Edited By Chandra Prakash, Updated: 06 Jul, 2025 08:07 PM

प्रदेश में ईएनटी चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाया जाएगा। संभागीय एवं जिला स्तर पर ईएनटी सेवाओं को मजबूत कर सवाई मानसिंह अस्पताल पर भार कम किया जाएगा। इसके लिए ईनएटी चिकित्सा सेवा में मानव संसाधन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ ही जांच एवं उपचार के लिए...
जयपुर, 6 जुलाई 2025। प्रदेश में ईएनटी चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाया जाएगा। संभागीय एवं जिला स्तर पर ईएनटी सेवाओं को मजबूत कर सवाई मानसिंह अस्पताल पर भार कम किया जाएगा। इसके लिए ईनएटी चिकित्सा सेवा में मानव संसाधन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ ही जांच एवं उपचार के लिए आवश्यक मशीनों का भी समुचित प्रबंधन किया जाएगा।
सवाई मानसिंह अस्पताल के विभिन्न विभागों की समीक्षा की कड़ी में चिकित्सा शिक्षा विभाग के शासन सचिव श्री अम्बरीष कुमार की अध्यक्षता में राज्य के मेडिकल कॉलेजों में ईएनटी विभाग की स्थिति और सेवाओं की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य के मेडिकल कॉलेजों में कॉकलियर इम्प्लांट ऑपरेशन एवं योजनाओं में आ रही कठिनाइयों, ऑडियोमेट्री टेस्टिंग सुविधाओं की कमी, उपचार के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट और प्रशिक्षित ऑडियोलॉजिस्ट व स्पीच थैरेपिस्ट की उपलब्धता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।
मशीनों की खरीद एवं भर्ती प्रक्रियाधीन
चिकित्सा शिक्षा सचिव ने बताया कि एसएमएस अस्पताल पर अत्यधिक भार के चलते कई बार मरीजों को ईएनटी से संबंधित उपचार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसे देखते हुए सभी संभागीय मुख्यालयों पर इन सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाएगा और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। वहीं ऐसे मेडिकल कॉलेज जहां ईएनटी से संबंधित उपचार की मशीनें उपलब्ध हैं, लेकिन मानव संसाधन की कमी के कारण उपयोग में नहीं आ रही हैं या जहां मानव संसाधन उपलब्ध है, लेकिन मशीनों की कमी है। वहां इन कमियों को दूर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनएचएम और निदेशालय स्तर पर मशीनों की खरीद व नियुक्तियों की प्रक्रिया जारी है। लगभग 48–50 ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थैरेपिस्ट की भर्ती की जा रही है, ताकि राष्ट्रीय बधिरता उन्मूलन कार्यक्रम को हर जिले में लागू किया जा सके।
कॉलेज स्तर पर ही बनेंगी रेफरल कमेटियां
शाासन सचिव ने निर्देश दिए कि एसएमएस अस्पताल में अनावश्यक रेफरल कम करने हेतु हर मेडिकल कॉलेज स्तर पर ही जांच और प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। साथ ही, मरीजों को अनावश्यक दौड़-भाग से बचाने के लिए कॉलेज स्तर पर ही रेफरल कमेटियों का गठन किया जाएगा, जो कॉकलियर इम्प्लांट की पात्रता निर्धारित करेंगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि कुछ विशेष मामलों में, जहाँ मरीजों को बार-बार विभिन्न अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, उस व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक मेडिकल कॉलेज स्तर पर एक स्थायी समिति (Standing Committee) गठित की जाएगी, जो यह निर्णय ले कि कौनसे मरीज कॉक्लियर इम्प्लांट हेतु उपयुक्त हैं। यह समिति पूरी तरह से उत्तरदायी होगी और किसी भी अनावश्यक रेफरल से बचा जा सकेगा। रेफरल सिस्टम को पारदर्शी और सरल बनाया जाएगा। साथ ही, सभी मामलों का नियमित ऑडिट भी सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि मरीजों को समय पर और प्रभावी उपचार मिल सके।
संभाग स्तर के मेडिकल कॉलेज अन्य मेडिकल कॉलेजों को देंगे प्रशिक्षण
शासन सचिव ने कहा कि कॉक्लियर इम्प्लांट जैसे उन्नत उपचार सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर और बीकानेर स्थित संभागीय मेडिकल कॉलेज अपने अधीनस्थ जिलों के मेडिकल कॉलेजों के ईएनटी विशेषज्ञों को पर्याप्त प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करें, ताकि वहां भी कॉक्लियर इम्प्लांट जैसी उन्नत सेवाओं की शुरुआत हो सके। चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कहा कि श्रवण बाधितता और अन्य ईएनटी से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए राज्य में मजबूत और सुलभ सेवाएं विकसित करना ज़रूरी है। बैठक में जिन विषयों पर सहमति बनी है उन्हें शीघ्र लागू किया जाए।
ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ पवन सिंहल ने सुझाव दिया कि गरीब मरीजों को कॉकलियर इम्प्लांट के साथ आवश्यक बैटरी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी निशुल्क या रियायती दर पर उपलब्ध कराई जा सकती हैं। संभागीय स्तर के मेडिकल कॉलेज अपने अधीनस्थ कॉलेजों के ईएनटी विशेषज्ञों को पर्याप्त प्रशिक्षण दें ताकि प्रदेश के दूरस्थ जिलों तक यह सुविधा पहुंचे। बैठक में अतिरिक्त निदेशक (एचए), अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) राज-एमईएस, उप निदेशक (एचए), सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के ईएनटी विभागाध्यक्ष और राष्ट्रीय बधिरता कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी उपस्थित रहे।