Edited By Rahul yadav, Updated: 03 Jun, 2025 02:02 PM

राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती-2021 के पेपर लीक मामले में नया मोड़ आया है। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व सदस्य रामू राम राईका की बेटी शोभा राईका को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है।
राजस्थान में सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती-2021 के पेपर लीक मामले में नया मोड़ आया है। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व सदस्य रामू राम राईका की बेटी शोभा राईका को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने यह जमानत कुछ शर्तों के साथ दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शोभा राईका ट्रायल में पूर्ण सहयोग करेंगी और किसी भी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट वेदांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि शोभा 31 अगस्त 2024 से न्यायिक हिरासत में हैं और मामले में चालान दाखिल हो चुका है, लेकिन अब तक चार्ज फ्रेम नहीं हुए हैं। इस कारण ट्रायल की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। उन्होंने यह भी दलील दी कि अन्य सह-आरोपियों को भी जमानत मिल चुकी है, ऐसे में शोभा को जेल में रखना अब अनुचित है।
कोर्ट ने आज ही इस मामले के दो अन्य आरोपियों—बर्खास्त एसआई विजेंद्र कुमार और मीडिएटर सुरेश कुमार को भी अंतरिम जमानत प्रदान की है।
गौरतलब है कि इस केस में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA) से शोभा राईका और उसके भाई देवेश राईका को पेपर लीक में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। भर्ती परीक्षा में शोभा को 5वीं रैंक और देवेश को 40वीं रैंक मिली थी।
अगले ही दिन एसओजी ने उनके पिता और पूर्व आरपीएससी सदस्य रामू राम राईका को भी गिरफ्तार किया। रामू राईका को 4 जुलाई 2018 को तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में आरपीएससी सदस्य नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 4 जुलाई 2022 तक रहा।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में अब तक करीब 80 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें 50 से अधिक ट्रेनी एसआई शामिल हैं। इस घोटाले के चलते लगातार भर्ती को रद्द करने की मांग उठ रही है।
इस संबंध में हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। पिछली सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार से उसकी मंशा स्पष्ट करने को कहा था, जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि इस पर मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। हाईकोर्ट ने इस पर अगली सुनवाई की तारीख 1 जुलाई तय की है।
यह मामला अब भी राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।