Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Sep, 2024 06:39 PM
सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से रविवार को एक बार फिर वन्यजीव प्रेमियों के लिए दुःखद खबर सामने आई है। रणथंभौर में फिर से टेरिटोरियल फाइट में एक नर बाघ टी 2312 की मौत हो गई। मृत बाघ की उम्र करीब तीन वर्ष की है। वन विभाग द्वारा राजबाग नाका...
सवाई माधोपुर, 22 सितंबर 2024 । सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से रविवार को एक बार फिर वन्यजीव प्रेमियों के लिए दुःखद खबर सामने आई है। रणथंभौर में फिर से टेरिटोरियल फाइट में एक नर बाघ टी 2312 की मौत हो गई। मृत बाघ की उम्र करीब तीन वर्ष की है। वन विभाग द्वारा राजबाग नाका चौकी पर पोस्टमार्टम के बाद टाइगर के शव का अंतिम संस्कार कर दिया ।
दरअसल, रणथंभौर टाइगर रिजर्व की खंडार रेंज के फरया नाका के नजदीक गौघाटी वन क्षेत्र में आज गश्त के दौरान वनकर्मियों को एक नर बाघ का शव पड़ा हुआ मिला। बाघ के शव को देख वनकर्मियों ने वन विभाग के अधिकारियों को बाघ की मौत की सूचना दी। सूचना पर रणथंभौर के डीएफओ रामानंद भाकर सहित वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। जहां मृत बाघ की शिनाख्त बाघ टी- 2312 के रूप में हुई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बाघ के शव को कब्जे में लिया और राजबाग चौकी नाका पहुंचाया । जहां रणथंभौर के पशु चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड गठित किया गया। मेडिकल बोर्ड द्वारा बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया और विसरा लिया गया। जिसके बाद विधिवत रूप से बाघ के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया ।
रणथंभौर के डीएफओ रामानंद भाकर एंव पशु चिकित्सक राजीव गर्ग के मुताबिक बाघ टी 2312 की मौत किसी अन्य टाइगर के साथ हुई टेरिटोरियल फ़ाइट की वजह से हुई है। बाघ का शव करीब 15 से 16 घंटे पुराना है। डीएफओ ने बताया कि जिस जगह पर बाघ टी 2312 का शव मिला है। उस इलाके में बाघ टी 96 व टी 137 सहित टी 2311 का मूवमेंट रहता है। संभवतया इन्हीं में से किसी एक बाघ के साथ हुए आपसी संघर्ष में ही बाघ टी-2312 की मौत हुई है। मृतक बाघ के शरीर पर कई जगहों पर गहरे घाव थे।
पशु चिकित्सक डॉ. राजीव गर्ग के मुताबिक बाघ की मौत किसी दूसरे टाइगर के साथ हुई आपसी टेरिटोरियल फाइट के कारण ही हुई है। आपसी फाइट में बाघ टी 2312 बुरी तरह घायल हो गया। आपसी फाइट में बाघ का हार्ट फट गया। लेंस फट गए और भी कई ऑर्गन डैमेज़ हो गए, जिससे उसकी मौत हो गई।
गौरतबल है कि रणथंभौर में जनवरी 2023 से सितंबर 2024 तक करीब 13 बाघ व शावकों की मौत हो चुकी है। जिनमें 10 जनवरी 2023 को बाघ टी 57 , 31 जनवरी 2023 को टी 114 व उसका शव, 9 फरवरी को टी-19, 10 मई 2023 को टी 104, सितंबर 2023 टी 79 व उसके दो शावक, 11 दिसम्बर 2023 को टी 69 का शावक , 3 फरवरी 2024 को टी 99 का शावक, 4 फरवरी 2024 को टी 60 व उसका शावक, 7 जुलाई 2024 को टी 58 शामिल है और आज 22 सितंबर 2024 को टी 2312 की मौत हो गई। रणथंभौर में टेरिटोरियल फ़ाइट को लेकर कई बाघों की मौत हो चुकी है।
रणथंभौर 1700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और 10 जोन में बंटा हुआ है। लेकिन क्षेत्र फल के मुताबिक रणथंभौर में बाघ बाघिन और शावकों की संख्या अधिक है। ऐसे में इलाके की आपसी जंग को लेकर अब तक कई बाघ की मौत हो चुकी है। रणथंभौर में वर्तमान में तकरीबन 80 से 82 बाघ बाघिन ओर शावक है। जो क्षेत्रफल के मुकाबले इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। जबकि समय समय पर रणथंभौर से कई बाघों को अन्यत्र शिफ्ट किया जाता रहा है। वरना यह संख्या और भी अधिक हो जाती।
बाघों के बीच आपसी संघर्ष को लेकर रणथंभौर के सीसीएफ अनूप केआर का कहना है कि क्षेत्र के हिसाब से बाघों की संख्या अधिक होने के साथ ही बाघों के बीच लिंग अनुपात भी बड़ा कारण है। उनका कहना है कि वाइल्डलाइफ के मुताबिक एक नर बाघ पर दो मादा बाघिन का रेश्यो होना चाहिए। लेकिन रणथंभौर में 31 बाघों पर 30 बाघिन है, जो लिंगानुपात के हिसाब से कम है। यह भी बाघों के बीच आपसी टकराव का बड़ा कारण है। साथ ही जैसे ही कोई शावक जवान होता है उसे भी अपना नया इलाका बनाना होता है और नया इलाका बनाने के दौरान उसकी अगर किसी बड़े बाघ से झड़प हो गई तो उस झड़प में भी उसकी मौत हो जाती है।
खास तौर पर इलाके को लेकर आपसी टकराव के साथ ही बाघ-बाघिनों का लिंगानुपात भी बाघों के आपसी संघर्ष में किसी बाघ की मौत होने का बड़ा कारण है। रणथंभौर में लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। लेकिन क्षेत्र कम पड़ने और नर बाघ के हिसाब से मादा बाघिनों की संख्या कम होने के कारण बाघों के बीच आपसी संघर्ष और टेरिटोरियल फाइट में रणथंभौर में अब तक कई बाघ बाघिन ओर शावकों की मौत हो चुकी है। जो वन विभाग के लिए चिंता का विषय है।