सब इंस्पेक्टर भर्ती मामले में हाईकोर्ट का निर्णय

Edited By Liza Chandel, Updated: 21 Feb, 2025 04:47 PM

high court s decision in sub inspector recruitment case

सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को दो महीने का समय दिया है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में फील्ड पोस्टिंग पर रोक जारी रहेगी। राज्य सरकार को इस मामले में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने की स्वतंत्रता होगी, लेकिन निर्णय के उपरांत सरकार...

सब इंस्पेक्टर भर्ती मामले में हाईकोर्ट का निर्णय

सब इंस्पेक्टर (SI) भर्ती मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को दो महीने का समय दिया है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में फील्ड पोस्टिंग पर रोक जारी रहेगी। राज्य सरकार को इस मामले में किसी भी प्रकार का निर्णय लेने की स्वतंत्रता होगी, लेकिन निर्णय के उपरांत सरकार को अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी।

सरकार की ओर से अधिक समय की मांग

गुरुवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से अंतिम निर्णय के लिए चार महीने का समय मांगा था। हालांकि, हाईकोर्ट ने सरकार की इस मांग को अधिक बताते हुए कहा कि चार महीने का समय बहुत लंबा होगा। कोर्ट ने सुझाव दिया कि दो महीने के भीतर निर्णय लिया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को तीन महीने का समय देने की पेशकश भी की।

याचिकाकर्ताओं की मांग - भर्ती को रद्द किया जाए

इस मामले में याचिकाकर्ताओं, राज्य सरकार और ट्रेनिंग कर रहे सब इंस्पेक्टरों को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण रूप से रद्द कर दिया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि एसओजी, पुलिस मुख्यालय, एजी (महालेखाकार) और कैबिनेट की सब-कमेटी भी इस भर्ती को रद्द करने की सिफारिश कर चुकी है।

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई थी और इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इसमें पेपर लीक की घटना सामने आई थी। एसओजी द्वारा की गई जांच में यह भी खुलासा हुआ कि परीक्षा के दौरान कई डमी कैंडिडेट्स को बैठाया गया था। इस प्रकार, पूरे भर्ती तंत्र में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।

ट्रेनी सब इंस्पेक्टर्स की दलील - हमें न्याय मिलना चाहिए

जहां एक ओर याचिकाकर्ता इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ट्रेनिंग ले रहे सब इंस्पेक्टर्स ने अपने हितों की रक्षा के लिए दलीलें पेश की हैं। इन ट्रेनी अधिकारियों का कहना है कि वे इस भर्ती प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी में शामिल नहीं थे और उन्होंने पूरी ईमानदारी से परीक्षा पास की थी।

इसके अलावा, कई ट्रेनी एसआई ने बताया कि उन्होंने इस नौकरी के लिए अन्य सरकारी नौकरियों का त्याग किया था। अगर अब इस भर्ती को रद्द कर दिया जाता है, तो यह उनके साथ अन्याय होगा। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि वे निर्दोष हैं और उनकी मेहनत को व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

पेपर लीक मामला - एक बड़ा घोटाला

यह पूरा मामला 2021 की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा से जुड़ा हुआ है, जब इस परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। राज्य की विशेष ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने इस घोटाले की जांच की और इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

एसओजी की जांच में खुलासा हुआ कि परीक्षा के दौरान कई डमी कैंडिडेट्स को असली अभ्यर्थियों की जगह बैठाया गया था। इसके अलावा, कई उम्मीदवारों ने पैसे देकर परीक्षा में सफलता हासिल की थी। जांच में यह भी सामने आया कि इस गड़बड़ी के चलते कई अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी मिल गई थी।

इस मामले में करीब 50 ट्रेनी एसआई को एसओजी ने गिरफ्तार किया था। इनमें से 25 ट्रेनी अधिकारियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है, जबकि अन्य आरोपियों की सुनवाई अभी भी जारी है।

सरकार का पक्ष और संभावित कदम

राज्य सरकार इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगी, लेकिन उसे अपने निर्णय की रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी। सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और विभिन्न पक्षों से परामर्श कर रही है।

संभावना है कि सरकार इस भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द कर सकती है और भविष्य में एक नई पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया का आयोजन कर सकती है। हालांकि, सरकार को ट्रेनी सब इंस्पेक्टर्स की दलीलों को भी ध्यान में रखना होगा, क्योंकि उनके भविष्य पर इस निर्णय का सीधा प्रभाव पड़ेगा।

अगली सुनवाई की तैयारी

इस मामले की अगली सुनवाई 2 मई को होगी, जिसमें सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, सरकार को इस अवधि में उचित निर्णय लेकर रिपोर्ट जमा करनी होगी।

सब इंस्पेक्टर भर्ती मामला राज्य में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। इसमें एक तरफ वे उम्मीदवार हैं, जो इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द कराने के पक्ष में हैं, जबकि दूसरी तरफ वे ट्रेनी अधिकारी हैं, जिन्होंने इस नौकरी के लिए अन्य नौकरियां छोड़ी थीं। हाईकोर्ट ने सरकार को दो महीने का समय दिया है, ताकि वह इस मामले में उचित निर्णय ले सके। इस दौरान भर्ती प्रक्रिया में फील्ड पोस्टिंग पर रोक लगी रहेगी। अब सभी की नजरें 2 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सरकार को अपने निर्णय की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।

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