Edited By Raunak Pareek, Updated: 27 Nov, 2024 04:32 PM
दौसा के भाजपा नेता शंकरलाल शर्मा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बयानों पर तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि किरोड़ी के आरोपों का कोई आधार नहीं है और दौसा की जनता को धन्यवाद देने की बजाय आरोप लगाए जा रहे हैं। शर्मा ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए...
राजस्थान की सियासत में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है, खासकर दौसा विधानसभा सीट के उपचुनाव के परिणामों के बाद। दौसा में बीजेपी के पूर्व विधायक शंकरलाल शर्मा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बयानों पर तीखा पलटवार किया है। शर्मा ने कहा कि मंत्री किरोड़ी ने हार का जिम्मा दूसरों पर डालने की बजाय, जनता का धन्यवाद करना चाहिए था।
मैने उनका एक डायलॉग और देखा। मेघनाद बनकर लक्ष्मण जैसे भाई को मारने की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने साधु वेश में भिक्षा भी मांगी लेकिन लोगों ने यह फैला दिया कि रावण ने भी साधु बनकर भिक्षा मांगी थी। सीता को हरण करके ले गया था। हमें समझ नहीं आ रहा वो किसे मेघनाद कह रहे हैं?
जनरल सीट पर एसटी की उम्मीदवारी तो जनरल कहां जाएगा
वहीं शंकरलाल शर्मा ने कहा- दौसा को लेकर शुरु में मैंने विरोध किया। विरोध केवल इस बात का था कि जनरल सीटों के ऊपर बार-बार एसटी को टिकट देंगे तो आखिर जनरल कहां जाएगा? डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा को ले लीजिए। दूसरों को छोड़ो, डॉक्टर साहब के भतीजे को महुआ, खुद डॉक्टर साहब को सवाई माधोपुर दे दिया भाई को दौसा में दे दिया। यह तो विरोध आपस में चलता रहता है।
दो बार चुनाव लड़ चुका, उसके बावजूद भी मेरे को नहीं पूछा
शंकरलाल शर्मा ने कहा, "जहां तक मेरी चुनावी सक्रियता का सवाल है, यह एक चुनाव है और इस दौरान चारों ओर से ब्राह्मणों समेत विभिन्न जातियों के नेताओं को दौसा में लाया गया। जब मैं दौसा का विधायक था, तब मैंने लोगों की सेवा की और दो बार चुनाव लड़ा, जिससे मुझे लोगों का सम्मान मिला। बावजूद इसके, मुझे कभी नहीं पूछा गया। लोग बिना पूछे ही कहते हैं कि मैं सक्रिय नहीं था। मैं एक ब्राह्मण हूं और एक सिद्धांत के तहत, मैं बिना बुलाए भगवान के भी नहीं जाता। जब मेरी जरूरत नहीं थी, तो मैं क्यों जाऊं?"
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने तो अपनी जान लगाई । तभी इतने कम अंतर से हारे हैं।इसके बावजूद यह कहना है कि विश्वासघात किया है, मैं इसको अन्याय समझता हूं
इस बार की मेहनत ने और भारी अंतर को कम किया
चुनाव परिणाम के बाद डॉक्टर किरोड़ी और जगमोहन मीणा के बयानों और आरोपों पर शंकरलाल शर्मा ने तीखा प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "वे दौसा की जनता को धन्यवाद देने की बजाय आरोप लगा रहे हैं, जो कि समझ से परे है। 2018 के चुनावों में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौसा में रैलियां की थीं, तब हम 8 सीटें हार गए थे। क्या उस समय प्रधानमंत्री ने विश्वासघात किया था, या फिर डॉक्टर साहब ने? हम किसे दोष दे रहे हैं? मैंने 50,000 वोटों से हार का सामना किया, फिर 30,000 वोटों से हार गया। अब विश्वासघात के आरोप किस पर लगाए जा रहे हैं? वहीं, जगमोहन मीणा तो केवल 2,300 वोटों से हार गए हैं।"
मुरारी लाल की तरफ होगा किरोड़ी लाल का इशारा, उनके अपने तो वहीं
किरोड़ी के "अपनों ने मारा है" वाले बयान पर शंकरलाल शर्मा ने करारा पलटवार करते हुए कहा, "मैं एक बात मानकर चल सकता हूं, जैसे डॉक्टर साहब के बारे में पहले से ही यह कहा जाता रहा है कि उनकी मुरारीलाल मीणा से सेटिंग है। यह बात एमपी और एमएलए के चुनावों में भी सामने आई थी। हो सकता है कि डॉक्टर साहब का इशारा मुरारीलाल की तरफ हो। क्या उनका इशारा कहीं मुरारीलाल की तरफ तो नहीं है? 'अपनों ने लूटा' वाली बात तो उन पर ही लागू होती है। बीजेपी में सभी ने वोट दिया है। जब पारिवारिक संबंध होते हैं, तो ऐसे शब्द निकल ही जाते हैं।" वहीं शंकरलाल शर्मा ने कहा, "जगमोहन मीणा, डॉक्टर साहब के भाई हैं। इसके अलावा दौसा में उनकी कोई राजनीतिक या सामाजिक पहचान नहीं है। उनका राजनीतिक अस्तित्व केवल डॉक्टर साहब के भाई होने तक ही सीमित है।"
बिना किरोड़ी जगमोहन का राजनीतिक आधार नहीं
पूर्व विधायक शंकरलाल शर्मा ने कहा,
"मैं हमेशा एक कार्यकर्ता रहा हूं और दौसा की सेवा की है। आज अगर आप दौसा के लोगों से पूछें तो 90%, बल्कि 100% लोग यही कहेंगे कि जगमोहन का राजनीतिक आधार केवल डॉक्टर किरोड़ी के भाई होने तक ही सीमित है।"
किरोड़ी के भाजपा में आने पर 8 सीट हारे, जब वे राजपा में थे तो हम 5 सीटें जीते
शंकरलाल शर्मा ने कहा, "जब एमपी के चुनाव हुए थे, तो डॉक्टर साहब ने दौसा के उम्मीदवार कन्हैयालाल मीणा को सबसे कमजोर बताया था। मैंने सबके सामने कहा था कि यह गलत है, कन्हैयालाल मीणा एक ऐसे नेता हैं जो सबको साथ लेकर चलने में सक्षम हैं। इसके बाद, किरोड़ी ने मुझ पर आरोप लगाया कि मुझे चुनाव के लिए नहीं बुलाया गया था। मैंने जवाब में कहा था कि जब किरोड़ी राजपा में थे तो हम 5 सीटें जीते थे, लेकिन जब वह भाजपा में आए, तो हम 8 सीटें हार गए। लोकसभा चुनावों में किरोड़ी ने जो काम किया, वह सभी को मालूम है।"