13 अगस्त तक राहु के नक्षत्र आर्द्रा में होगा गुरु का गोचर अतिचारी गुरु से बड़ी अनहोनी की आशंका...

Edited By Shruti Jha, Updated: 30 Jun, 2025 03:33 PM

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14 मई को बृहस्पति ने मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर कर चुके हैं और शनिवार 14 जून 2025 की मध्यरात्रि 12:07 बजे राहु के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश कर गए हैं जो 13 अगस्त तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। जिससे देश-दुनिया में उथल-पुथल जारी रह सकती है। पाल...

13 अगस्त तक राहु के नक्षत्र आर्द्रा में होगा गुरु का गोचर
अतिचारी गुरु से बड़ी अनहोनी की आशंका
युद्ध, राजनीतिक उथल-पुथल और आपदाओं का संकट

14 मई को बृहस्पति ने मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर कर चुके हैं और शनिवार 14 जून 2025 की मध्यरात्रि 12:07 बजे राहु के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश कर गए हैं जो 13 अगस्त तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। जिससे देश-दुनिया में उथल-पुथल जारी रह सकती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 14 मई 2025 को जब गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर प्रारंभ किया, तभी ज्योतिषीय गणनाओं में असामान्य हलचल दृष्टिगोचर होने लगी थी और शनिवार 14 जून 2025 को मध्यरात्रि 12:07 बजे बृहस्पति ग्रह ने राहु के स्वामित्व वाले आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर लिया है। यह गोचर 13 अगस्त 2025 तक प्रभाव में रहेगा। 14 जून 2025 से 12 अगस्त 2025 तक बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि और आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा। यह नक्षत्र दुर्घटना, राजनीतिक विभाजन, प्राकृतिक आपदाएं, असामान्य वर्षा , महामारी, आर्थिक संकट, वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता तकनीकी उन्नति, विद्रोह और उथल-पुथल का प्रतीक माना जाता है। 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्य फल भास्कर के अनुसार जब क्रूर ग्रह वक्री हों तथा शुभ ग्रह अतिचारी हों तब असामान्य वर्षा और दुर्भिक्ष से जन-धन की हानि होती है। 
क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:।। अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा :।।

आर्द्रा नक्षत्र 
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नक्षत्रों के क्रम में छठा नक्षत्र होता है आर्द्रा। इस नक्षत्र का स्वामी राहु है और मिथुन राशि के अन्तर्गत आने के कारण इस पर बुध का प्रभाव भी रहता है। जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वह बड़े ही चतुर-चालाक होते हैं। आर्द्रा नक्षत्र, जिसे "नम" या "गीला" भी कहा जाता है, ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण नक्षत्र है। यह नक्षत्र भगवान शिव के उग्र रूप, रुद्र द्वारा शासित है और इसे विनाश, परिवर्तन और नवाचार का प्रतीक माना जाता है। आर्द्रा नक्षत्र का रहस्य, इसके साथ जुड़ी पौराणिक कथाओं, ज्योतिषीय प्रभावों और व्यक्तित्व लक्षणों में छिपा है।  कूटनीति एवं राजनीतिक विषयों में इनकी बुद्घि खूब चलती है। राजनीति के क्षेत्र में इस नक्षत्र वाले व्यक्ति काफी सफल होते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों का मस्तिष्क हमेशा क्रियाशील रहता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं।

गुरु की अतिचारी चाल
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अतिचारी चाल का मतलब है कि बहुत तेज चलना और त्वरित होना। यहां गुरु की अतिचारी चाल का अर्थ है कि गुरु जिस राशि में मौजूद हैं, वहां सामान्य चाल ना चलकर बहुत तेजी से गोचर कर रहे हों। आमतौर पर गुरु एक राशि से दूसरी राशि में 12 से 13 महीने तक मौजूद रहते हैं लेकिन अतिचारी होते हैं, तब वह जल्दी राशि परिवर्तन करते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में जैसे करियर, पारिवारिक जीवन, लव लाइफ, तरक्की आदि समेत सभी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष में गुरु ग्रह ज्ञान, करियर, शिक्षा, भाग्य, धर्म, संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि के कारक ग्रह हैं।, जब गुरु अतिचारी चाल चलते हैं तब इनके जल्दी प्रभाव देखने को मिलते हैं। 


