सिजेरियन के दौरान महिला के पेट में छूटा टॉवल जोधपुर एम्स के चिकित्सकों ने निकाला, हाईकोर्ट में याचिका

Edited By Chandra Prakash, Updated: 25 Nov, 2024 05:55 PM

doctors in jodhpur removed towel from a woman s stomach

कुचामन के राजकीय अस्पताल में एक महिला के सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट में एक टॉवल छोड़ दिया। इसके चलते महिला करीब तीन माह तक पेट दर्द से परेशान रही। कई हॉस्पिटलों में चक्कर काटने के बाद एम्स अस्पताल पहुंची। जहां जांच के बाद उसके पेट...

 

जोधपुर, 25 नवंबर 2024 । कुचामन के राजकीय अस्पताल में एक महिला के सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट में एक टॉवल छोड़ दिया। इसके चलते महिला करीब तीन माह तक पेट दर्द से परेशान रही। कई हॉस्पिटलों में चक्कर काटने के बाद एम्स अस्पताल पहुंची। जहां जांच के बाद उसके पेट में 15 *10 साइज का एक टॉवल मिला।  जिसे डाक्टरों ने सर्जरी कर निकाला। 

बता दें कि महिला के पेट में टॉवल छोड़ने की वजह से पिछले करीब तीन महीने से महिला पेट दर्द से परेशान थी। डॉक्टर ने प्रसव के दौरान लापरवाही बरती।  इतना ही नहीं टॉवल अंदर होने के बावजूद महिला के टांके भी लगा दिए गए। उसके बाद महिला करीब 3 महीने तक तेज पेट दर्द से परेशान रही, लेकिन इस लापरवाही का पता नहीं चल सका। महिला ने कुचामन के सरकारी अस्पताल से लेकर मकराना के प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में भी दिखाया। इसके अलावा अजमेर में भी जांच करवाई तो डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कर पेट में गांठ बता दी थी। हालांकि महिला के परिजन उसे एम्स लेकर आए यहां जांच में इस लापरवाही का खुलासा हुआ। 

एम्स में सीटी स्कैन के बाद अंदर किसी फॉरेन बॉडी के होने की जानकारी सामने आई, इसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया । ऑपरेशन के दौरान टॉवल देखकर डॉक्टर भी चौंक गए। इतनी बड़ी साइज का टॉवल आंतों से चिपका हुआ था और आंतों को खराब कर दिया।  इस दौरान 3 महीने तक दर्द से राहत पाने के लिए महिला ने कई तरह की टैबलेट भी ली, जिससे उसके शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचा है।

पेट दर्द के चलते महिला बहुत कम खाना खा पाती थी, इसके चलते उसके स्तन में दूध भी बहुत कम बन रहा है। इसकी वजह से उसके नवजात शिशु को बाहर का दूध पिलाना पड़ रहा है।  जबकि जन्म के प्रथम 6 माह तक शिशु को मां का दूध पिलाना जरूरी होता है। इसके अभाव में बच्चे के जीवन भर कुपोषित रहने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

इधर ऑपरेशन के बाद एम्स के डॉक्टर ने पीड़िता को अगले तीन से चार महीने तक लिक्विड डाइट के साथ हल्का आहार लेने की सलाह दी है।  एम्स ने टॉवल का टुकड़ा कल्चर के लिए भेजा है। जिससे कि उसमें 3 महीने में पनपने वाले बैक्टीरिया सहित अन्य रासायनिक क्रियाओं की जांच भी की जा सके ।

महिला के देवर मनमोहन ने बताया कि तीन माह पहले उनकी भाभी की कुचामन के हॉस्पिटल में डिलीवरी हुई थी। वहां डॉक्टर ने बच्चा और मां दोनों को स्वस्थ बताया। इसके बाद उन्हें नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट किया गया। आमतौर पर दो से तीन दिन में छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन इसके बाद ही उन्हें बुखार और इन्फेक्शन हो गया। करीब दस दिन तक एडमिट रखने के बाद उन्हें डॉक्टरों ने छुट्टी दे दी। 

इसके बाद भी दर्द कम नहीं हुआ इसके बजाय पेट फूलने लगा। इस पर उन्हें मकराना में दिखाया गया, लेकिन यहां पर भी फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद कुचामन के एक अंग डॉक्टर को बताया तो उसने जांच के बाद पेट में चर्बी की समस्या बताई। इसके बाद करीब एक माह तक उनका इलाज चला । यहां भी फर्क नहीं पड़ा तो अजमेर में एक डॉक्टर के पास लेकर गए। यहां जांच में उन्होंने बताया कि पेट में गांठ है। 

15 नवंबर को एडमिट किया गया। इसके बाद 17 नवंबर को ऑपरेशन किया गया। करीब पांच घंटे तक ये ऑपरेशन चला। इसके बाद डॉक्टरों ने तीन किलो के प्लास्टिक डिब्बे में टॉवल दिया। इसके बाद करीब आठ दिन तक उसे एडमिट किया गया।  फिलहाल महिला को छुट्टी दे दी ।

इसी को लेकर हाईकोर्ट में परिजनो ने एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया । जिसको लेकर के अधिवक्ता सरवर खान ने बताया कि 1 जुलाई 2024 को होने की वजह से अस्पताल में भर्ती हुआ और भर्ती होने के दौरान उनके एक बच्चे का जन्म हुआ । 9 दिन तक कुचामन अस्पताल में भर्ती रखा गया इस दौरान पीड़ित पेट दर्द से पीड़ित था इस मामले में डिस्चार्ज कर दिया 3 महीने तक महिला अलग-अलग अस्पताल में इलाज के लिए घूमती रही लेकिन इलाज नहीं हो पाया अंत में एम्स जोधपुर पहुंची जोधपुर एम्स में उसके सर्जरी हुई और सर्जरी के दौरान उसके पेट से मेडिकल कॉलेज निकला उसके बाद पता चला कि यह कपड़ा बच्चों का जन्म हुआ और सर्जरी के दौरान डॉक्टरों से छूटा है इसलिए इस मामले को लेकर कम है तो ऑफिस में भी शिकायत की गई अलग-अलग आयोग के समक्ष भी शिकायत की गई लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई अंत में राजस्थान उच्च न्यायालय में अपराधिक याचिका पेश की गई ओर कमेटी में एम्स का डॉक्टर शामिल हो इसको लेकर के अपील की गई है ।

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