Edited By Chandra Prakash, Updated: 10 Jun, 2025 11:24 AM

राजस्थान के दक्षिणी अंचल में सोमवार को दो अलग-अलग स्थानों पर हुए जल हादसों ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। एक ओर बांसवाड़ा जिले के माही बांध में पिकनिक मनाने गई मां, बेटी और भतीजे की डूबने से मौत हो गई, वहीं दूसरी ओर उदयपुर जिले के खेरवाड़ा...
उदयपुर/बांसवाड़ा, 10 जून 2025 (पंजाब केसरी): राजस्थान के दक्षिणी अंचल में सोमवार को दो अलग-अलग स्थानों पर हुए जल हादसों ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। एक ओर बांसवाड़ा जिले के माही बांध में पिकनिक मनाने गई मां, बेटी और भतीजे की डूबने से मौत हो गई, वहीं दूसरी ओर उदयपुर जिले के खेरवाड़ा क्षेत्र में सोम नदी पार करते समय तीन सगे भाई-बहन की नदी में डूबने से जान चली गई। दोनों ही घटनाएं एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही, सुरक्षा के अभाव और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर करती हैं।
माही डैम की पिकनिक बनी मातम: तीन की मौत
बांसवाड़ा ब्यूरो मृदुल पुरोहित के अनुसार शहर की इंदिरा कॉलोनी निवासी 30 वर्षीय मरजीना अपनी 9 वर्षीय बेटी अफसाना और 9 वर्षीय भतीजे अल्पेश के साथ माही डैम घूमने गई थीं। ईद की छुट्टियों में भूंगड़ा कस्बे से अपने मायके आई मरजीना, गेस्ट हाउस के पीछे बने बैकवाटर क्षेत्र में अपने दो अन्य रिश्तेदारों के साथ नहाने पहुंची। बताया जा रहा है कि पहले दोनों बच्चे पानी में उतरे और गहराई में फंसकर डूबने लगे। उन्हें बचाने के लिए मरजीना भी कूदी, लेकिन वह खुद भी पानी की तेज धारा में बह गई।
स्थानीय ग्रामीणों ने बचाव का प्रयास किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस और ग्रामीणों की मदद से तीनों को बाहर निकाला गया और बांसवाड़ा जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मरजीना का पति शाहरुख कुवैत में नौकरी करता है। हादसे की खबर से मुस्लिम लखारा समाज में शोक की लहर दौड़ गई।
सोम नदी में डूबे तीन सगे भाई-बहन
उदयपुर जिले के खेरवाड़ा क्षेत्र के लराठी गांव में रहने वाले दिनेश मीणा के तीन बच्चे — 15 वर्षीय निरमा, 13 वर्षीय खुशबू और 11 वर्षीय कल्पेश रविवार शाम अपनी भैंस को लेने के लिए सोम नदी पहुंचे थे। भैंस को नदी के दूसरी ओर देखकर तीनों बच्चे नदी पार करने लगे, लेकिन गहरे पानी में फंस गए और डूब गए।
परिजनों को देर रात तक कोई सूचना नहीं मिली। सोमवार सुबह ग्रामीणों ने तीनों के शव नदी में तैरते देखे। पुलिस को सूचना दी गई और शवों को ग्रामीणों की मदद से बाहर निकाला गया। बताया गया कि पुल नहीं होने के कारण ग्रामीण वर्षों से नदी पार करने के लिए जोखिम भरे तरीकों — नाव या ट्यूब — का सहारा लेते हैं। दो किलोमीटर दूर बना पुल ग्रामीणों की पहुंच से बाहर है और बार-बार की मांगों के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।