महिला मार्शल के अंगूठे पर काटा गया, ऐसे व्यवस्था कैसे चलेगी ? - देवनानी

Edited By Chandra Prakash, Updated: 07 Aug, 2024 04:16 PM

a woman marshal s thumb was bitten how will such a work devnani

पंजाब केसरी डिजिटल एडिटर विशाल सूर्यकांत ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से पंजाब केसरी के लिए एक्सक्लुसिव बात की, जिसमें वो तमाम परिस्थितियों का विस्तार से जिक्र कर रहे हैं...

EXCLUSIVE INTERVIEW : वासुदेव देवनानी की पंजाब केसरी से खास बात 

 नेता प्रतिपक्ष कभी वैल में नहीं आते, इस बार ऐसा हुआ- देवनानी 
 विधानसभा नियमों के प्रति सजग करना मेरी जिम्मेदारी- देवनानी   

जयपुर, 7 अगस्त 2024 (विशाल सूर्यकांत) । ( राजस्थान विधानसभा में सत्ता पक्ष- विपक्ष के गतिरोध के बीच अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई, विधानसभा में मार्शल आए, विधायकों से धक्का-मुक्की हुई, विपक्ष ने विधानसभा में दिन-रात का धरना दिया । राजस्थान विधानसभा के इतिहास में यकीनन ये पहला मौका नहीं था, लेकिन मुद्दा यह है कि क्या इसे टाला नहीं जा सकता था ? पंजाब केसरी डिजिटल एडिटर विशाल सूर्यकांत ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से पंजाब केसरी के लिए एक्सक्लुसिव बात की, जिसमें वो तमाम परिस्थितियों का विस्तार से जिक्र कर रहे हैं...)  

Q. जिस मोड़ पर विधानसभा में बजट सत्र स्थगित हुआ है, कैसा लग रहा है आपको ? 
A.
 देखिए, इस बार 22 दिन विधानसभा चली है । गतिरोध के साथ विधानसभा स्थगित हुई है । ये ज़रूर नहीं होना चाहिए था, लेकिन विपक्ष की हठधर्मिता के कारण ये परिस्थितियां बनीं. मुझे धृतराष्ट्र कहा गया, जिसे गलती के रूप में मान कर माफी मांगी गई । पूर्व संसदीय मंत्री धारीवाल जी ने जिस प्रकार से आसन के बैठे हुए व्यक्ति सभापति को चैलेंज किया और जिस प्रकार से उन्होंने वहां पर एक तरह से पूरे सदन में जहां महिलाएं भी बैठी हो, वहां इस तरह के शब्द का उपयोग किया । वह भी एक तरह से पीड़ादायक रहा, फिर तीसरी बार श्रवण कुमार की टिप्पणियां भी अनुचित थी, युवा विधायक का आपत्तिजनक व्यवहार सभी ने देखा है । मैनें सदन चलाने की पूरजोर कोशिश की है और आगे भी करूंगा ।  

Q. ताजा घटनाक्रम में विपक्ष का आरोप है, कि आपने चर्चा के लिए सहमति दी फिर इसे सत्तापक्ष के दबाव में बदल दिया । 
A.
नहीं, ये सही नहीं है. मैंने कहा कि यदि कोई भी नया मुद्दा उठता है, तो अध्यक्ष सभापति उसमें ये व्यवस्था देता है । मैंने कहा कि मैं परीक्षण करवा इसकी व्यवस्था कर दूंगा, लेकिन उस पे भी संतुष्ट नहीं हुए । प्रोसिडिंग में देखेंगे तो ऐसा कुछ नहीं था, जो मामला वो उठा रहे थे, वो मंत्री पुत्र के लिए मुद्दा बना रहे थे जो कि न्यायालय में विचाराधीन है । सदन नियमों से चलेगा, वैसे समय-समय पर कई व्यवस्थागत समस्याएं उत्पन्न होती है, लेकिन फिर भी इस बार सदन कम स्थगित हुआ है । ये रिकॉर्ड्स भी कह रहे हैं । मैं समझता हूं कि सत्ता पक्ष-विपक्ष, लोकतंत्र के दोनों स्तंभ है। सदन चलना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी होती है । 
 
Q. इस बार विधानसभा में पक्ष विपक्ष के बीच एग्रेशन बहुत दिखा, क्या आपने भी ऐसा महसूस किया है ? 
A.
देखिए, विधानसभा पक्ष और विपक्ष के सहयोग ही चलती है । युवा विधायक के घटनाक्रम में विपक्ष को सहयोग करना चाहिए, क्योंकि आसन ने यह व्यवस्था दी थी, उसके बाद विपक्ष के सदस्य अपील करते । उन्होनें ऐसा करने की बजाय आदेशों को नहीं माना । 

