Edited By Kailash Singh, Updated: 26 Aug, 2025 02:22 PM

राजस्थान की मरुभूमि के आसमान में सोमवार को भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास का एक युग विदाई लेता दिखाई दिया। बीकानेर स्थित नल एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने अपने दिग्गज सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MiG-21 को अलविदा कहने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की।...
बीकानेर के नाल एयरबेस से MiG-21 को अंतिम सलामी
बीकानेर । राजस्थान की मरुभूमि के आसमान में सोमवार को भारतीय वायुसेना के स्वर्णिम इतिहास का एक युग विदाई लेता दिखाई दिया। बीकानेर स्थित नल एयरबेस पर भारतीय वायुसेना ने अपने दिग्गज सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MiG-21 को अलविदा कहने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह स्वयं इस विमान में उड़ान भरकर इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। पिछले छह दशकों से अधिक समय तक MiG-21 भारतीय वायुसेना का रीढ़ रहा है। 1960 के दशक में शामिल हुआ यह विमान न केवल युद्ध और शांति दोनों स्थितियों में भारत की सुरक्षा ढाल बना, बल्कि हजारों पायलटों की पहली पसंद और प्रशिक्षण का आधार भी रहा।
“तेजस ही असली उत्तराधिकारी”
एयरबेस पर उपस्थित अधिकारियों और वायुसैनिकों को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, “तेजस को ही MiG-21 के स्थान पर बनाया गया था। यही कारण है कि यह छोटा विमान है। इसका डिजाइन MiG-21 पर आधारित है और इसमें मिराज से प्रेरणा ली गई है। इसका डेल्टा विंग प्लेटफॉर्म इसी वजह से है। तेजस MiG-21 की जगह बहुत अच्छे से लेगा, लेकिन इसे और विकसित करना होगा।”
उन्होंने पुष्टि की कि 83 तेजस विमानों का अनुबंध पहले ही हो चुका है और एक नया अनुबंध भी जल्द साइन होने वाला है। “जैसे हमारे पास MiG-21 के अलग-अलग वर्जन रहे, वैसे ही तेजस के MK-1, MK-2 और आगे चलकर AMCA जैसे संस्करण इस बेड़े की जगह लेंगे और भारतीय वायुशक्ति को और आगे ले जाएंगे,” उन्होंने कहा।
पायलट की यादों में अमर रहेगा MiG-21
अपने अनुभवों को साझा करते हुए एयर चीफ भावुक हो उठे। उन्होंने कहा, “1985 में तेजपुर में मैंने पहली बार MiG-21 उड़ाया था। किरन विमान उड़ाने के बाद यह एकदम नया अनुभव था। यह विमान बेहद फुर्तीला, मैनूवरेबल और सरल डिजाइन वाला है। मैक्स रीहीट पर यह 200-250 मीटर प्रति सेकंड की दर से चढ़ सकता था। इसे उड़ाने वाले लोग इसे हमेशा याद करेंगे।”
उन्होंने बताया कि दुनिया भर में करीब 11,000 MiG-21 बनाए गए और 60 से ज्यादा देशों ने इसे संचालित किया। यह दुनिया के सबसे ज्यादा बनाए और चलाए गए सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है।
भविष्य की ओर कदम
वायुसेना प्रमुख ने कहा, “अब इस तकनीक को संभालना मुश्किल हो गया है। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि इस विमान को विदाई दी जाए और आगे बढ़ा जाए। तेजस, तेजस MK-2, राफेल और सुखोई-30 जैसे आधुनिक प्लेटफॉर्म अब इसकी जगह लेंगे और भारतीय आकाश में वर्चस्व को कायम रखेंगे।”
नाल एयरबेस पर यह विदाई समारोह भावुक और गर्व से भरा रहा। कई पायलटों के लिए MiG-21 केवल एक मशीन नहीं, बल्कि एक गुरु, युद्ध का साथी और भारत की हवाई क्षमता का प्रतीक था।
MiG-21 के इस अध्याय के समाप्त होने के साथ भारतीय वायुसेना एक नए युग की ओर बढ़ रही है — एक ऐसा युग जिसमें स्वदेशी तेजस, उन्नत राफेल और आने वाला AMCA भारत की वायुशक्ति को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।