Edited By Liza Chandel, Updated: 29 Dec, 2024 05:13 PM
भजनलाल कैबिनेट ने शनिवार को बांसवाड़ा के साथ पाली और सीकर संभाग को खत्म करने की घोषणा की है. इसके अलावा गहलोत राज में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बनाए गए 17 नए जिलों में 9 जिलों को खत्म कर दिया है.कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मंत्री...
बांसवाड़ा संभाग को खत्म करने पर भड़के सांसद राजकुमार रोत
गहलोत सरकार के बनाए जिलों पर भजनलाल कैबिनेट का फैसला
भजनलाल कैबिनेट ने शनिवार को हुई बैठक में अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 जिलों को खत्म करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही तीन संभागों को भी समाप्त कर दिया गया। इस फैसले के बाद राजस्थान में जिलों की संख्या घटकर 41 हो गई है, जबकि राज्य में अब केवल सात संभाग शेष रह गए हैं।
बांसवाड़ा संभाग भी हुआ समाप्त
भाजपा सरकार द्वारा समाप्त किए गए तीन संभागों में बांसवाड़ा संभाग भी शामिल है। इस निर्णय ने क्षेत्रीय नेताओं और जनता के बीच नाराजगी पैदा कर दी है।
सांसद राजकुमार रोत का विरोध
जनता के साथ अन्याय का आरोप
बांसवाड़ा संभाग को समाप्त किए जाने पर सांसद राजकुमार रोत ने राज्य सरकार पर बांसवाड़ा-डूंगरपुर की जनता के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने भजनलाल सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
सोशल मीडिया पर बयान
सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा:
"बांसवाड़ा संभाग को निरस्त करके राज्य सरकार ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर की जनता के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है। मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा पर रहने वाला गरीब आदिवासी 240 किलोमीटर की दूरी तय करके उदयपुर आने की कल्पना भी नहीं कर सकता। सरकार का यह कदम आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लिए बहुत अन्यायपूर्ण है।"
संभाग खत्म होने से बढ़ेगी जनता की परेशानी
सांसद का कहना है कि बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों की जनता को अब प्रशासनिक कार्यों के लिए उदयपुर जाना होगा, जो लगभग 240 किलोमीटर दूर है। यह आदिवासी बहुल और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्र के लोगों के लिए गंभीर कठिनाइयां पैदा करेगा।
सरकार ने यह फैसला प्रशासनिक संरचना को सरल बनाने और बेहतर प्रबंधन के लिए लिया है। हालांकि, क्षेत्रीय नेताओं और जनता के विरोध के चलते यह मुद्दा गरमा गया है।