नासा की स्पेस ट्रैवलर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अर्थ की वापसी

Edited By Chandra Prakash, Updated: 18 Mar, 2025 02:08 PM

sunita williams returns to earth from international space station

नासा की स्पेस ट्रैवलर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर मंगलवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अर्थ की वापसी के लिए रवाना हो चुके है। जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। यह वापसी इसलिए भी खास है क्योंकि इसके साथ ही अंतरिक्ष में नौ महीने का यह...

जयपुर, 18 मार्च 2025 । नासा की स्पेस ट्रैवलर सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर मंगलवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अर्थ की वापसी के लिए रवाना हो चुके है। जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। यह वापसी इसलिए भी खास है क्योंकि इसके साथ ही अंतरिक्ष में नौ महीने का यह ऐतिहासिक मिशन पूरा हो जाएगा। सुनीता विलियम्स और विल्मोर, स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर धरती की ओर लौट रहे हैं, जहां उनके साथ दो अन्य क्रू-9 मैंबर भी होंगे। अगर भारतीय समय के मुताबिक देखा जाए, तो 18 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर अंतरिक्ष यान को ISS से अलग कर दिया गया। इसके बाद यह धीरे-धीरे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा और 19 मार्च को सुबह लगभग साढ़े 3 बजे समुद्र में लैंडिंग होगी। इस पूरे मिशन का टाइमटेबल आपकी स्क्रिन पर दिया गया है जिसे आप देख सकते है। उसमें सयम और किस टाइम पर क्या होगा वह बताया हुआ है। 

18 मार्च सुबह 08:15 बजे – हैच क्लोज (यान का ढक्कन बंद किया जाएगा)
18 मार्च सुबह 10:35 बजे – अनडॉकिंग (आईएसएस से यान का अलग होना)
19 मार्च सुबह 02:41 बजे – डीऑर्बिट बर्न (वायुमंडल में प्रवेश)
19 मार्च सुबह 03:27 बजे – स्प्लैशडाउन (समुद्र में लैंडिंग)
19 मार्च सुबह 05:00 बजे – पृथ्वी पर वापसी के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस

चलिए अब बात करते है स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स हाइजीन कैसे बनाए रखते है। स्पेश में रहना आसान नहीं है। इसके लिए एस्ट्रोनॉट्स को हर दिन कई चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। खासकर हाइजीन और डेली रूटीन को लेकर। एक एस्ट्रोनॉट को 16 घंटे काम करने के बाद कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी जरूरी होती है। स्पेस में लाइट और साउंड अलग तरह से ट्रैवल करते हैं, इसलिए उन्हें ईयरप्लग्स और आईमास्क लगाकर सोना पड़ता है। इसके अलावा बाथ लेना भी आसान नहीं होता ।इसके लिए एस्ट्रोनॉट्स को हर दिन स्पंज बाथ लेना होती है, जिसके लिए उनके पास दो कपड़े होते हैं – एक नहाने के लिए और एक धोने के लिए। बाल धोने के लिए उन्हें वॉटरलेस शैम्पू का यूज करना होता है। क्योंकि पानी और साबुन जीरो ग्रैविटी में शरीर से चिपक सकता है। जबकी एक्स्ट्रा पानी सक्शन टेक्नोलॉजी से स्पेस वेस्ट वाटर टैंक में चला जाता है।

टूथब्रशिंग भी किसी चैलेंज से कम नहीं। जीरो ग्रैविटी में टूथपेस्ट फ्लोट करने लगता है, इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को इसे सावधानी से इस्तेमाल करना पड़ता है। सबसे कठिन टास्क होता है टॉयलेट इस्तेमाल करना। जीरो ग्रैविटी में फ्लश काम नहीं करता, इसलिए हर एस्ट्रोनॉट के लिए अलग यूरिनल पाइप होता है और वेस्ट मैटेरियल को वैक्यूम टेक्नोलॉजी से खींचा जाता है।

इस मिशन की बात करें तो यह मिशन कई मायनों में खास है। यह नासा और स्पेसएक्स की पार्टनरशिप के तहत हुआ एक महत्वपूर्ण मिशन था, जिसमें SpaceX के ड्रैगन यान का इस्तेमाल किया गया। यह भविष्य में मार्स और Moon मिशन के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस सफल वापसी के साथ SpaceX ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्राइवेट कंपनियां भी स्पेस एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस मिशन के सक्सेस होने पर फ्यूचर में स्पेस ट्रैवल करना भी आसान हो जाएगा। Elon Musk की SpaceX और Jeff Bezos की Blue Origin जैसी कंपनियां स्पेस टूरिज्म पर काम कर रही हैं। खैर आने वाले फ्यूचर में क्या होता है यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। आपको ये स्टोरी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरुर बताएं।


 

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