Edited By Liza Chandel, Updated: 05 Jan, 2025 03:07 PM
मोहनगढ़ से निकला पानी प्राचीन टेथिस सागर से जुड़ा हो सकता है। यह सागर लगभग 250 मिलियन (25 करोड़) वर्ष पुराना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी का खारापन और क्षेत्र की मिट्टी की संरचना इस बात की पुष्टि करती है कि यह सरस्वती नदी से संबंधित नहीं है।...
जैसलमेर के मोहनगढ़ में ट्यूबवेल खुदाई से प्राचीन टेथिस सागर का संकेत?
राजस्थान के थार मरुस्थल में जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ क्षेत्र में एक अद्भुत घटना ने भूवैज्ञानिकों और स्थानीय प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। 28 दिसंबर 2024 को विक्रम सिंह भाटी के खेत में ट्यूबवेल खुदाई के दौरान तेज पानी का फव्वारा फूट पड़ा। इस घटना में खुदाई मशीन और ट्रक खेत में डूब गए, और पूरा क्षेत्र एक बड़े तालाब में बदल गया। पानी का बहाव 72 घंटे बाद थमा।
क्या यह पानी टेथिस सागर का अवशेष है?
मीडिया रिपोर्ट्स और वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, मोहनगढ़ से निकला पानी प्राचीन टेथिस सागर से जुड़ा हो सकता है। यह सागर लगभग 250 मिलियन (25 करोड़) वर्ष पुराना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पानी का खारापन और क्षेत्र की मिट्टी की संरचना इस बात की पुष्टि करती है कि यह सरस्वती नदी से संबंधित नहीं है। जांच में पानी की आयु लगभग 6 मिलियन (60 लाख) वर्ष आंकी गई है, जो वैदिक युग से भी प्राचीन है।
विशेषज्ञों की राय और चल रही जांच
भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि यह पानी और मिट्टी तृतीयक काल के हैं, जो सरस्वती नदी के समय से भी पुराने हैं। जैसलमेर के जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि केयर्न एनर्जी और ओएनजीसी के विशेषज्ञ पानी के साथ निकलने वाली गैस की जांच कर रहे हैं।
वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इंखैया ने स्पष्ट किया कि पानी की लवणता और भूवैज्ञानिक आयु इसे सरस्वती नदी से अलग बनाती है। उन्होंने इस घटना को जैसलमेर की भूमिगत जल प्रणालियों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण बताया।
सरकार की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
घटना के बाद राजस्थान सरकार ने तुरंत कार्रवाई की। भूजल मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा गया। प्रभावित किसान विक्रम सिंह को मुआवज़ा देने और पानी व गैस के नमूनों की विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए।
टेथिस सागर और जैसलमेर का भूवैज्ञानिक महत्व
यह घटना जैसलमेर के प्राचीन भूगर्भीय इतिहास को उजागर करती है। टेथिस सागर, जो एक समय में इस क्षेत्र को कवर करता था, के अवशेष के संकेत इस क्षेत्र में जीवाश्मों की खोज से भी मिलते हैं। अकाल गांव का जीवाश्म पार्क, अपनी पेट्रीफाइड लकड़ी और अन्य समुद्री जीवाश्मों के लिए प्रसिद्ध है, जो जैसलमेर के समुद्र तल से रेगिस्तान बनने की कहानी को दर्शाता है।
अध्ययन और अनुसंधान का बढ़ता दायरा
शोधकर्ता मोहनगढ़ और उसके आसपास के पैलियो चैनलों की खोज करने के लिए उत्सुक हैं। इस क्षेत्र में प्राचीन जल चैनलों के प्रमाण पहले भी मिले हैं, जो पृथ्वी के जलविज्ञान और पारिस्थितिक परिवर्तनों को समझने में मदद कर सकते हैं।
मोहनगढ़ की घटना ने न केवल जैसलमेर की भूवैज्ञानिक कथा में एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि यह वैज्ञानिकों के लिए प्राचीन पृथ्वी के इतिहास को समझने का एक दुर्लभ अवसर भी प्रदान करती है। यह खोज क्षेत्र की भूमिगत जल प्रणालियों और प्राचीन जलवायु परिवर्तनों के अध्ययन को नई दिशा दे सकती है।