Edited By Raunak Pareek, Updated: 10 Apr, 2025 03:15 PM

जयपुर के निर्बाणा पैलेस में ‘अनदेखी की खोज’ प्रदर्शनी में कलाकार अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी ने अपनी इंटेजिब्लिज्म कला से बौद्धिक और भावनात्मक यात्रा को सजीव किया। यह कला आंदोलन समाज की अनदेखी संवेदनाओं को उजागर करता है और रचनात्मकता को बदलाव का माध्यम...
जयपुर स्थित निर्बाणा पैलेस की मॉन अमौर गैलरी इन दिनों एक बेहद खास कला प्रदर्शनी की मेजबानी कर रही है। इस प्रदर्शनी का नाम है ‘अनदेखी की खोज’, और इसके केंद्र में हैं बहुचर्चित कलाकार, शिक्षाविद और दार्शनिक अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी, जिन्होंने अपनी कलाकृतियों और विचारधारा से एक पूरी नई कला-दृष्टि पेश की है—इंटेजिब्लिज्म
यह प्रदर्शनी केवल चित्रों का संग्रह नहीं, बल्कि एक बौद्धिक और भावनात्मक यात्रा है। ‘इंटेजिब्लिज्म’ कला की वह शैली है जो दृश्य कला को आंतरिक भावनाओं, अदृश्य विचारों और समाज की अनदेखी संवेदनाओं से जोड़ती है। पृथ्वीवासी के अनुसार, कला केवल सौंदर्य या बाजार की वस्तु नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है।
'इंटेजिब्लिज्म' क्या है?
‘इंटेजिब्लिज्म’ शब्द अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी का अपना नवाचार है। यह एक दार्शनिक और कलात्मक अवधारणा है जो कहती है कि कला केवल दिखाने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने और जागरूकता लाने की शक्ति है। यह शैली उन बातों को अभिव्यक्त करती है जिन्हें अक्सर शब्द नहीं मिलते, और समाज जिन्हें अक्सर अनदेखा कर देता है।
प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान पृथ्वीवासी ने युवाओं से अपील की कि वे कला को केवल शौक या पेशा नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी का माध्यम बनाएं। उन्होंने कहा “दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान कला और क्रिएटिविटी में है। सिर्फ एक सृजनात्मक सोच ही इस दुनिया को विनाश से बचा सकती है।”
इस अनूठी प्रदर्शनी को जयपुर की जानी-मानी आर्ट क्यूरेटर सिमरन कौर ने डिज़ाइन किया है। प्रदर्शनी में न केवल चित्रों के माध्यम से संवेदनाएं व्यक्त की गई हैं, बल्कि हर कलाकृति के पीछे की सोच, अनुभव और समाज के प्रति जिम्मेदारी भी स्पष्ट रूप से झलकती है।