भटनेर के झरोखे से...संगठन मुखिया ने दिए बदलाव के संकेत, कई नेता जुगाड़ में !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 11 Aug, 2024 03:58 PM

organization head gave indications of change many leaders are in jugaad

प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में नए प्रदेश प्रधान की नियुक्ति के बाद उनकी नई टीम का इंतजार है। अपने पहले ही भाषण में छाप छोड़ चुके प्रदेश प्रधान ने पिछले हफ्ते अपनी टीम में बदलाव के संकेत दे दिए हैं। कार्यभार ग्रहण समारोह में सरकार की पूर्व मुखिया...

हनुमानगढ़, 11 अगस्त 2024 (बालकृष्ण थरेजा) : प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में नए प्रदेश प्रधान की नियुक्ति के बाद उनकी नई टीम का इंतजार है। अपने पहले ही भाषण में छाप छोड़ चुके प्रदेश प्रधान ने पिछले हफ्ते अपनी टीम में बदलाव के संकेत दे दिए हैं। कार्यभार ग्रहण समारोह में सरकार की पूर्व मुखिया की नसीहत का चतुराई से जवाब देकर चर्चा में आए प्रदेश प्रधान अब संगठन को रफ्तार देने की रणनीति बनाने में जुटे हैं। प्रदेश में सत्ता आने के साथ ही पार्टी का संगठन सुस्त सा हो गया है विपक्ष आक्रामक है और लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने उम्मीद से बढ़कर परिणाम अपने पक्ष में कर लिया। नए प्रदेश प्रधान के सामने आगामी दिनों में होने वाले करीब आधा दर्जन सीटों के विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को जीत दिलाना सबसे बड़ी चुनौती है। प्रदेश संगठन से कई ऐसे नेताओं की छुट्टी हो सकती है जो सक्रिय नहीं हैं अथवा जातिगत समीकरण में फिट नहीं बैठ रहे हैं। कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। दिल्ली की पसंद से टिकट हासिल कर लोकसभा का चुनाव नहीं जीत सके कुछ नेताओं को संगठन में शामिल किया जा सकता है। संगठन में शामिल होने के लिए पार्टी के कई नेता जुगाड़ बैठाने में लगे हैं। सत्ता वाली पार्टी की संगठन की विपक्षी संगठन के मुकाबले सरकार में कद्र ज्यादा होती है। इसलिए संगठन में पद पाने वालों की कोशिश भी तेज होती है। कई नेता दिल्ली से तार जोड़कर संगठन में आना चाहते हैं। आने वाले दिनों में पार्टी संगठन की नई टीम घोषित होने पर इन नेताओं के जुगाड़ का परिणाम सामने आएगा।

निर्दलीयों का गुपचुप डिनर, अब नई खिचड़ी के संकेत!
विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने के बाद प्रदेश से जीते आधा दर्जन निर्दलीय विधायकों ने एक बड़े होटल में गुपचुप डिनर किया। सोशल मीडिया पर उनकी मुलाकात की फोटो वायरल हो रही है। डिनर में हुई बातचीत को इतना गुप्त रखा गया है कि विधायकों की टेबल पर किसी अन्य को मौजूद नहीं रहने दिया गया। यह डिनर सरकार के लिए टेंशन बढ़ाने वाला हो सकता है। एक युवा निर्दलीय तो शुरू से ही मुखर हैं और लोकसभा चुनाव लड़कर उन्होंने अपनी अच्छी छाप छोड़ी है। प्रदेश में कई तरह के ऐसे मसले हैं जो अनसुलझे हैं और उनमें निर्दलियों की भूमिका सरकार के लिए टेंशन वाली हो सकती है। विपक्षी पार्टी भी निर्दलीयों से लगातार संपर्क में रही है। अगले महीने राज्यसभा की एक सीट का उपचुनाव है उसके लिए निर्दलीयों की लॉबिंग विपक्षी पार्टी को उम्मीदवार खड़ा करने के लिए हौसला दे सकती है। हालांकि इस चुनाव के नतीजे को लेकर सत्ताधारी पार्टी को कोई चिंता नजर नहीं आ रही है फिर भी उम्मीदवार उतारने से सत्ता वाली पार्टी को ज्यादा जोर लगाना पड़ सकता है। सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया पहले ही अलग ट्रैक पर चल रही हैं और अब निर्दलीयों की लॉबिंग से सरकार और संगठन के मुखिया को अपनी रणनीति को चाक-चौबंद रखना होगा।

