राज्यपाल बागड़े बोले- “राष्ट्र प्रथम” भावना, देश प्रेम और विकास का प्रतीक

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 24 Sep, 2025 04:54 PM

a symbol of nation first sentiment patriotism and development

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि "राष्ट्र प्रथम" नारा नहीं देश प्रेम से जुड़ी भावना और विचार है

जयपुर । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि "राष्ट्र प्रथम" नारा नहीं देश प्रेम से जुड़ी भावना और विचार है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को दबाव में लाने के लिए निरंतर प्रपंच रच रहा है, पर अमेरिका  के पास  अपनी प्रतिभाएं नहीं है। वहां जो प्रतिभाशाली लोग काम करते हैं, वे 70 से 80 प्रतिशत भारत के हैं। 

राज्यपाल बागडे बुधवार को "विकसित भारत संकल्प सम्मेलन" में "राष्ट्र प्रथम" अंतरराष्ट्रीय विचार गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल के नेतृत्व में देश में परमाणु परीक्षण हुआ। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान ने देश को धमकी दी तो उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान हमारे देश का यदि एक चौथाई हिस्सा भी बाधित करेगा तो हम पाकिस्तान को दूसरे दिन का सूर्य नहीं देखने देंगे। यही राष्ट्र प्रथम की सोच है।

राज्यपाल बागडे ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना यही है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। देश में 25 करोड़ लोगों का जन धन खाता बैंकों में खोला गया हैं। ऐसा कहीं और नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि "राष्ट्र प्रथम" का भाव यही है कि देश में आजादी के 47 साल बाद कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा झंडा फहराया गया। यही "राष्ट्र प्रथम" है कि हमारा देश तेजी से विकसित भारत बन रहा है। उन्होंने देश में सभी क्षेत्रों में हों रहे विकास की चर्चा करते हुए कहा कि आज भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर, गेहूं उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और अर्थव्यवस्था ग्यारह से चौथे नंबर पर आ गई है। यही "राष्ट्र प्रथम" की सोच है। उन्होंने कहा कि देश की आबादी के अंतर्गत 280 करोड़ हाथ राष्ट्र विकास के लिए कार्य करें। 

राज्यपाल बागडे ने इस अवसर पर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को समर्पित पुस्तक "कर्म गाथा" का लोकार्पण किया।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि राष्ट्र अपने आप में विचार और जीवंत दर्शन है। उन्होंने "राष्ट्र प्रथम" के अंतर्गत भारतीय उत्पादों का ही सबको उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी को अपनी निर्धारित जिम्मेदारी पूरा करने के लिए सदा तत्पर रहने, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने विद्यालयों के पाठ्यक्रम, वहां के शिक्षकों में भी राष्ट्रीय भाव पैदा करने और संस्कार निर्माण की शिक्षा दिए जाने की आवश्यकता जताई।

विधानसभा अध्यक्ष ने देश में प्राप्त शिक्षा का उपयोग देश के लिए ही किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। विकसित राष्ट्र नहीं चाहते कि देश आगे बढ़े। उन्होंने सभी को मिलकर भारत के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु था नहीं है और विश्वगुरु आगे भी रहेगा। 
इससे पहले महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के संस्थापक डॉ. एमएल स्वर्णकार, किशोर रुंगटा, डॉ.महेश शर्मा ने भी अपने विचार रखे।

 

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