Edited By Liza Chandel, Updated: 18 Jan, 2025 05:57 PM
इस विशेष सत्र में संयुक्त अरब अमीरात की राज्य मंत्री नूरा बिन्त मोहम्मद अल काबी, ब्रिटिश काउंसिल के सीईओ स्कॉट मैक्डोनाल्ड, ललित कला संग्रहालय, ह्यूस्टन के निदेशक गैरी टिनटेरो और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के सीईओ मैक्स हॉलेइन जैसे विद्वान शामिल...
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के केन्द्र में हाेंगे कला-सत्र
प्रतिष्ठित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का बहुप्रतीक्षित 2025 संस्करण 30 जनवरी से 3 फरवरी तक जयपुर के होटल क्लार्क्स आमेर में आयोजित होगा। दुनिया का सबसे बड़ा साहित्यिक महोत्सव, जो किताबों और विचारों के भव्य उत्सव के रूप में जाना जाता है, इस वर्ष भी रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक शानदार मंच प्रदान करेगा।
कला का अर्थशास्त्र: नीति, नवाचार और समावेशन
इस विशेष सत्र में संयुक्त अरब अमीरात की राज्य मंत्री नूरा बिन्त मोहम्मद अल काबी, ब्रिटिश काउंसिल के सीईओ स्कॉट मैक्डोनाल्ड, ललित कला संग्रहालय, ह्यूस्टन के निदेशक गैरी टिनटेरो और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के सीईओ मैक्स हॉलेइन जैसे विद्वान शामिल होंगे। टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय इस चर्चा का संचालन करेंगे। सत्र का मुख्य विषय रहेगा - सरकारी पहल, फंडिंग और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से स्थायी और रचनात्मक अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण। विशेष रूप से भारत में सांस्कृतिक नवाचार, सार्वजनिक कूटनीति और संरक्षण को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी।
अजंता की गुफाएँ: प्राचीन बौद्ध चित्रकला
इस सत्र में प्रसिद्ध कला इतिहासकार बेनॉय के. बहल और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के सह-निदेशक विलियम डैलरिम्पल, अजंता की गुफाओं के भित्तिचित्रों के वैश्विक प्रभाव और ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करेंगे।
डच कला और संस्कृति की यात्रा
पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखक बेंजामिन मोजर दो सत्रों में डच कला और संस्कृति की दुनिया में दर्शकों को ले जाएंगे। 'द अपसाइड-डाउन वर्ल्ड: मीटिंग विद द डच मास्टर्स' सत्र में कला इतिहासकार गैरी टिनटेरो उनकी नीदरलैंड्स यात्रा पर चर्चा करेंगे। वहीं, 'इट्स डच टू मी' सत्र में मोजर और ईरानी-डच लेखक कादर अब्दुल्ला डच कला और भाषा की स्थायीता पर बातचीत करेंगे।
कला पर आधारित नई पुस्तकों का लोकार्पण
फेस्टिवल में दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रथम संस्करण जारी किया जाएगा। 'देवी एंड हर अवताराज' के लोकार्पण के अवसर पर अलका पांडे, बुलबुल शर्मा, वायु नायडू और मालाश्री लाल भारतीय पौराणिक कथाओं और कला में स्त्री की भूमिका पर विचार-विमर्श करेंगे। वहीं, हर्षा दहेजिया की 'द थर्ड आई ऑफ इंडियन आर्ट' पुस्तक, भारतीय कला के आध्यात्मिक और दार्शनिक आयामों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करेगी। इस पर चर्चा बेनॉय के. बहल करेंगे।
ओजस आर्ट अवार्ड और विशेष कला प्रदर्शनी
ग्राफिक उपन्यासकार अभिषेक सिंह की 'हाइम्स ऑफ मेधिनी' और गोंड कलाकार राम सिंह उर्वेती की जीवनयात्रा पर आधारित पुस्तक 'अनॉदर मास्टर: राम सिंह उर्वेती' पर विशेष चर्चा होगी। जयपुर स्थित लघु कला के कलाकार विनीता शर्मा और अजय शर्मा को पारंपरिक कला में योगदान के लिए ओजस कला पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
गोंड कलाकार राम सिंह उर्वेती द्वारा फेस्टिवल के दरबार हॉल में 8x12 फुट की विशेष पेंटिंग प्रदर्शित की जाएगी, साथ ही वे एक कलाकृति का निर्माण भी करेंगे, जिससे दर्शकों को गोंड कला की बारीकियों को समझने का अवसर मिलेगा।
कला के अनूठे प्रदर्शन
कश्मीरी कलाकार वीर मुंशी फेस्टिवल के प्रवेश स्थल पर पारंपरिक पेपर-माचे और कलमकारी से प्रेरित एक भव्य इंस्टॉलेशन प्रस्तुत करेंगे, जो लचीलापन, उपचार और पहचान की थीम पर आधारित होगा। प्रसिद्ध फोटोग्राफर विक्की रॉय की 'एबिलिटी इन डिसबिलिटी' श्रृंखला की 20 से अधिक प्रभावशाली तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी, जो भारत में विकलांग व्यक्तियों के जीवन और उनकी संघर्षगाथा को दर्शाएंगी।
महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ट्रस्ट, जो जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का पुराना सहयोगी है, राजस्थान के छात्रों और कला समूहों द्वारा बनाई गई नवीन कलाकृतियाँ प्रस्तुत करेगा।
कला, साहित्य और विचारों का संगम
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आर्ट-एडवाइजर और ओजस आर्ट, दिल्ली के डायरेक्टर अनुभव नाथ ने कहा, "जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने हमेशा कला, साहित्य और विचारों के संगम का जश्न मनाया है। इस वर्ष, हम ऐसे दृश्य अनुभवों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करने के लिए उत्साहित हैं, जो कलात्मक नवाचार को उजागर करते हुए स्वदेशी कलाकारों को एक मंच प्रदान करेंगी।"
फेस्टिवल के निर्माता और टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के. रॉय ने कहा, "जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल हमेशा रचनात्मक अभिव्यक्ति का स्रोत रहा है, जो पूरे भारत की कलाओं और कलाकारों के लिए एक कैनवास पेश करता है। यह फेस्टिवल कला की बदलाव लाने वाली ताकत में विश्वास रखता है और किताबों, शब्दों, विचारों और कलात्मक परंपराओं के उत्सव के माध्यम से परस्पर संबंधों को प्रोत्साहित करता है।"