राजस्थान सचिवालय में निजी सहायक और क्लर्क के बीच विवाद:एक वर्ग ने पदोन्नति में सीट के बंटवारे के नए सिस्टम पर आपत्ति जताई

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 13 Jul, 2025 01:28 PM

dispute between personal assistant and clerk in rajasthan secretariat

राजस्थान सचिवालय में शासन उप सचिव और वरिष्ठ शासन उप सचिव के पदों पर पदोन्नति को लेकर निजी सहायक एवं सचिव संघ और लिपिकीय संवर्ग (क्लर्क) में विवाद हो गया है। इन पदों पर दोनों की पदोन्नति होती है। लेकिन सीट के बंटवारे को निजी सहायक एवं सचिव संघ ने...

राजस्थान सचिवालय में शासन उप सचिव और वरिष्ठ शासन उप सचिव के पदों पर पदोन्नति को लेकर निजी सहायक एवं सचिव संघ और लिपिकीय संवर्ग (क्लर्क) में विवाद हो गया है। इन पदों पर दोनों की पदोन्नति होती है। लेकिन सीट के बंटवारे को निजी सहायक एवं सचिव संघ ने आपत्ति जताई है। निजी सचिव एवं निजी सहायक संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने बताया कि दोनों वर्गों से इन पदों पर पदोन्नति के लिए 13 अनुपात 10 का प्रावधान है। यानि 13 पद लिपिकीय संवर्ग और 10 पद निजी सचिव एवं सहायक वर्ग से लिए जाएं। यह समझौता दोनों पक्षों के बीच 2004 से लागू है। लेकिन अब इसकी अनदेखी कर कैबिनेट से 16 अनुपात 10 का नया कैडर सिस्टम मंजूर करवाया है। इससे निजी सचिव एवं निजी सहायक वर्ग के साथ अन्याय हो रहा है। हमारे पदों में कटौती की जा रही है। 

1998 से चला आ रहा है विवाद
दोनों ही वर्गों के बीच यह विवाद 1998 से चला आ रहा है। इसके बाद यह विवाद न्यायालय में चला गया था। इस कारण 2004 तक सभी कार्मिकों के प्रमोशन भी रुक गए थे। 2004 में दोनों वर्गों के अध्यक्षों ने न्यायालय के आदेशानुसार आपसी सहमति से 13 अनुपात 10 की कैडर व्यवस्था मंजूर की थी।

निजी सहायकों की भर्ती में अनियमितता भी कारण
निजी सचिव एवं निजी सहायक संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह ने बताया कि निजी सचिव एवं सहायकों की भर्ती स्टेनोग्राफर भर्ती परीक्षा के जरिए होती है। वही, लिपिकीय भर्ती के लिए एलडीसी भर्ती परीक्षा का आयोजन होता है। कई सालों से स्टेनोग्राफर की भर्ती में अनियमितता से पद नहीं भरे जा रहे। इसलिए लिपिकीय कार्मिकों की संख्या अधिक हो गई है। इस कारण वे अपना अनुपात बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन भर्ती करवाना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिए पदोन्नति के अनुपात को बदलना गलत है। मुख्यमंत्री को इस बात पर ध्यान देना चाहिए। अन्यथा यह मामला फिर अदालत में जाएगा। इससे फैसले तक कई कार्मिकों के प्रमोशन रुक जाएंगे, जिसमें किसी की भलाई नहीं है।

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