Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 04 Jun, 2025 04:43 PM

दोस्तों आज हम बात करेंगे राजस्थान की राजनीति के उस किरदार की, जो अपने फैसलों अपनी बेबाकी और अपनी साफगोई ना सिर्फ विपक्ष बल्कि अपनी ही पार्टी की सत्ता से भीड़ जाते हैं। जी हां, बात हो रही है डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की।
दोस्तों आज हम बात करेंगे राजस्थान की राजनीति के उस किरदार की, जो अपने फैसलों अपनी बेबाकी और अपनी साफगोई ना सिर्फ विपक्ष बल्कि अपनी ही पार्टी की सत्ता से भीड़ जाते हैं। जी हां, बात हो रही है डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की। पिछले डेढ़ साल पहले जब राजस्थान में भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसी दिन डिप्टी सीएम दिया कुमारी और डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा के साथ किरोड़ी लाल मीणा ने कृषि मंत्री के तौर पर शपथ ली थी। लेकिन यह शुरुआत थी उस सियासी रोलरकोस्टर की, जो अब अपने नए मोड़ पर है। लोकसभा चुनाव आते ही किरोड़ी लाल मीणा ने एक ऐसा ऐलान किया, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई। उन्होंने दौसा की चुनावी सभा में दावा करते हुए कहा कि अगर उनके प्रभाव वाली 7 सीटों में से एक भी सीट पर पार्टी हारती है , तो मैं मंत्री पद छोड़ दूंगा!" उन्होंने सीटों का जिक्र करते हुए कहा कि करौली-धौलपुर लोकसभा सीट, टोंक - सवाई माधोपुर लोकसभा सीट, जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट, दौसा, भरतपुर, कोटा और बारां-झालावाड़ सीट की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री ने दी थी। ऐसे में इनमें से एक भी सीट यदि बीजेपी हारती है तो वह इस्तीफा दे देंगे। लेकिन जब लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आए तो फिर हुआ भी वही... कांग्रेस ने राजस्थान में 25 में से करीब 15 सीटों पर काबिज हो गई । परिणाम के बाद किरोड़ी मीणा ने अपना वादा निभाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन किरोड़ी के बाद सूबे की राजनीति में अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया। दरअसल सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरु हो गई कि वो अपने विभाग से खुश नहीं थे। हालांकि इस्तीफा देने के बावजूद वे कभी-कभी कैबिनेट बैठकों में भी दिखते थे, जो यह संकेत देता रहा कि मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। और किरोड़ी इस्तीफा देने के बाद अपनी ही सरकार को गाहे बगाहे कठघरे में खड़ा करते दिखे। एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर किरोड़ी ने अपनी ही पार्टी की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए और परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर शहीद स्मारक पर धरने पर बैठ गए । लेकिन एक बार अब जब जेपी नड्डा प्रदेश के दौरे पर आए जिसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की चर्चाएं शुरु हो गई जिसके बाद किरोडी फिर से एक्टिव हो गए हैं। काफी दिनों तक अपने मंत्रालय की गतिविधियों से दूर रहने के बाद अब किरोड़ी लगातार दौरे कर छापेमार कार्रवाई कर रहे हैं। अब मंत्री जी अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, श्रीगंगानगर जैसे जिलों में खुद छापे मार रहे हैं। नकली बीज बेचने वालों पर कार्रवाई कर रहे हैं, किसानों की समस्याएं सुन रहे हैं, बयान दे रहे हैं कि "किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा!" ऐसे में अब यह अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सब महज़ विभागीय सक्रियता है या मंत्रीमंडल विस्तार से पहले खुद को साबित करने की रणनीति?
सूत्रों की मानें तो जेपी नड्डा के दौरे में निष्क्रिय मंत्रियों को हटाने की बात उठी थी। तो क्या यह डर है पद जाने का? या फिर किरोड़ी लाल मीणा को अब अपने विभाग में हो रही अनियमितताओं की असली तस्वीर नजर आई?। वैसे, राजस्थान की राजनीति में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को "अंगद का पैर" कहा जाता है – जिसे हिलाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन माना जाता है। जो भी हो राजस्थान की राजनीति में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा एक बार फिर केंद्र में हैं, और आगे का हर कदम सियासी गलियारों में नए संकेत छोड़ रहा है।