारानगर के मुद्दे -जातिगत समीकरण

तारानगर के ग्रामीण अंचलों में नहरी पानी एक मुद्दा बना हुआ है। इसके अलावा कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों की केन्द्र और राज्य में सरकार रहने के बावजूद यहां ट्रेन की समस्या का समाधान न हो पाना बड़ा मुद्दा बना हुआ है। शहरी क्षेत्र में जिस तरह की जमीनी संरचना है, उससे तारानगर शहर में जल भराव की समस्या लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। संकरी, उतार-चढ़ाव वाली गलियों में साफ-सफाई भी एक मुद्दा नज़र आया। पंजाब केसरी की टीम की पड़ताल में, तारानगर शहर में अंबेडकर सर्किल से सुराणा मार्केट सदस्यों ने अंबेडकर सर्किल से लेकर सुराणा मार्केट तक की संकरी गलियों में ट्रैफिक एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई। 


कैसी है सियासी जंग, क्या बन रही तस्वीर?  

दो कद्दावर नेताओं की जंग में तारानगर का वोटर मुखर नहीं है। वो दोनों नेताओं के कद, पद और भाषणों को तोल रहा है। इसीलिए दोनों ही नेताओं की सोशल मीडिया टीम, भाषणों की क्लिप और मीम्स को लेकर इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। हाल ही में बुढ़ानिया के भाषण की एक क्लिप वायरल हुई, जिसके बाद राजेन्द्र राठौड़ ने मुद्दा लपक लिया, हालांकि बाद में बुढ़ानिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपना स्पष्टीकरण भी दिया। लेकिन इस घटना ने बता दिया कि वोटों की फसावट में परसेप्शन की लड़ाई प्रबल हो गई है। तारानगर में राहुल गांधी के आने का कार्यक्रम है वहीं भाजपा भी परिवर्तन संकल्प यात्रा में मोदी की सभा के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। इस सीट पर डॉ.सीएस बैद के भाजपा में शामिल होने के बाद वैश्य और एससी वोटों के रूख़ पर सभी की नज़रें टिकी हैं। तारानगर में करीब 60-70 हजार जाट वोट हैं। राजेन्द्र राठौड़ अगर यहां सेंधमारी के लिए दांव लगा रहे हैं, वहीं नरेन्द्र बुढ़ानिया अपने पुराने वोट बैंक को एकजुट रखते हुए शहरी वोटर्स को लुभाने में लगे हुए हैं।  


तारानगर सीट का इतिहास

महज 46 साल पुरानी इस विधानसभा सीट पर अब तक हुए 10 चुनावों में 6 बार कांग्रेस और दो-दो बार भाजपा और जनता पार्टी ने जीत हासिल की है। 1977 में बनी इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे चंदनमल बैद ने यहां से लगातार चुनाव लड़ा है। पूर्व मंत्री जयनारायण पूनियां ने भी यही से चुनाव लड़ा है।  तारानगर विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड चंदन मल बैद के नाम है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार बदले। जहां कांग्रेस की ओर से नरेंद्र बुढ़ानिया चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं भाजपा ने राकेश जांगिड़ को टिकट दिया। इस चुनाव में राकेश जांगिड़ को 44,413 मत मिले, तो वहीं नरेंद्र बुढ़ानियां 56,262 मत हासिल करने में कामयाब हुए। तारानगर में स्थानीय को टिकट देने का मुद्दा अभी भी बना हुआ है। 

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