जैसलमेर जिला अस्पताल के निशुल्क दवा वितरण केंद्र में मिला खाली शराब की बोतलों का जखीरा

Edited By Kailash Singh, Updated: 04 Jun, 2025 10:26 AM

a stock of empty liquor bottles found in the district hospital

आपको कहीं भारी मात्रा में शराब,बीयर की खाली बोतलें व पास में गिरे दर्जनों सिगरेट के खाली पैकेट नजर आए तो आप सोचेंगे कि ये कोई शराब का अड्डा है या फिर कबाड़ की दुकान,लेकिन आप सपने में भी नहीं सोच सकते कि ये किसी अस्पताल का दृश्य हैं और अस्पताल भी कोई...

जैसलमेर । आपको कहीं भारी मात्रा में शराब,बीयर की खाली बोतलें व पास में गिरे दर्जनों सिगरेट के खाली पैकेट नजर आए तो आप सोचेंगे कि ये कोई शराब का अड्डा है या फिर कबाड़ की दुकान,लेकिन आप सपने में भी नहीं सोच सकते कि ये किसी अस्पताल का दृश्य हैं और अस्पताल भी कोई छोटा मोटा या निजी नहीं बल्कि जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल जहां दूर दराज से रोजाना सैंकड़ो लोग इलाज की चाह में यहां आते है। ये कारनामा कहीं और का नहीं बल्कि सीमावर्ती जिले जैसलमेर के जिला अस्पताल जवाहिर चिकित्सालय है जो पहले से ही अपनी दुर्दशा के लिए जाना जाता हैं। अस्पताल के मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण केंद्र में जो कि फिलहाल बंद पड़ा है उसमें शराब,बीयर की खाली बोतलों का जखीरा मिला पड़ा और पास में ही सिगरेट के दर्जनों खाली पैकेट गिरे मिले। पँजाब केसरी ने इन दिल को झकझोर कर रख देने वाली तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर दिया। जब इस कारनामे के बारे में अस्पताल के pmo डॉ चन्दनसिंह तंवर से जानना चाहा तो उन्होंने उस वक्त तो कैमरे पर बोलने से मना कर दिया और बाद में आनन फानन में उस एमटी को हटाकर कमरे की सफाई करवा दी लेकिन सवाल ये बचता है कि अस्पताल के अधिकारियों की जानकारी व अनुमति क्या इतना बड़ा कारनामा सम्भव हैं? भारत-पाक की सीमा से सटे जैसलमेर का जिला अस्पताल दशकों से डॉक्टरों व स्टाफ की कमी,बिगड़ी सफाई व्यवस्था व लापरवाहियों की वजह से मशहूर हैं लेकिन अस्पताल में मयखाना मिलना इसकी शोभा में शायद चार चांद लगा रहा है। पँजाब केसरी की टीम जब मंगलवार को अस्पताल परिसर में निशुल्क दवा वितरण केंद्र में गई तो वहां दवाओं की जगह भारी मात्रा में खाली शराब व बीयर की बोतलों का जखीरा नजर आया। इस दृश्य को पँजाब केसरी ने अपने कैमरे में कैद कर दिया। खाली बोतलों व सिगरेट के पैकेट्स की संख्या इतनी ज्यादा थी कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये एक,दो या चार दिन का काम नही है बल्कि ये कारनामा कई दिनों या महीनों से चलता आ रहा है। लंबे समय से इस शर्मनाक करतूत की क्या PMO और अन्य अधिकारियों को जानकारी नहीं है या उनकी मौन स्वीकृति है? कहने को तो अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे है लेकिन इन नशेड़ियों के सामने ये कैमरे भी अंधे नजर आ रहे है। इतने बड़े कारनामे के बारे में जब PMO डॉ चन्दनसिंह तंवर से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया व तुरन्त ट्रेकर मंगवाकर उस कमरे की सफाई करवा दी जिसमे मरीजो को राहत देने के लिए निशुल्क दवाओं की जगह नशेड़ियों की मौज मस्ती के सबूत भरे थे। अब सवाल ये बचता है कि अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे इस जिला अस्पताल में इतने बड़े खुलासे के बाद जिला कलेक्टर व जनप्रतिनिधि अस्पताल प्रशासन और नशे के शौकीन कार्मिकों पर कोई ठोस कार्यवाही करेंगे या नशेड़ियों की इसी तरह पौ बारह होती रहेगी?

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