नरेश मीणा थप्पड़कांड में सचिन पायलट की एंट्री, भजनलाल सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

Edited By Raunak Pareek, Updated: 20 Nov, 2024 04:07 PM

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राजस्थान में उपचुनाव के दौरान समरावता हिंसा को लेकर सियासी हलचल जारी है। मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने संभागीय आयुक्त से जांच की मांग की, जबकि कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और न्यायिक जांच की जरूरत जताई। इस विवाद ने राज्य की...

राजस्थान के उपचुनाव के दिन 'थप्पड़ कांड' और समरावता में हुई हिंसा को लेकर सियासत में गर्मा-गर्मी अभी भी जारी है। इस बीच, कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने राज्य मंत्री से मिलकर मामले की जांच के लिए संभागीय आयुक्त से आदेश देने की बात कही। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और टोंक विधायक सचिन पायलट ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। पायलट ने कहा कि किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ सरकार का रवैया संदिग्ध है, और उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संभागीय आयुक्त की जांच से कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा।

पायलट ने सवाल उठाया - सरकार का उद्देश्य क्या ?  

13 नवंबर को समरावता में हुई हिंसा के बाद सियासी बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है। महाराष्ट्र से लौटने के बाद सचिन पायलट ने भी इस मामले में अपनी एंट्री की और मीडिया से बातचीत में कहा, "समरावता हिंसा पर सरकार क्या कदम उठाना चाहती है? पहले तो यह सुनने को मिला था कि मामले की न्यायिक जांच होगी, लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि संभागीय आयुक्त जांच करेंगे। यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार की क्या मंशा है।" पायलट ने आगे कहा कि जांच का उद्देश्य यह होना चाहिए कि घटना जानबूझकर की गई थी या फिर किसी विशेष फायदे के लिए माहौल बिगाड़ा गया।

न्यायिक जांच से आएंगे निष्पक्ष परिणाम -  

पायलट ने सरकार और मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को घेरते हुए कहा कि केवल संभागीय आयुक्त की जांच से सही निष्कर्ष नहीं निकल सकते। उन्होंने कहा, "सरकारी अधिकारी अपने ही अधिकारियों की करतूत की जांच कैसे कर सकते हैं? निष्पक्ष जांच सिर्फ न्यायिक जांच से ही हो सकती है।" पायलट ने यह भी कहा कि हिंसा चाहे किसी भी पार्टी से जुड़ी हो, वह गलत है और उन्होंने पहले भी कहा था, और अब भी दोहराया कि वे हिंसा करने वालों के साथ नहीं हैं।

किरोड़ी ने कहा संभागीय आयुक्त करेंगे मामले की जांच - 

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मंगलवार दोपहर समरावता गांव के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के बाद कहा कि ग्रामीणों की चारों प्रमुख मांगों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। इन मांगों में समरावता गांव को देवली से हटाकर उनियारा उपखंड में जोड़ने, निर्दोष लोगों को छोड़ने, गांव में हुए नुकसान की भरपाई करने और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात शामिल थी। इसके बाद किरोड़ी ने यह भी बताया कि समरावता हिंसा मामले की जांच अब संभागीय आयुक्त करेंगे, और उनकी रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

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