71 की उम्र में वो कर दिखाया जो लोग 27 में भी मुश्किल समझते है !

Edited By Shruti Jha, Updated: 12 Jul, 2025 10:56 AM

at the age of 71 he did what people think is difficult even at 27

कभी-कभी ज़िंदगी जब सबकुछ छीन लेती है, तब एक नई शुरुआत का दरवाज़ा खुलता है। जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने इस बात को साबित किया है। उम्र, परिस्थिति या शारीरिक चुनौतियाँ – कुछ भी उनके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकीं। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी...

71 की उम्र में वो कर दिखाया जो लोग 27 में भी छोड़ देते हैं – जयपुर के ताराचंद अग्रवाल बने चार्टर्ड अकाउंटेंट, वो भी बिना कोचिंग


कभी-कभी ज़िंदगी जब सबकुछ छीन लेती है, तब एक नई शुरुआत का दरवाज़ा खुलता है। जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने इस बात को साबित किया है। उम्र, परिस्थिति या शारीरिक चुनौतियाँ – कुछ भी उनके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकीं। उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंसी जैसी देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में सफलता हासिल कर यह बता दिया कि हौसले की कोई उम्र नहीं होती।

जहाँ लोग थक जाते हैं, वहाँ से इन्होंने शुरुआत की

2014 में AGM के पद से रिटायर होने के बाद ताराचंद जी ने सोचा था अब जिंदगी आराम से कटेगी। लेकिन 2020 में पत्नी के निधन ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया। मन में खालीपन था, लेकिन हार नहीं मानी। गीता पढ़नी शुरू की और उसी अध्यात्म ने उन्हें दोबारा ज्ञान की राह पर मोड़ा।

"अगर पोती को गाइड कर सकता हूं, तो खुद क्यों नहीं?"

जब उन्होंने पीएचडी करने की बात कही, बच्चों ने कहा – “पापा, CA कीजिए। यह मुश्किल है, लेकिन आप कर सकते हैं।” पोती ने जो कहा, वो दिल छू लेने वाला था — “जब आप मुझे पढ़ा सकते हैं, तो खुद क्यों नहीं पढ़ सकते?” बस फिर क्या था — 2021 में उन्होंने सीए का फॉर्म भरा और अपनी जिंदगी को नई दिशा दे दी।

कोचिंग नहीं, सोशल मीडिया बना गुरु

उन्होंने न किसी इंस्टिट्यूट का रुख किया, न महंगी कोचिंग ली। यूट्यूब वीडियो, किताबें और खुद की लगन ही उनके हथियार बने। छोटे बेटे के जनरल स्टोर पर बैठकर उन्होंने पढ़ाई की — वहीं ग्राहकों को सामान देते-देते उन्होंने एक-एक विषय की गहराई को समझा।

पहली बार असफलता, दूसरी बार सफलता

2024 में पहला प्रयास फेल हो गया। लेकिन उन्होंने कहा – “अब अकेले में बैठकर, पूरा समय लगाकर पढ़ना होगा।” लेफ्ट और राइट शोल्डर में दर्द था, लिखने में तकलीफ थी, लेकिन उन्होंने 10-10 घंटे पढ़ाई की, रोज़ 2 से 4 घंटे सिर्फ लिखने की प्रैक्टिस की। और आखिरकार, 2025 में फाइनल परीक्षा पास कर ली।

अब लोग ‘CA अंकल’ कहते हैं

जो पहले ‘शोरूम वाले अंकल’ कहलाते थे, अब बच्चे और युवा उन्हें ‘CA अंकल’ कहकर बुलाते हैं। कई लोग अपने बच्चों को उनसे गाइडेंस लेने भेजते हैं। वे आज की पीढ़ी को एक ही बात कहते हैं —
"डरोगे तो कुछ नहीं होगा, मेहनत करोगे तो सब मुमकिन है।"

संघर्ष ही पहचान बना

22 की उम्र में बैंक में क्लर्क बने, 2014 में AGM बनकर रिटायर हुए, और अब 71 की उम्र में CA बनकर सबके लिए मिसाल बन गए। उनका मानना है —
"कोई भी काम छोटा नहीं होता, और कोई भी सपना अधूरा नहीं होता अगर इरादे मजबूत हों।"

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