Edited By Liza Chandel, Updated: 06 Jan, 2025 05:54 PM
गुरु गोविंद सिंह का नाम आते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है। घोड़े पर सवार, हाथों में तलवार लिए गुरु गोविंद सिंह न केवल सिखों के बल्कि पूरे देश के आराध्य हैं। उनकी हर निशानी करोड़ों भक्तों के लिए अनमोल धरोहर है। ऐसी ही एक धरोहर है उनकी तलवार "साहेब,"...
गुरु गोविन्द सिंह की विरासत से जुड़े अनसुने किस्से
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की अनमोल निशानियां राजस्थान की धोरों वाली धरती पर भी मौजूद हैं। जी हां, गुरु गोविंद सिंह ने अपनी तलवार "साहेब" को करीब साढ़े तीन सौ साल पहले जयपुर के राजपरिवार को भेंट किया था। वहीं, जोधपुर में "पलंग साहेब" भी संरक्षित है, जिस पर कभी गुरु गोविंद सिंह ने विश्राम किया था। आइए, इस रिपोर्ट में जानते हैं इन ऐतिहासिक धरोहरों की कहानी।
गुरु गोविंद सिंह का नाम आते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है। घोड़े पर सवार, हाथों में तलवार लिए गुरु गोविंद सिंह न केवल सिखों के बल्कि पूरे देश के आराध्य हैं। उनकी हर निशानी करोड़ों भक्तों के लिए अनमोल धरोहर है। ऐसी ही एक धरोहर है उनकी तलवार "साहेब," जो जयपुर राजपरिवार के पास संरक्षित है। इसे देखकर उनके अद्भुत व्यक्तित्व और जीवन यात्रा की झलक मिलती है।
गुरु गोविंद सिंह की तलवार "साहेब"
जयपुर राजपरिवार में संरक्षित गुरु गोविंद सिंह की तलवार की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। गुरुजी ने इसे हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन में वहां के तत्कालीन शासक को स्मृति स्वरूप भेंट किया था। बाद में, नाहन की राजकुमारी पद्मिनी देवी ने इसे जयपुर लाकर सिटी पैलेस में संरक्षित किया। गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर, जयपुर राजपरिवार की सदस्य और राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने तलवार साहेब की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के दर्शन के लिए रखा गया।
जोधपुर का "पलंग साहेब"
जोधपुर में गुरु गोविंद सिंह के पलंग साहेब को भी विशेष स्थान प्राप्त है। सिंह सभा के प्रधान दर्शन सिंह के अनुसार, यह पलंग गुरुजी को फकीर पीर बुद्धू शाह ने हिजरी सन 1110 में भेंट किया था। बाद में, गुरुजी ने इसे बुद्धू शाह को लौटा दिया। बुद्धू शाह ने इसे अपने सिपहसालार को सौंप दिया, जिनका परिवार नारनौल से जोधपुर आकर बस गया। यह पलंग जोधपुर के बंबा मोहल्ले में अब्दुल रहमान की हवेली में पहुंचा। बाद में, हवेली को एक सिख परिवार ने खरीद लिया, और यह पलंग उनके पास आ गया।
सिंह सभा ने इसे प्राप्त कर 40 वर्षों से अधिक समय से गुरुद्वारे में संरक्षित रखा है। SGPC (श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने भी इसे गुरु गोविंद सिंह जी की धरोहर के रूप में मान्यता दी है। पलंग पर अरबी भाषा में लिखा है कि इसे फकीर बुद्धू शाह ने गुरु गोविंद सिंह को भेंट किया था। यह पलंग जोधपुर के गुरुद्वारा सिंह सभा में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए 24 घंटे उपलब्ध है।
राजस्थान में गुरु गोविंद सिंह की विरासत
गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के मौके पर आयोजित शबद कीर्तन और इन धरोहरों के दर्शन राजस्थान के लोगों की गहरी आस्था को दर्शाते हैं। पलंग साहेब और तलवार साहेब, दोनों ही विरासतें न केवल गुरु गोविंद सिंह जी की महानता को उजागर करती हैं, बल्कि राजस्थानवासियों के श्रद्धा भाव को भी वर्षों से संजोए हुए हैं। इन अनमोल निशानियों के दर्शन के लिए हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु राजस्थान आते हैं। समय के साथ, इनकी ख्याति और भी बढ़ रही है।
गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान, शौर्य और त्याग की गाथा हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी इन धरोहरों के संरक्षण और पूजन के माध्यम से हम उनके महान योगदान को हमेशा याद रख सकते हैं।