राज्यपाल हरिभाऊ बागडे बोले – शहरी सहकारी बैंक मुनाफा नहीं, समाज सशक्तिकरण को बनाएं ध्येय

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 11 Sep, 2025 06:39 PM

urban cooperative banks should make social empowerment their goal not profit

जयपुर । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के शहरी बैंक मुनाफा कमाने को अपना उद्देश्य नहीं रखकर समाज को आर्थिक रूप से सशक्त करने को अपना ध्येय बनाए।

जयपुर । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के शहरी बैंक मुनाफा कमाने को अपना उद्देश्य नहीं रखकर समाज को आर्थिक रूप से सशक्त करने को अपना ध्येय बनाए।  उन्होंने कहा कि राजस्थान और यहां के व्यवसाई देशभर में आर्थिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।आर्थिक रूप से सुदृढ़ सभी लोग सहकारिता से जुड़े। इसी से राष्ट्र और प्रदेश को तेजी से विकसित किया जा सकेगा। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों के जरिए पंक्ति के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को अधिकाधिक लाभान्वित किए जाने पर भी विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा कि गरीब, जरूरतमंद को मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से सहकारी बैंक कार्य करेंगे तभी सही मायने में "सबका साथ सबका विकास" को हम साकार कर पायेंगे। 

राज्यपाल बागडे गुरुवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में सहकार भारती एवं सहकारिता विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित अर्बन को ऑपरेटिव बैंक के राष्ट्रीय अधिवेशन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कॉपरेटिव बैंक न केवल हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह लाखों लोगों को, उनके परिवारों के लिए आजीविका का एक मजबूत स्रोत भी है। राज्यपाल ने सहकार को लेकर "बैठने को फटफटी और खर्चे को सोसायटी" कहावत की चर्चा करते हुए कहा कि सहकार में अपने लिए नहीं सबके विकास की सोच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डेनमार्क में सहकारिता से कृषि और डेयरी का जो विकास हुआ है, वह प्रेरित करने वाला है। 

राज्यपाल ने कहा कि सहकारिता से सभी का समान आर्थिक विकास, रोजगार जनन और सामूहिक विकास संभव है। उन्होंने राजस्थान में अधिकाधिक सहकारी बैंक स्थापित किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने राजस्थान में सरस की सहकारी गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि डेयरी के साथ अन्य उत्पादों का भी सहकारिता की सोच से प्रभावी विपणन किए जाने का आह्वान किया।उन्होंने सहकारिता में भारत के तेजी से आगे बढ़ने की चर्चा करते हुए कहा कि  दुग्ध उत्पादन में विश्वभर में हमारा देश पहले स्थान पर है। सहकारिता को प्रभावी गति देने से इस क्षेत्र के माध्यम से हम सर्वांगीण विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने  सहकारिता के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा  कि हमारे यहां सबसे पहले सयाजीराव गायकवाड़ ने बडोदा में एक अर्ध-सहकारी कारखाना स्थापित किया था। इसके बाद विखे पाटिल और धनंजयराव गाडगिळ ने 1949 में प्रवरा सहकारी चीनी कारखाना की स्थापना की।

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