इंटरव्यू का वीडियो पूरा देखने के लिए नीचे दिए गए इस लिंक को ओपन करें । 

                                                                  

https://www.youtube.com/watch?v=eJha75ajTuU

Q. लेकिन मुकेश भाकर का कहना है कि उनकी ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया कि आपत्तिजनक लगे ?
A.
देखिए जो कुछ हुआ है वो सभी ने देखा है, आप सभी लोग भी वहीं थे, पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी है, उनके एक्शन जिस तरह से आसन को चुनौती देने वाले थे, इससे पहले भी दो-तीन बार उन्हें कहा जा चुका है । लेकिन शायद वे नए हैं, दूसरी बार ही जीते हैं, धीरे-धीरे उनके स्वभाव में आएगा । विपक्ष के नेता को भी उन्हें कंट्रोल करना चाहिए । खुद नेता प्रतिपक्ष, सदन के वैल में आ गए थे, जबकि विपक्ष के नेता कभी ऐसा नहीं करते । वो अपनी सीट पर ही खड़े रहते हैं और अपने लोगों से संवाद भी करते हैं । 

Q. विपक्ष के नेताओं के मीडिया में बयान है, कि मंत्रियों से सहज और विपक्ष के प्रति कठोर बर्ताव रहा है आपका ?
A.
मेरे अब तक के कार्यकाल में विपक्ष को जितना समय दिया है वो रिकॉर्ड पर है । जब भी किसी ने अनुमति मांगी, उसको मैंने अनुमति दी है । किसी भी तरह के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव पर सभी के साथ न्याय किया है । पिछले 22 दिन का पहला का इतिहास उठा के देख लें, पहले अध्यक्ष की तुलना में इनको इस बार ज्यादा अवसर मिल रहे हैं । विधानसभा में कोई दिन ऐसा नहीं था जब पन्द्रह से कम प्रश्न हुए हों । मैंने सभी को समान रूप से अवसर दिया है । इसीलिए ये राजनीतिक बयानबाजी ठीक नहीं है । 

Q. विधानसभा में मार्शल बुलाए गए, सीनियर विधायक हरिमोहन शर्मा नीचे गिर पड़े, महिला विधायक की चूड़ियां टूट गई धक्का-मुक्की में, ये क्या टाला नहीं जा सकता था ? 
A.
मार्शल बुलाने की ज़रूरत इसीलिए हुई, क्योंकि व्यवस्थाएं नियंत्रित नही थी और ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है । पहले का इतिहास देख लें, कई बार मार्शल को बुलाया गया है, आपको याद होगा तब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा था । तो मुझे स्वयं भी अस्पताल जाना पड़ा था । देखिए, जब गतिरोध होता है, आसन की अवहेलना होती है, तो आसन के पास कोई दूसरा चारा नहीं होता । व्यवस्था कायम करने में कोई व्यक्ति टारगेट नहीं होता । कोई मार्शल के धक्के से नहीं गिरा था, उनके ही किसी सदस्य के धक्के से वरिष्ठ विधायक गिरे । महिला मार्शल के अंगूठे को काट खाने जैसी घटनाएं भी हुई हैं । ऐसी परिस्थितियां होती हैं कि संघर्ष में जो अनहोनी न चाहते हैं, वो भी हो जाती है । पहले भी ये स्थितियां बनी हैं जब दो बार बीजेपी विधायकों ने धरना दिया है । आसन ने निलंबित किया है जो बाहर जाना चाहिए । फिर प्रक्रियागत रूप से वापस लाना चाहिए । मुझे और मदन दिलावर जी को पहले ऐसे ही बाहर जाने के आदेश हुए थे, हमने इसे माना था ।  

Q. क्या इसकी वजह यह है, कि इस बार विधानसभा में सब कुछ नया है, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्यमंत्री, मुख्य सचेतक और आप भी पहली बार विधानसभा अध्यक्ष…?
A.
विधानसभा जनता के मुद्दे उठाने का मंच है, जाहिर है इसमें सत्ता पक्ष तो है ही, लेकिन विपक्ष की भी भूमिका प्रबल होगी । लेकिन हम किसी को माहौल बिगाड़ने की अनुमति नहीं दे सकते । मैंने स्पष्ट किया है, कि जब तक मैं आसन पर हूं, राजस्थान विधानसभा की गरिमा से समझौता नहीं होगा । लोग नए हैं, निश्चित रूप से अनुभव धीरे-धीरे आता है ।  संसदीय कार्य मंत्री, नेता प्रतिपक्ष दो-तीन बार विधायक रह चुके हैं । हम सब मिलकर व्यवस्थाओं को ठीक करेंगे, ये मत भूलिए कि बैठकों के लिहाज से, ये सफलतम बजट सत्र है । मैंने अधिक से अधिक सर्वदलीय बैठकें बुलाने की पहल की है ।  

Q. एक आखिरी सवाल लाइटर नोट पर, कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद क्या आपके भीतर का प्रोफेसर प्रबल हो गया है ? 
A.
(मुस्कुराते हुए) देखिए, मैंने अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाई हैं । यकीनन प्रोफेसर के रूप में भी लंबे वक्त तक काम किया है और संघ परिवेश में रहने के कारण हर भूमिका में मैंने अनुशासन को प्रमुखता दी है । चाहे वो शिक्षक के रूप में हो या राजनीति में या परिवार में । मेरे कई पुराने छात्र जिनके प्रति अनुशासन के लिए मैंने सख्ती की वो आज मिलते हैं तो कृतज्ञ भाव से मिलते हैं, यही विधानसभा में भी होगा । कुछ लोग नए हैं, नियमों के प्रति सजग करना जरूरी है । 
 

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