Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Jul, 2024 02:46 PM
राजस्थान बीजेपी में एक बार फिर से सियासत गरमा गई है । दरअसल कांग्रेस से बागी होकर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व लोकसभा सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया हैं । बैरवा ने भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ को पत्र लिखकर...
जयपुर, 29 जुलाई 2024 । राजस्थान बीजेपी में एक बार फिर से सियासत गरमा गई है । दरअसल कांग्रेस से बागी होकर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व लोकसभा सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया हैं । बैरवा ने भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा सौंप दिया हैं । इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है । मैं खुद भाजपा की विचारधारा से अपने आप को जोड़ नहीं पाया । इसलिए समर्थकों के साथ भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं । बता दें कि खिलाड़ी लाल बैरवा लोकसभा चुनावों के समय कांग्रेस से बागी होकर भाजपा में शामिल हुए थे ।
खिलाड़ी लाल बैरवा का भाजपा से इस्तीफा
भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ को भेजा इस्तीफा
बोले, 'मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है'
भाजपा की प्राथमिकता सदस्यता से दिया इस्तीफा
बताया जाता है कि विधानसभा चुनावों के समय उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से टिकट मांगी थी, लेकिन टिकट नहीं मिली तो उन्होंने कांग्रेस के प्रति गहरी नाराजगी जताई । इसके बाद लोकसभा चुनावों के समय बैरवा ने बीजेपी का दामन थाम लिया था ।
खिलाड़ी लाल बैरवा ने एक बार फिर पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर साधा निशाना
खिलाड़ी लाल बैरवा ने पत्र के जरिए भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने पर मदन राठौड़ को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं । इसके साथ ही सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले बैरवा ने पत्र के जरिए एक बार फिर पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है । उन्होंने कहा कि पुर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अपने चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की लालसा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को कांग्रेस से बाहर करने का असफल प्रयास किया गया। पायलट साहब के गुट के लोगों के फोन टेप करवाए, जिसका लोकेश शर्मा (ओ.एस.डी., पूर्व मुख्यमंत्री) सविस्तार बता चुके हैं। मेरा भी फोन टेप करवाया गया, जो कि जांच का विषय है। योजनाबंध तरीके के साथ मुझे भी पार्टी से निकाला गया। कुछ खास चापलूस लोगों की सिफारिश पर राजस्थान के इतने टूकडे-टूकडे कर दिए। पंचायत समिति स्तर के क्षेत्रफल वालों को जिले बना दिए। समाज के टूकडे कर इतने सामाजिक बोर्ड बना दिए, जिनका स्वंय को भी पता नहीं।
साथ ही उन्होंने कहा कि 18% अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आयोग को मैंने वैद्यानिक दर्जे की बात की, तो क्या गुनाह कर दिया। अन्तिम छः माह में सरकार द्वारा लिए फैसलों की समीक्षा में चार बिन्दुओं पर समीक्षा हो। जो इस प्रकार है ।
(1) जिले बनाना
(2) सामाजिक बोर्ड बनाना
(3) फोन टेपिंग मामला
(4) अनुसूचित जाति आयोग को वैद्यानिक दर्जा वाला मामला
ऐसे में मैं सरकार से मांग करता हूं। जिस तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा जगह बदल-बदल कर दो बार अपने पुत्र को जीत नहीं दिला पाए। इससे इनके प्रति जनता की भावना साफ दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों की अलग-अलग विचार धाराएं है। मैने एवं मेरे कार्यकर्ताओं ने भाजपा ज्वॉइन की, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी मैं भाजपा की विचारधारा से अपने आप को जोड़ नहीं पा रहा हूं। मैंने 33 वर्ष कांग्रेस में सक्रिय राजनीति की है। विचारधारा मेरे खून में शामिल हो गई है। मुझे भाजपा से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन मैं और मेरे साथी कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी से अलग होते हुए प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे है ।
अब बात कर लेते है बसेड़ी से पूर्व विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा के राजनीतिक जीवन की । तो बैरवा 2000 के दशक की शुरुआत से सक्रिय राजनीति में हैं और 2009 में संसद के लिए चुने गए । वे करौली-धौलपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाने वाले पहले सांसद थे, जिसे 2008 में संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में बनाया गया था। भारतीय परिसीमन आयोग की सिफारिशों पर आधारित। वहीं बैरवा कांग्रेस काल में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं ।