Edited By Rahul yadav, Updated: 24 May, 2025 04:08 PM

कोचिंग हब के रूप में पहचाने जाने वाले कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राजस्थान सरकार और पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर आत्महत्याएं सिर्फ कोटा में ही क्यों हो रही...
कोचिंग हब के रूप में पहचाने जाने वाले कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राजस्थान सरकार और पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर आत्महत्याएं सिर्फ कोटा में ही क्यों हो रही हैं, और अब तक राज्य सरकार ने इस गंभीर समस्या को लेकर क्या ठोस कदम उठाए हैं।
एफआईआर दर्ज न करने पर जताई नाराजगी
यह मामला एक नीट की छात्रा की आत्महत्या से जुड़ा है, जिसमें कोटा पुलिस द्वारा केवल इनक्वेस्ट रिपोर्ट दर्ज की गई थी, लेकिन एफआईआर नहीं की गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह उसके पूर्व आदेशों की अवहेलना है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने पुलिस अधिकारियों को तलब करते हुए सवाल किया—"एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?"
राज्य सरकार की सफाई और कोर्ट के निर्देश
राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने जानकारी दी कि इनक्वेस्ट रिपोर्ट पहले ही दर्ज हो चुकी है और अब एफआईआर भी दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि छात्रों की आत्महत्याओं की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि यह मामला सरकार के उच्चतम स्तर तक पहुंचाया जाए और गंभीरता से कार्रवाई की जाए।
कोचिंग संस्थान की सफाई
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो कोचिंग संस्थान की ओर से पेश हुए, ने कहा कि आत्महत्या करने वाली छात्रा ने नवंबर 2024 में कोचिंग छोड़ दी थी और अपने माता-पिता के साथ कोटा में रह रही थी। उन्होंने यह भी दलील दी कि राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले की निगरानी कर रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को यह मामला अपने पास ट्रांसफर कर लेना चाहिए।
चिंताजनक आंकड़े और कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि वर्ष 2025 में कोटा में अब तक छात्रों की आत्महत्या के 14 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 2024 में यह संख्या 17 थी। अदालत ने राजस्थान सरकार से इन सभी मामलों की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
यह मामला अब 14 जुलाई को फिर से सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। कोर्ट तब तक राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगा और जांचेगा कि क्या छात्रों की जान बचाने के लिए कोई प्रभावी और ठोस कार्यवाही की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में हो रही छात्रों की आत्महत्याओं को गंभीर और अत्यंत संवेदनशील विषय बताया और चेतावनी दी कि अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वह कड़ा रुख अपनाएगा। कोर्ट की यह सख्ती छात्रों की मानसिक सेहत, शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर एक बड़ा संदेश है।