“एक कट की कीमत : बांदीकुई के किसान का बलिदान और गुस्से की चिंगारी”

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 09 Jun, 2025 02:46 PM

the sacrifice of the farmer of bandikui and the spark of anger

दौसा | राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड के द्वारापुरा-श्यामसिंहपुरा गांव में एक "कट" की मांग अब जन आंदोलन का रूप ले चुकी है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के जयपुर-बांदीकुई लिंक (4C) पर इंटरचेंज कनेक्टिविटी नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने रविवार...

दौसा | राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड के द्वारापुरा-श्यामसिंहपुरा गांव में एक "कट" की मांग अब जन आंदोलन का रूप ले चुकी है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के जयपुर-बांदीकुई लिंक (4C) पर इंटरचेंज कनेक्टिविटी नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने रविवार को महापंचायत की, जो अब बेमियादी महापड़ाव में बदल गई है। लेकिन इस विरोध की आग को और भड़का दिया सोमवार सुबह उस दर्दनाक खबर ने, जब आंदोलन में शामिल किसान कैलाशचंद शर्मा (55) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। कैलाशचंद की मौत के बाद ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। शव को धरना स्थल पर रखकर सैकड़ों प्रदर्शनकारी किसान सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। मौके पर भारी पुलिस बल, क्यूआरटी टीम और प्रशासनिक अधिकारी जैसे बांदीकुई SDM राम सिंह राजावत, तहसीलदार राजेश सैनी और डिप्टी SP रोहिताश देवंदा हालात को नियंत्रित करने में जुटे रहे।

मांगों की फेहरिस्त, संघर्ष की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि:
द्वारापुरा-श्यामसिंहपुरा में जल्द से जल्द इंटरचेंज कट बनाया जाए।
कैलाशचंद शर्मा के परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजा दिया जाए।
ग्रामीणों को हाईवे का समुचित लाभ मिले, जिनकी जमीनें विकास के नाम पर अधिग्रहित कर ली गईं।

"बांदीकुई के नाम का हाईवे, पर बांदीकुई के लिए नहीं": ग्रामीणों का तंज
ग्रामीणों ने कहा कि बांदीकुई के नाम से बने लिंक हाईवे पर बांदीकुई में ही कोई एक्सेस पॉइंट न देना, क्षेत्र के साथ धोखा है। पिछले 16 महीने से इस मुद्दे को लेकर कई बार विरोध दर्ज करवाया गया, यहां तक कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा DPR की स्वीकृति और कट का आश्वासन भी दिया गया, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं बदला।

“अब या कभी नहीं”: अल्टीमेटम और चेतावनी
गांवों की महापंचायत ने प्रशासन को 5 दिन का अल्टीमेटम दिया है—अगर इस अवधि में कट निर्माण पर ठोस कार्यवाही नहीं होती, तो ग्रामीण एक्सप्रेसवे को पूरी तरह जाम कर देंगे। इसके बाद हालात बिगड़े तो सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होगा, यह खुली चेतावनी दी गई।

राजनीति और प्रशासन की अग्निपरीक्षा
यह मामला सिर्फ एक "कट" की मांग नहीं, बल्कि गांव बनाम विकास मॉडल की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। प्रशासनिक संवाद की नाकामी, सरकार की वादाखिलाफी और किसान की मौत ने इस आंदोलन को भावनात्मक मोड़ दे दिया है। अब देखना है कि सरकार संवेदना दिखाती है या फिर संघर्ष और तेज होता है।

 

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