Edited By Afjal Khan, Updated: 21 Jul, 2024 02:06 PM
जवाहर कला केन्द्र और कलावर्त-प्रेरणा श्रीमाली कथक सेन्टर की सहभागिता में आयोजित युवा एकल कार्यक्रम में कथक की आनंदमयी संध्या साकार हुई। वरिष्ठ कथक नृत्य गुरु व नृत्यांगना प्रेरणा श्रीमाली के दिशा निर्देशन में शुभम पाल सिंह राठौड़ ने डेढ़ घंटे तक कथक...
जयपुर, 21 जुलाई 2024 । जवाहर कला केन्द्र और कलावर्त-प्रेरणा श्रीमाली कथक सेन्टर की सहभागिता में आयोजित युवा एकल कार्यक्रम में कथक की आनंदमयी संध्या साकार हुई। वरिष्ठ कथक नृत्य गुरु व नृत्यांगना प्रेरणा श्रीमाली के दिशा निर्देशन में शुभम पाल सिंह राठौड़ ने डेढ़ घंटे तक कथक नृत्य की प्रस्तुत दी।
प्रस्तुति का आरंभ राग दरबारी में निबद्ध कृष्ण वंदना से किसर गसर। ताल पक्ष में तीनताल बरत कर दिखाई, जिसके अंतर्गत उठान, आमद, परण, तिहाई इत्यादि प्रस्तुत किए गए। प्रस्तुति में कथक का उपज अंग, पारंपरिक गणेश परण, जयपुर घराने की पारंपरिक ठुमरी - 'छाड़ो छाड़ो जी बिहारी' और अंत में प्रस्तुत किया गया सूरदास पद आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। गायन व हारमोनियम पर परमेश मेवाल, तबले पर मोहित कथक, पढ़ंत पर मनस्विनी शर्मा और सितार पर मोहम्मद इरफान ने संगत की।
युवा एकल की इस पहल को लेकर गुरु प्रेरणा श्रीमाली ने कहा कि जब आप किसी विद्या में अपने जीवन के स्वर्णिम सालों का निवेश कर रहे हैं, तो उसे समृद्धि की ओर ले जाने में समर्थ भी बने। आजकल जहां सभी कुछ एक डेढ़ मिनट तक सीमित रह गया है । वहीं युवा एकल कथक के पुराने स्वरूप को जागृत करने की सोच रखता है। आज की पीढ़ी को कथक नृत्य के आयामों और विस्तार से परिचित व परिपक्व होने में सहायता दे सकने हेतु ही यह मंच है। वह कहती हैं " कथक सदैव से ही एकल नृत्य की विधा रही है और हमने इसे अपने गुरुओं से इसी स्वरूप में जाना है। हम एक या डेढ़ घण्टे के नीचे की प्रस्तुति सोचते नहीं थे और अब बच्चे इतनी अवधि की प्रस्तुतियाँ का सोच ही नहीं पाते। नए कलाकार आलोचना का सामना नहीं करना चाहते। कार्यक्रम के माध्यम से वह खुलापन वापिस लाने का प्रयास है जहां सुधीजन, गुरुजन, सभी विद्वतजन प्रस्तुति के बारे में अपनी राय रखें और इसकी बेहतरी में अपने विचार साझा करें।