Edited By Kailash Singh, Updated: 11 Jun, 2025 10:19 AM

उदयपुर के खेरोदा कस्बे के सैकड़ों ग्रामीणों ने मंगलवार को 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन को हटाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। खेरोदा संघर्ष समिति के बैनर तले निकाली गई यह रैली खेरोदा गांधी चौक से प्रारंभ होकर उदयपुर जिला कलेक्ट्रेट पहुंची।
उदयपुर के खेरोदा में 765 केवी ग्रिड स्टेशन का विरोध तेज
उदयपुर, 11 जून (ब्यूरो): खेरोदा कस्बे के सैकड़ों ग्रामीणों ने मंगलवार को 765 केवी सब ग्रिड स्टेशन को हटाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। खेरोदा संघर्ष समिति के बैनर तले निकाली गई यह रैली खेरोदा गांधी चौक से प्रारंभ होकर उदयपुर जिला कलेक्ट्रेट पहुंची। कलेक्टर की अनुपस्थिति में ग्रामीणों ने ज्ञापन जिला एसपी योगेश गोयल को सौंपा। ग्रामीणों ने कहा कि प्रस्तावित सब ग्रिड स्टेशन की भूमि मेनार-खेरोदा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है, जिसे रामसर साइट के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल चुकी है। इसके बावजूद, अधिकारियों ने पर्यावरणीय और जल संरक्षण नियमों को नजरअंदाज कर पावर ग्रिड इंडिया को यह भूमि आवंटित कर दी है। विवादित भूमि पर हैं जल स्रोत, चारागाह और सार्वजनिक संरचनाएं। ग्रामीणों के अनुसार, विवादित भूमि में जलदाय विभाग के तीन कुएं, श्मशान, गोशाला, सार्वजनिक शौचालय और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की संपर्क सड़क मौजूद है। इसके अतिरिक्त, खेरोदा और राजपूतों के तालाब के बीच दो एनीकट भी हैं। इन तथ्यों को पटवारी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में जानबूझकर नहीं दर्शाया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में कैचमेंट क्षेत्र की दूरी में भी ओवरराइटिंग कर हेरफेर की गई है।
सात माह से चल रहा विरोध, नहीं हुई सुनवाई। ग्रामीणों ने बताया कि वे पिछले सात महीनों से लगातार उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, जिला कलेक्टर, विधायक उदयलाल डांगी और सांसद सीपी जोशी को ज्ञापन देकर विरोध जता रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों ने मांग की कि पावर ग्रिड को दिया गया भूमि आवंटन तत्काल रद्द किया जाए और मौके की गलत रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले पटवारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। सरपंच प्रतिनिधि रवि गर्ग और पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कूकड़ा ने कहा कि सरकार ने जिस भूमि को रामसर साइट के तहत भेजा है, उसी को पावर ग्रिड को दे देना विरोधाभासी है। उन्होंने नागलिया में दी गई वैकल्पिक भूमि को अनुपयुक्त बताया, जहां पशुओं के लिए कोई चारागाह नहीं है।