Edited By Liza Chandel, Updated: 20 Feb, 2025 04:42 PM
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सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की सुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है। इस सुनवाई में बिना वकील के मौजूद आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है। यह मामला 22 मई 1996 को राजस्थान के दौसा जिले के समलेटी गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-11 पर हुए बम...
सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की विस्तृत सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट में समलेटी बम धमाका मामले की सुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है। इस सुनवाई में बिना वकील के मौजूद आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है। यह मामला 22 मई 1996 को राजस्थान के दौसा जिले के समलेटी गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-11 पर हुए बम विस्फोट से जुड़ा है। इस विस्फोट में 14 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी और 37 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ कर रही है, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता शामिल हैं। अदालत ने सुनवाई की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आरोपियों को नोटिस जारी कर उन्हें उचित जानकारी देने का निर्देश दिया है।
अदालत में फैसले को चुनौती देने पहुंचे आरोपी
राजस्थान सरकार की ओर से इस गंभीर मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे और शिव मंगल शर्मा ने पैरवी की, जबकि आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल समेत अन्य वकील मौजूद रहे। केस में आरोपी अब्दुल हमीद को ट्रायल कोर्ट द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी, जिसे राजस्थान हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद अब्दुल हमीद ने सुप्रीम कोर्ट में इस सजा के खिलाफ अपील दायर की। इस मामले में अन्य कई आरोपियों ने भी निचली अदालतों के फैसलों के खिलाफ अपील दायर की है।
सरकार ने बरी किए गए आरोपियों के फैसले को दी चुनौती
इस केस में शामिल जावेद खान, अब्दुल गोनी, लतीफ अहमद बाजा, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली भट, पप्पू और रईस बैग को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इन आरोपियों ने अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। वहीं, इस मामले में दो आरोपियों फारुख अहमद और चंद्र प्रकाश अग्रवाल को निचली अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था, जिसे राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार का मानना है कि इन दोनों आरोपियों की संलिप्तता के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और उन्हें बरी किया जाना न्याय प्रक्रिया के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिना वकील के आरोपियों को नोटिस जारी किए
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस केस में तीन आरोपी लतीफ अहमद बाजा, मिर्जा निसार हुसैन और मोहम्मद अली को अब तक वकील नहीं मिला है। यह देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि वह इन आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर नोटिस जारी कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करे। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि इन आरोपियों को ‘दस्ती नोटिस' (व्यक्तिगत रूप से सूचना देने का आदेश) दिया जाए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें सुनवाई की पूरी जानकारी प्राप्त हो और वे अपने बचाव में उचित कानूनी सहायता प्राप्त कर सकें।
मामले की अगली सुनवाई और संभावित निर्णय
इस महत्वपूर्ण मामले की अगली सुनवाई जल्द ही निर्धारित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी आरोपियों को कानूनी रूप से उचित प्रतिनिधित्व मिले, ताकि न्यायिक प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ सके।
इस मामले के फैसले का गहरा असर पड़ सकता है, क्योंकि यह न केवल आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े अपराधों की सजा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि कानूनी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को भी दर्शाता है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और किस प्रकार से इस लंबे समय से चले आ रहे केस को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाया जाता है।