Edited By Chandra Prakash, Updated: 23 Nov, 2024 03:30 PM
प्रदेश में 13 नवंबर को सात सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों के परिणाम आ ही गए । प्रदेश की सात सीटों में से एक सीट पर कांग्रेस, एक सीट बाप पार्टी तो पांच सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमा लिया है । हालांकि इन उपचुनावों में कई दिग्गज नेताओं की...
जयपुर/नागौर, 23 नवंबर 2024 । प्रदेश में 13 नवंबर को सात सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों के परिणाम आ ही गए । प्रदेश की सात सीटों में से एक सीट पर कांग्रेस, एक सीट बाप पार्टी तो पांच सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमा लिया है । हालांकि इन उपचुनावों में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा और राजनीति पर साफ तौर पर असर होता हुआ दिखाई दिया है । इन्ही सात सीटों में से एक सीट ऐसी है जहां पिछले 16 सालों से एक दिग्गज नेता की पार्टी ने कब्जा जमा रखा है । जी हां हम बात कर रहे हैं खींवसर विधानसभा सीट की । जहां हनुमान बेनीवाल का गढ़ कही जाने वाली खींवसर सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपना कब्जा कर लिया है । भाजपा के रेवंतराम डांगा ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी आरएलपी की कनिका बेनीवाल को 13 हजार 870 वोटों से हरा दिया है । वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस की डॉ. रतन चौधरी रही, जिनके पति सवाई सिंह चौधरी ने नवबर, 2023 में ही भाजपा का दामन थामा था ।
हनुमान बेनीवाल का ये फैसला बना हार का कारण !
इस सीट पर शुरू से ही त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था । इन विधानसभा उपचुनावों में खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के साथ ही कांग्रेस और भाजपा ने मुख्य दावेदारी पेश की थी । जिसके चलते यहां मुकाबदला दिलचस्प हो गया था । आपको बता दें कि हनुमान बेनीवाल इन चुनावों से पहले कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर जीत हासिल कर लेते थे, लेकिन अबकी बार बेनीवाल का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कहीं ना कहीं गलत साबित होता हुआ दिखाई दिया । इसका अंजाम बेनीवाल को इन उपचुनावों में भुगतना पड़ा । इसी के साथ अब विधानसभा में एक भी आरएलपी का विधायक नहीं बचा । कनिका बेनीवाल को बीजेपी प्रत्याशी रेवंत राम डांगा के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
खींवसर विधानसभा सीट की 2008 से सियासी गणित
खींवसर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पिछले 2008 से हनुमान बेनीवाल जमे हुए थे, हनुमान बेनीवाल ने 2008 में भाजपा से चुनाव लड़ा और 24,443 मतों से जीत हासिल की थी । फिर 2013 में निर्दलीय चुनाव लड़ा जिसमें 23,020 मतों से जीत हासिल की थी । उसके बाद हनुमान बेनीवाल ने अपनी खुद की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से 2018 में खींवसर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें 16,948 मतों से जीत हासिल की थी। 2023 में फिर हनुमान बेनीवाल खींवसर सीट से चुनाव लड़ें और यहां से भाजपा प्रत्याशी रेवंतराम डांगा को 2,059 मतों से चुनाव हराया ।
इंडिया गठबंधन से आरएलपी की इन उपचुनावों में नहीं बनी थी बात
हनुमान बेनीवाल इससे पहले कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ते रहे हैं। लोकसभा चुनाव भी बेनीवाल ने इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था और नागौर से सांसद चुने गए थे। लेकिन बेनीवाल का इस उपचुनाव में इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी, जिसके बाद बेनीवाल का इंडिया एलायंस के साथ गठबंधन टूट गया । जिसके चलते वे अकेले ही चुनावी समर में उतरे थे। इसके चलते खींवसर सीट पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और प्रत्याशी कनिका बेनीवाल की प्रतिष्ठा और राजनीति दोनों दांव पर लगी हुई थी। सियासी जानकारों का मानना है कि हनुमान बेनीवाल को इंडिया गठबंधन से टूट का नुकसान इस चुनाव में झेलना पड़ा है। अगर हनुमान बेनीवाल इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ते तो चुनाव परिणाम कुछ और होते।