Edited By Rahul yadav, Updated: 25 Nov, 2024 02:57 PM
जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नवाचारों में एक और अहम कदम जोड़ा है। अब किसानों को ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण देकर उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों से जोड़ा जा रहा है। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रदीप पगारिया ने बताया कि विश्वविद्यालय किसानों की आय बढ़ाने...
जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने अपने नवाचारों में एक और अहम कदम जोड़ा है। अब किसानों को ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण देकर उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों से जोड़ा जा रहा है। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रदीप पगारिया ने बताया कि विश्वविद्यालय किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आधुनिक तकनीकों से परिचित कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है। विभिन्न बीजों और तकनीकों के प्रयोग के बाद, अब ड्रोन प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन की दिशा में प्रेरित करना है।
ड्रोन प्रशिक्षण: कृषि में नई क्रांति
ड्रोन तकनीक ने कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। पश्चिमी राजस्थान, जो पारंपरिक खेती पर निर्भर है, अब इस तकनीक से अछूता नहीं रहेगा। जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय ने इस दिशा में पहल करते हुए ड्रोन पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। यह प्रशिक्षण किसानों को आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका भी देगा।
ड्रोन का उपयोग न केवल उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव में मदद करेगा, बल्कि इससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी। पगारिया ने बताया कि पारंपरिक तरीकों से उर्वरकों का छिड़काव करने पर किसानों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और लागत भी अधिक आती है। लेकिन ड्रोन के माध्यम से एक समान और सटीक छिड़काव कम समय और कम लागत में किया जा सकता है।
रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
ड्रोन प्रशिक्षण केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर लेकर आया है। ड्रोन पायलट बनने से युवा न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि कृषि में नई संभावनाओं का द्वार भी खोलेंगे। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को यह भी सिखाया जाएगा कि कितनी मात्रा में उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग करना है, ताकि उनका फसल पर अधिकतम प्रभाव हो।
प्रशिक्षण कार्यक्रम और सरकार की सहायता
अभी हाल ही में विश्वविद्यालय ने इस ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। 1-2 दिसंबर से इसका पहला बैच शुरू होगा, जिसमें 20 लोगों को शामिल किया जाएगा। यह प्रशिक्षण सात दिनों का होगा, जिसमें दो दिन कृषि पर विशेष रूप से फोकस किया जाएगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को सिखाना है कि वे ड्रोन का उपयोग करके कैसे अपनी खेती को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
इसके अलावा, किसानों के लिए ड्रोन खरीदने में सरकार का भी सहयोग रहेगा। सरकार की नमो दीदी योजना और राजस्थान सरकार के प्रयासों के तहत ड्रोन की खरीद पर 50% तक की सब्सिडी उपलब्ध है। ड्रोन की कीमत 6 लाख से 10 लाख रुपये के बीच होती है, और सब्सिडी के कारण इसे खरीदना किसानों के लिए आसान हो जाएगा।
ड्रोन तकनीक से लाभ
ड्रोन तकनीक न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि यह कृषि को अधिक वैज्ञानिक और कुशल बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इस तकनीक से खेती का खर्च कम होगा, फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा और किसानों को नई तकनीकों के साथ कदम मिलाने का अवसर मिलेगा।
जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय का यह नवाचार न केवल पश्चिमी राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा। यह कदम किसानों को आधुनिक खेती की ओर ले जाने के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई राह खोलेगा।