राजनीतिक खेल में जनता की भावनाओं की अहमियत..!
प्रदेश के खाद्य आपूर्ति मंत्री का हालिया दौरा एक शानदार राजनीतिक तमाशे का मंच साबित हुआ। डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर पर मंत्री का स्वागत कार्यक्रम कुछ खास ही था—मतलब एक ही पार्टी यानी सत्ता  पक्ष के दो गुटों के बीच चले आरोप-प्रत्यारोप और गालियों का यह सिलसिला अब मीडिया की सुर्खियाँ बन चुका है। पार्टी पदाधिकारियो के दो गुटों  के बीच  मंत्री के साथ फोटो सेशन को लेकर हुए झगड़े ने पार्टी की खूब छीछालेदार की है। खैर ..इस सिद्धांतहीन ओछी राजनीतिक हरकत ने जनता को राजनीति की अंदर की सच्चाई का नंगा नाच दिखा दिया। मामला तब और दिलचस्प हो गया जब पार्टी के नेताओं ने अपनी साख बचाने के लिए हस्तक्षेप किया। हालांकि आरोप ये भी है  की  यह घटनाक्रम पार्टी के कुछ जिला पदाधिकारियों  के इशारे पर ही घटित हुआ है। अर्थात युवा मोर्चा के दो पदाधिकारी जो एक ही समाज से आते हैं। बीते दौर में जिला मुख्यालय  से जाट मंत्री की खिलाफत के लिए जाने जाते थे। पूर्व और वर्तमान युवा मोर्चा नेता आजकल एक- दूसरे को पटकनी देने में पूरी  ताकत से जुटे हुए हैं। कभी दोनों एक - दूसरे के खास हुआ करते थे। चंद रोज पूर्व राजनीति के इस खेल में आपसी रंजिश और आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा नाटक देखने को मिला, जिसे देखकर लगता है कि ऐसे नेताओं के पास कोई और काम नहीं है। अगले ही दिन, जब गालियाँ देने वाले नेता हँसी-मजाक में गले मिलते हैं और फोटो खिंचवाते हैं, तो एक सवाल उठता है: क्या वे वास्तव में जनता को इतना मूर्ख समझते हैं कि लोग उनके इस बेहूदे और मूर्खतापूर्ण राजनीतिक नाटक को समझ न पाएं ? हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर घटित यह घटना सिर्फ राजनीति के खेल की व्याख्या नहीं करती, बल्कि यह भी दर्शाती है कि राजनीतिक  जीव कितनी आसानी से अपनी छवि को अपनी खुद की सुविधाओं के लिए बदल लेते हैं। कुछ घंटे पहले तक गालियाँ और आरोप, कुछ घंटे बाद गले मिलना। तेजधार हथियार से एक - दूसरे पर कातिलाना हमला करना और फिर  बेशर्मों की तरह  कहना की कुछ हुआ  ही नहीं। क्या यही है हमारी राजनीति की वास्तविकता? यह बेशर्मी साबित करती है कि राजनीतिक खेल के इस स्टेज पर जनता की भावनाओं की कोई अहमियत नहीं है, बल्कि सब कुछ बस एक ड्रामा है, जिसमें हर कोई अपनी भूमिका निभाता है और जनता के सामने एक नई स्क्रिप्ट पेश करता है। वैसे जनता बावली कोणी भाया।

हर जगह पहुंच बनाने की कोशिश छोड़ रही छाप
जिला मुख्यालय से निर्दलीय विधायक की राजधानी में सरकार के साथ ट्यूनिंग अच्छी होती दिख रही है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उन्होंने इलाके की कई समस्याएं उठाई। निर्दलीय होने के बाद भी सत्ताधारी  पार्टी ने विधायक दल की मीटिंग में उन्हें बुलाया। सरकार के मुखिया उनकी बातों को गंभीरता से सुन रहे हैं। बजट सत्र खत्म होने के बाद विधायक इलाके में खूब सक्रिय हैं। जिला मुख्यालय पर पहले से ही उनकी पहुंच है और नगर परिषद उनके लिए आमजन से संवाद में अहम कड़ी साबित हो रहा है। अब विधायक ग्रामीण इलाके में पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों के बुलावे पर विधायक का पहुंचना तो होता ही है अब विधायक लोगों की समस्या जानने के लिए  खुद भी दूर-दूराज के इलाकों में पहुंच रहे हैं। पिछले हफ्ते ग्रामीण इलाके में हुई भारी बारिश के बाद फसलों के नुकसान और गांवों में पानी भराव की समस्याओं को उन्होंने करीब से देखा। विधायक का लोगों की समस्याओं को मौके पर सुनकर उनके समाधान की कोशिश करना अब क्षेत्र के लोगों को खूब पसंद आ रहा है। विधायक की यह पहुंच बनाने की कोशिश अच्छी छाप छोड़ रही है। जिला मुख्यालय और विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए विधायक की यह सक्रियता जरूर काम आने वाली है।
    

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