Gold-Silver खरीदकर घर में नहीं रखें! उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

Edited By Anil Jangid, Updated: 28 Oct, 2025 02:58 PM

physical gold vs silver cas recommend digital investments

भारतीय घरों में आज भी सोना और चांदी को ज्‍यादा महत्‍व दिया जाता है. क्योंकि इन्हें सिर्फ ज्‍वेलरी ही नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश विकल्‍प के तौर भी देखा जाता है. चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का मानना कुछ और ही है..वे इन धातुओं को इसके चमक से दूर रहने की...

जयपुर। भारतीय घरों में आज भी सोना और चांदी को ज्‍यादा महत्‍व दिया जाता है. क्योंकि इन्हें सिर्फ ज्‍वेलरी ही नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश विकल्‍प के तौर भी देखा जाता है. चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का मानना कुछ और ही है..वे इन धातुओं को इसके चमक से दूर रहने की सलाह देते हैं.

 

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के मुताबिक सोना सुरक्षित लगता है, क्योंकि आप इसे छू सकते हैं.. लेकिन ज्‍यादातर लोगों के लिए फिजिकल गोल्‍ड कोई निवेश नहीं है.. यह एक भावनात्मक खरीदारी है और भावनात्मक रूप से प्रेरित निवेश अक्सर छिपे हुए चार्जेज के साथ आते हैं, जो चुपके से आपके मुनाफे को कम कर देते हैं. 

 

ऐसे में फिजिकल गोल्‍ड और सिल्‍वर में निवेश को नजरअंदाज करना चाहिए.. जबकि स्‍मार्ट तरीका डिजिटल इन्‍वेस्‍टमेंट है.. उनका कहना है कि फिजिकल गोल्‍ड और चांदी खरीदने का मतलब है रिटेल प्राइस चुकाना, जिसमें डीलर का मार्जिन, 3 फीसदी जीएसटी और ज्‍वेलरी के मामले में 5 से 8 फीसदी मेकिंग चार्ज शामिल है. हालांकि जब आप बेचते हैं तो आपको थोक प्राइस मिलता है यानी पहले दिन से ही आपको नुकसान होगा. 

 

अगर आप 1 लाख 22 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सोना खरीदते हैं और अगले दिन बेचने जाते हैं तो यह 1.18 लाख रुपये पड़ेगा, मतलब यह 4 हजार रुपये का तत्काल नुकसान है, वह भी बिना कोई मार्केट में उतार-चढ़ाव के..

 

इसके विपरीत, डिजिटल गोल्ड, सिल्वर ETF और म्यूचुअल फंड पर चार्ज बहुत कम होता है.. आमतौर पर 0.5 रुपये से 2 रुपये प्रति ग्राम.. इन पर मेकिंग चार्ज भी नहीं लगता और ये आसानी से लिक्विडिटी प्रदान करते हैं.. हालांकि..निवेशकों को एक छोटा सा सालाना मैनेजमेंट चार्ज देना पड़ सकता है, लेकिन कुल मिलाकर लागत भौतिक खरीद-बिक्री की तुलना में बहुत कम होती है..

 

फिजिकल सोने को सुरक्षित रूप से रखना ही सबसे बड़ा रिस्क होता है.. अक्सर बैंक लॉकरों में, जहां स्थान और आकार के आधार पर 1 हजार रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक का एनुअल चार्ज लगता है.. समय के साथ यह काफी महंगा हो जाता है.

 

साथ ही फिजिगल गोल्ड और सिल्वर की चोरी की भी टेंशन बनी रहती है.. जब आपकी दौलत लॉकर में बंद हो, तो आप पूरी तरह से निश्चिंत नहीं हो सकते..क्योंकि चोरी, नुकसान या गुम हो जाना, ये सभी वास्तविक चिंताएं हैं..

 

डिजिटल सोना-चांदी इस बोझ को कम करती हैं.. गोल्ड ETF या डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म में निवेश इंश्‍योर्ड और ऑडिटेड वॉल्ट द्वारा सपोर्ट‍िव होता है.. निवेशक इलेक्ट्रॉनिक रूप से मेटल का मालिक होता है. डिजिटल गोल्ड में 10 लाख रुपये का निवेश शून्य भंडारण जोखिम और पूर्ण तरलता के साथ होता है, जिससे निवेशकों को तुरंत खरीदने, बेचने या भुनाने की सुविधा मिलती है. 

 

कई खरीदारों के लिए सोना और चांदी की प्‍योरिटी एक अहम सवाल होता है.. यहां तक कि BIS हॉलमार्क वाले सोने पर भी जांच शुल्‍क या मिश्र धातु की मात्रा पर संदेह के कारण सेलिंग पर 2 से 5 फीसदी की कटौती का सामना करना पड़ सकता है.. ज्‍वेलरी की डिजाइन और निर्माण लागत के मामले में तो स्थिति और भी खराब है.. इस 8 से 10 फीसदी की कटौती कर दी जाती है..हॉलमार्क वाली ज्‍वेलरी भी पूरी कीमत पर नहीं बिकते और चांदी के मामले में तो प्‍योरिटी का मुद्दा और भी बड़ा हो जाता है..

 

ऐसे में गोल्ड ईटीएफ और सिल्वर ईटीएफ जैसे डिजिटल निवेश इन समस्याओं को दूर करते हैं. ये 99.5% या उससे अधिक शुद्धता वाले सोने द्वारा पूरी तरह से समर्थित होते हैं, सेबी की ओर से अप्रूव होते हैं और इससे शुद्धता की गारंटी, मूल्य पारदर्शिता और भौतिक सत्यापन की परेशानी के बिना तत्काल लेनदेन सुनिश्चित होता है.

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!