सहायक प्राचार्य ने संविधान प्रेम में अपने घर का नाम ही रखा 'संविधान'

Edited By Afjal Khan, Updated: 11 Dec, 2023 06:48 PM

assistant principal named his house  samvidhan  out of love for the constitution

जोधपुर के एक सहायक प्राचार्य डॉ. दिनेश गहलोत का संविधान प्रेम सामने आया । दरअसल सहायक प्राचार्य डॉ. दिनेश गहलोत को संविधान के प्रति इतना लगाव है कि अपने घर के नाम के साथ-साथ अपने पुत्र और पुत्री का नाम ही संविधान के ऊपर रख दिया । इतना ही नहीं,...

जोधपुर, 11 दिसंबर । जोधपुर के एक सहायक प्राचार्य डॉ. दिनेश गहलोत का संविधान प्रेम सामने आया । दरअसल सहायक प्राचार्य डॉ. दिनेश गहलोत को संविधान के प्रति इतना लगाव है कि अपने घर के नाम के साथ-साथ अपने पुत्र और पुत्री का नाम ही संविधान के ऊपर रख दिया । इतना ही नहीं, उन्होंने अपने संविधान संबंधित पुस्तक या किताबों से एक लाइब्रेरी भी घर में बना रखी है । जब भी कोई मेहमान उनके घर आते हैं तो उनको उपहार के रूप में एक संविधान की पुस्तक भेंट की जाती है । बता दें कि संविधान दिवस हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है । स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर 1949 का यह दिन यादगार और ऐतिहासिक है। 

गौरतलब है कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने लिए प्रति वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता हैं । वहीं इस ऐतिहासिक दिन के लिए मिसाल है जोधपुर के डॉ. दिनेश गहलोत, जो न सिर्फ संविधान को पढ़ाते हैं, बल्कि संविधान को अपने दिल मे भी बसा रखा है। संविधान के दीवाने डॉ. दिनेश गहलोत जोधपुर के सबसे प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में बतौर सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत है। इन्होंने अपने घर का नाम भी 'संविधान' रखा है। यही नहीं, उन्होंने अपनी दो बेटियों का नाम भी लिपिका और समीक्षा रखा है। डॉ. दिनेश गहलोत की बड़ी लडक़ी का नाम लिपिका रखा है, जो कि एक सॉफ्टवेयर का नाम है । यह सॉफ्टवेयर इंग्लिश से हिंदी में अनुवाद करता है । जबकि छोटी बेटी का नाम समीक्षा रखा है, जो संविधान की व्याख्या के संदर्भ में उपयुक्त की जाती है। डॉ. गहलोत की संविधान के प्रति दीवानगी भी ऐसी है कि अपने घर आने वाले हर मेहमान को वह संविधान की प्रस्तावना प्रति भी भेंट करते हैं, डॉ. दिनेश गहलोत ने अपने घर में ही एक संविधान लाइब्रेरी भी बना रखी है, जहां संविधान से जुड़ी कई प्रतियां और संविधान से जुड़े रोचक तथ्यों की संजोया है ।

वहीं डॉ. दिनेश गहलोत ने बताया कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अधिनियमित हुआ था, तो इसी वजह से इस तिथि का अपने आप में बड़ा महत्व है । इस दिन भारतीय संविधान के 16 अनुच्छेद लागू हुए थे, इस वजह से पहले 26 नवंबर को विधि दिवस के रूप में मानते थे । वहीं, वर्ष 2015 के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसके पीछे की मंशा यही है कि संविधान के प्रति लोगों की आस्था व निष्ठा बढ़े मेरा व्यक्तिगत रूप से भी यह मानना है कि संविधान है तो हम हैं, संविधान है तो हमारा देश है।

उन्होंने कहा कि मैंने मेरे घर का नाम भी संविधान इसीलिए रखा, ताकि आते-जाते लोगों को वह दिखे और लोग यह सोचें कि संविधान क्या है ? क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि लोगों को संविधान की जानकारी नहीं होने से और संवैधानिक साक्षरता का अभाव होने से कई बार अनजाने में गलतियां हो जाती है । अगर संविधान के प्रति निष्ठा बढ़ेगी तो अपराधों में कमी आएगी । यही सोचकर मैंने मेरे घर का नाम संविधान रखा है । साथ ही मेरी दो बेटियों का नाम भी लिपिका और समीक्षा रखा है।
वहीं डॉ. गहलोत ने न सिर्फ अपने घर का नाम संविधान रखा है साथ ही उन्होंने एक इनीशिएटिव करते हुए 'संविधान आपके द्वार' नाम का प्रोग्राम भी शुरू किया है। इतना ही नहीं वे विभिन्न स्कूलों में जाकर संविधान के बारे में फ्री सेमिनार भी आयोजित करते हैं । साथ ही ऑनलाइन संविधान के बारे में आसान शब्दों में समझाने का प्रयास भी करते हैं। उन्होंने पश्चिमी राजस्थान के कई सरकारी गैर सरकारी विद्यालयों में संविधान का प्रशिक्षण निशुल्क दिया है ।

साथ ही डॉ. दिनेश ने कहा कि मुझे विश्वविद्यालय में भी राजनीतिक विज्ञान विभाग में जब पढ़ने का मौका मिला, तब मैंने भारतीय संविधान को भी पढ़ने का निश्चय किया और इस विषय में अध्यापन का कार्य कर रहा हूं । वे उनके घर आने वाले हर मेहमान को संविधान की प्रस्तावना की प्रति भेंट करते है, इसके पीछे उनकी मंशा है कि लोग भारतीय संविधान की प्रस्तावना से परिचित हो सकें । उन्होंने अपने सोशल मीडिया फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक पेज बना रखा है जिस पर हर रोज संविधान के एक अनुच्छेद के बारे में जानकारी अपलोड करते है । 
 

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