आर्द्रा में गुरु और अतिचारी चाल का देश दुनिया पर प्रभाव
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति के गोचर का दुनियाभर में काफी अधिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इससे करियर आर्थिक स्थिति के साथ-साथ युद्ध संकट आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इस अवधि में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। गुरु की चाल में तेजी होने से दुनियाभर में कई युद्ध हो सकते हैं। कई देशों के बीच युद्ध होने की आशंका मानी जा रही है। इसके साथ ही एक बार फिर आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकते हैं। जैसा 1929 में हुआ था। जब अमेरिकी शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट आई। जो इस दुर्घटना का वैश्विक प्रभाव पड़ा और इसे महामंदी की शुरुआत माना जाता है। गुरु के अतिचारी होने से धर्म संबंधित घटनाएं बढ़ सकती है। विभिन्न धर्मों के लोग अपनी परंपराएं दूसरों के ऊपर थोपने की कोशिश कर सकते हैं। देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है। विभिन्न जातीय, धार्मिक और वैचारिक समूहों के बीच मतभेद गहरे हो सकते हैं, जो अंततः सांप्रदायिक दंगे, नस्लीय संघर्ष, और आंतरिक गृहयुद्ध जैसी स्थितियों को जन्म देंगे।

राजनीति पर प्रभाव
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति का यह गोचर राजनीतिक जगत में भारी उथल-पुथल ला सकता है। दुनियाभर के कई देशों में सत्ता पक्ष के खिलाफ जनाक्रोश तीव्र हो सकता है। लोगों का धैर्य टूटने लगेगा, और सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन, जन आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है। कुछ राष्ट्रों में यह आंदोलन इतने उग्र रूप ले सकते हैं कि वहां सत्ता परिवर्तन, तख्तापलट, या सेना द्वारा सत्ता ग्रहण जैसी स्थितियां बन सकती हैं। शासन-प्रशासन और राजनैतिक दलों में तेज संघर्ष होंगे।

प्राकृतिक आपदा 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति का यह गोचर व्यापार में तेजी आएगी। देश में कई जगह ज्यादा बारिश होगी। प्राकृतिक घटनाएं होगी। भूकंप आने की संभावना है। तूफान, बाढ़, भूस्खलन, पहाड़ टूटने, सड़के और पुल भी टूटने की घटनाएं हो सकती हैं। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आय में इजाफा होगा। राजनीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन देखने को मिलेगा।  आंदोलन, हिंसा, धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, उपद्रव और आगजनी की स्थितियां बन सकती है। मौसम की असामान्यता, जैसे कि भारी वर्षा, चक्रवात, बाढ़, भूकंप, और ग्लेशियर विस्फोट जैसी घटनाएं तीव्र हो सकती हैं। समुद्रों का जलस्तर तेज़ी से बढ़ सकता है और कई द्वीपीय राष्ट्रों को इससे गंभीर खतरा हो सकता है। हिमालय, आर्कटिक और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में ग्लेशियर पिघलना, हिमस्खलन और जलस्रोतों का असंतुलन जैसी घटनाएं जन-धन की भारी हानि का कारण बन सकती हैं। जलवायु परिवर्तन इस समय चरम पर रहेगा, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जीवन स्तर प्रभावित हो सकता है। बीमारियों का संक्रमण बढ़ सकता है।

अधिक हो सकती है दुर्घटनाएं
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति का यह गोचर यातायात, औद्योगिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी संवेदनशील रहेगा। इस दौरान अति आत्मविश्वास के कारण दुर्घटनाएं अधिक हो सकती है। हवाई जहाज़, ट्रेनों, और जहाजों में तकनीकी खराबी या मानवीय भूलों के कारण गंभीर घटनाएं होंगी। इसके अलावा, आगजनी, विस्फोट, गैस लीक, और फैक्ट्रियों में हादसे बढ़ सकते हैं। रक्षा उपकरणों और बिजली संयंत्रों में भी छोटी लापरवाहियां भारी तबाही का कारण बन सकती हैं। बस और रेलवे यातायात से जुड़ी बड़ी दुर्घटना होने की भी आशंका है। सामुद्रिक तूफान और जहाज-यान दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। खदानों में दुर्घटना और भूकंपन से जन-धन हानि होने की आशंका बन रही है।

तकनीकी क्रांति
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि बृहस्पति का यह गोचर सृजन और संघर्ष दोनों की ओर  इशारा कर रहा है।  जहां एक ओर गुरु का यह गोचर काल संघर्ष और संकट का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह तेजी से होने वाली तकनीकी प्रगति का भी द्योतक है। बृहस्पति ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा का प्रतिनिधि ग्रह है, और आर्द्रा नकहस्त्र उसमें ऊर्जा और शोध की तीव्रता भरता है। इस काल में  ड्रोन, रक्षा तकनीक, और अंतरिक्ष अनुसंधान में आश्चर्यजनक सफलताएं मिल सकती हैं। चंद्रमा, मंगल, और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों की गति तेज़ होने की संभावना है। वैज्ञानिक शोध, औषधि निर्माण, और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में भी नयी खोजें होंगी। इसके अलावा ए आई और क्वांटम कम्प्यूटिंग में क्रांतिकारी विकास संभव है।

क्या करें उपाय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें। प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। लाल मसूर की दाल शाम 7:00 बजे के बाद हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। हनुमान जी को पान का भोग और दो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। माता दुर्गा, भगवान शिव और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।

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