Edited By Kailash Singh, Updated: 15 Nov, 2024 03:25 PM
राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान देवली उनियारा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा मालपुरा एसड़ीएम के द्वारा की गई मारपीट के बाद यह मामला प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कोई पहली घटना...
जयपुर| राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान देवली उनियारा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा मालपुरा एसड़ीएम के द्वारा की गई मारपीट के बाद यह मामला प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब राजस्थान में इस तरह का मामला सामने आया है। इससे पहले भी कई ऐसे मामलें सामने आ चुके है जब ब्यूरोक्रेट्स और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव हो चुका है। ऐसी एक घटना आज से 27 साल पहले भी घटित हुई थी जिसके बाद पूरे प्रदेश में हडकंप मच गया था। जब तत्कालीन सिंचाई मंत्री ने आइएएस अफसर को सचिवालय में अपने कमरे में बुलाकर ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने पर मारपीट की। मंत्री थे देवी सिंह भाटी और सचिव थे आइएएस अफसर पीके देब।
दरअसल आइएएस अधिकारी पीके देब ने भारती कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया था। जिसको लेकर तत्कालीन सिचाई मंत्री देवी सिंह भाटी से देब का विवाद हो गया था और भाटी पर आरोप है कि उन्होनें चैंबर में बुलाकर देब से मारपीट की। ऐसा भी कहा जाता है कि देब के भाटी ने थप्पड़ मार दिया। जिस पर अशोक नगर थाने में 6 दिसंबर 1997 में मामला दर्ज हुआ। इसके बाद जांच सीआइडी सीबी को सौंपी गई। यह तो एक बानगी है जब राजस्थान में ब्यूरोक्रेट्स और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव होना कोई नई बात नहीं है। हर साल ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब मंत्री या विधायक का अफसरों के साथ विवाद खासा चर्चा में रहा है।
आइये जानते हैं कि राजस्थान में अलग अलग समय में किन किन अफसरों का नेताओं के साथ सीधा टकराव हुआ। अगर हम सबसे पहले बात करे तो वर्ष 2020 में आरटीडीसी में टेंडर प्रक्रिया को लेकर पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह और तत्कालीन एमडी एच गुईटे के बीच सीधा टकराव हुआ। विश्वेन्द्र सिंह अपने हिसाब से टेंडर प्रक्रिया कराना चाहते थे लेकिन एमडी इसके लिए तैयार नहीं थे। मंत्री ने टेंडर प्रक्रिया ही रुकवा दी थी। मंत्री की सिफारिश के बाद एच. गुईटे का ट्रांसफर कर दिया गया । इस लिस्ट में दूसरा नाम है तत्कालीन सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और विभाग के पूर्व सचिव नरेश पाल गंगवार का। सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और सहकारिता विभाग के पूर्व सचिव नरेश पाल गंगवार के बीच भी कार्य के अधिकारों को लेकर विवाद हुआ था। मंत्री की शिकायत के बाद सरकार ने जुलाई 2020 में नरेश पाल गंगवार का ट्रांसफर कर दिया। बाद में गंगवार केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए।
इस फेहरिस्त में एक और मामला काफी चर्चाओं में रहा था जब खेल मंत्री अशोक चांदना तो सीधे मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से भिड़ गए थे। चांदना ने ट्वीट पर इस्तीफा देने की धमकी देते हुए लिखा था कि मुख्यमंत्री जी, मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्ति दे दो और मेरे विभाग के सारे काम कुलदीप रांका जी को दे दो। हालांकि इस प्रकरण में कुलदीप रांका की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके अलावा मारवाड़ से आने वाले एक फायर ब्रांड महिला नेता और तत्कालीन ओसियां विधायक दिव्य मदरेणा का भी नौकरशाहों से सीधा टकराव रहा है। एक बार तो दिव्या मदेरणा और जोधपुर कलेक्टर का सीधा टकराव हो गया था। कलेक्टर की कार्यप्रणाली से नाखुश होकर विधायक धरने पर बैठ गई थी। कई बार ट्वीट करके जोधपुर कलेक्टर पर कई आरोप लगाए। हालांकि कलेक्टर ने चुप्पी साधे रखी।