Edited By Rahul yadav, Updated: 14 Nov, 2024 04:44 PM
राजस्थान के देवली-उनियारा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा द्वारा एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने की घटना ने राज्य में हलचल मचा दी है। कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे मीणा का यह कदम चुनाव प्रचार में चर्चा का केंद्र बन गया। आरएएस...
राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में नरेश मीणा के थप्पड़ कांड ने राजस्थान को इस समय सबसे चर्चित बना दिया है।जहां चुनाव प्रचार में नारों और वादों की गूंज होती है, वहां इस बार चर्चा का केंद्र एक जोरदार थप्पड़ कांड बन गया है। यह थप्पड़ एसडीएम अमित चौधरी के गाल पर पड़ा, और मारने वाले थे निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा। फिलहाल उन्हें गिरप्तार कर लिया गया है लेकिन RAS एसोसिएशन अब भी अपने घरने को समाप्त नहीं किया है उनका कहना है कि अब मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद इसके पर निर्णय लेंगे। इस समय सभी की जुबान पर ह कि आखिर थप्पड़ मारने वाले नरेश मीणा कौन है। उसके बारे में हम आपको बताते है थप्पड़ कांड की पूरी कहानी...
थप्पड़ कांड की पूरी कहानी
मालपुरा के एक पोलिंग बूथ पर जब एसडीएम अमित चौधरी निरीक्षण के लिए पहुंचे, तो वहां पहले से मौजूद नरेश मीणा के साथ उनकी तीखी बहस हुई। कहते हैं कि बात इतनी बढ़ गई कि गुस्से में आकर नरेश मीणा ने चौधरी को थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ के बाद पुलिस ने उन्हें तुरंत नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन नरेश बार-बार एसडीएम की तरफ बढ़ने की कोशिश करते दिखे। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही नरेश मीणा की चर्चा पूरे क्षेत्र में फैल गई। जब इसकी बात एसोसिएशन तक पहुंची तो एसोसिएशन ने नरेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग की। चलिए अब जानते है कौन है नरेश मीणा...
कौन हैं नरेश मीणा?
वर्तमान में कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय के रुप में ताल ठोकी। इससे पहले वे कांग्रेस के कार्यकर्ता रह चुके हैं और सचिन पायलट से काफी प्रभावित हैं। वह राजस्थान के बांरा जिले के नया गांव अररू से ताल्लुक रखते हैं। इस बार वह देवली-उनियारा सीट से कांग्रेस का टिकट चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज कर केसी मीणा को टिकट दिया। इससे नाराज होकर मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। इसके बाद पार्टी ने उपचुनाव में पार्टी का साथ छोड़ने और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होने पर अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया।
बगावत का नतीजा: जनता के बीच चर्चा और समर्थन
कांग्रेस से अलग होने के बाद नरेश मीणा के चुनावी अभियान शुरु किया और निर्दलीय मैदान में उतरे। हालाकी विधायक बनने से पहले वे यूनिर्वसिटी में भी नेता रहे है। लेकिन इस थप्पड़ कांड ने जहां प्रशासन के साथ उनकी बहस को उभारा है, वहीं नरेश मीणा की परेशानी को भी बढ़ा दिया है। जो ठहरने वाली नहीं है। इस वक्त मामला ब्यूरोक्रेसी और नरेश मीणा हो गई है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि नरेश मीणा का यह थप्पड़ कांड राजस्थान में क्या असर डालती है।
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