55 नगरपालिकाओं में चुनाव नहीं कराने का मामला, पूर्व सीएम के सलाहकार पहुंचे हाईकोर्ट, कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में जवाब देने दिए निर्देश

Edited By Chandra Prakash, Updated: 29 Apr, 2025 02:52 PM

case of not holding elections in 55 municipalities

सिरोही के पूर्व विधायक व सीएम के सलाहकार रहे संयम लोढ़ा ने हाईकोर्ट में एक याचिका पेश की। जिसमें 55 नगरपालिका के कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राज्य सरकार नें चुनाव नहीं करवाएं। उस याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंद्रशेखर एवं आनंद शर्मा...

सिरोही, 29 अप्रैल 2025 । सिरोही के पूर्व विधायक व सीएम के सलाहकार रहे संयम लोढ़ा ने हाईकोर्ट में एक याचिका पेश की। जिसमें 55 नगरपालिका के कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राज्य सरकार नें चुनाव नहीं करवाएं। उस याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंद्रशेखर एवं आनंद शर्मा की खंडपीठ ने नवंबर 2024 में अपना कार्यालय पूरा कर चुकी 55 नगरपालिकाओं के राज्य सरकार द्वारा चुनाव नहीं करवाने के मामले में राज्य सरकार व राज्य निर्वाचन आयोग को चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता के वकील पुनीत सिंघवी ने कहा कि सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य के पालन करने में विफल हो गई हैं तो महाअधिवक्ता के कहा की सरकार चुनाव करवाने के लिए तैयार है और हम पूरा ब्यौरा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर देंगे। 

याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने संवैधानिक बाध्यता का उल्लंघन कर पाँच वर्ष पूर्ण करने वाली नगरपालिकाओं के चुनाव न करवा कर 25 नवम्बर 2024 को बिना अधिकार प्रशासक नियुक्त कर दिए। यह संविधान के अनुच्छेद 243 (U) और नगरपालिका अधिनियम की धारा 11 सपठनीय धारा 7 का खुला उल्लंघन है। याचिका संवैधानिक प्रावधान एवं नगरपालिका के अधिनियम 2009 की पालना में चुनाव करवाने के लिए दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जनहित याचिका कर्ता संयम लोढ़ा 15 वर्षों तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे है और भारत के संविधान और कानून में गहरी आस्था रखते है। 

उन्होंने पहले भी कई जनहित याचिका की है, जिसमें नाबालिग लड़कियों से बलात्कार की पीड़िताओं को सहायता देने में भेदभाव, राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का नाम बदलकर अटल सेवा केन्द्र करने, राज्य के चिकित्सालयों में चिकित्सकों व कार्मिको की कमी, पुलिस उत्पीडन के पीडितों को सहायता एवं पुलिस जवाबदेही समिति का गठन, सिरोही जिले में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या का निस्तारण से जुड़ी याचिकाएं शामिल है। याचिका में कहा है कि राज्य सरकार के मनमाने तरीके से चुनाव टाल दिए है और ऐसा करके उसने संवैधानिक प्रावधान और नगरपालिका अधिनियम 2009 का उल्लंघन किया है। नगरपालिका का कार्यकाल 25 नवम्बर 2024 को खत्म हो रहा था और चुनावी प्रकिया शुरु करने के बजाए संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर प्रशासक नियुक्त कर दिए संविधान के अनुच्छेद 243u (1) और 243u (3) (a) यह प्रावधान करता है कि 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होन से पूर्व चुनाव करवाना आवश्यक है। इसी नगरपालिका अधिनियम धारा 11 (2) (i) और धारा 7 में स्पष्ट प्रावधान है कि पिछले बोर्ड की पहली बैठक के 5 वर्ष पूर्ण होने से पहले चुनाव करवाना जरुरी है नगरपालिका का कार्यकाल 25 नवम्बर 2024 को पूर्ण हुआ और उसी दिन राज्य सरकार ने अधिकार क्षेत्र के बिना प्रशासक लगा दिए। वर्ष 2019 में तत्कालीन नगरपालिकाओं का कार्यकाल खत्म होने से पहले 1 नवम्बर 2019 को चुनाव प्रकिया शुरु कर दी गई थी। 

याचिका में कहा है कि संविधान और कानून की अवहेलना के लिए राज्य सरकार को फटकार लगानी चाहिए। जिस समय 74 वां संविधान संशोधन लाया गया। तब भारत सरकार के तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री ने यह कहा था कि राज्य सरकारे विधि सम्मत कारणों के बिना नगरपालिकाओं के चुनाव लंबे समय तक नही करवाती है और निर्वाचित नगरपालिका के साथ गैर कानूनी छेड़छाड करती रहती है । अतः नियमित और निष्पक्ष स्वायतशाषी इकाईयो के गठन के लिए उन्हें संवैधानिक दर्जा दिया जा रहा है। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय किशनसिंह तोमर बनाम नगर निगम अहमदाबाद (2006) के निर्णय को भी उदधृत किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्राकतिक आपदाओ के अलावा स्थानीय निकायों के चुनाव नही टाले जा सकते है। यदि किसी पालिका बोर्ड का विघटन किया गया है तब भी 6 माह के भीतर चुनाव करवाने होगें। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि स्थानीय निकायों को लेकर संविधान में प्रावधान इसलिए जोडा गया है कि नगरपालिका चुनाव की प्रकिया शुरु करने में विलम्ब को टाला जा सके। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय सुरेश महाजन बनाम मध्यप्रदेश सरकार को भी उदधृत किया गया है । जिसमें कहा गया है की संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नही किया जा सकता है, ना तो राज्य सरकार को अधिकार है ना ही राज्य निर्वाचन आयोग को । सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को अपने अंतरिम आदेश में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की व्यापक जनहित में यह आवश्यक है कि 5 वर्ष की अवधि खत्म होने से पहले ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाए। राज्य सरकार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। यह याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई है की राज्य सरकार ने प्रशासक नियुक्त किए है उन्हे असंवैधानिक घोषित किया जाए और तत्काल चुनाव करवाए जाएं ।
 

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